Jharkhand News: देसी जुगाड़ से लातेहार के बुधन ने बनायी मशीन, मकई से दाने होंगे अलग, किसानों को होगी सुविधा

लातेहार के बुधन ने एक ऐसी मशीन बनायी है जिससे मकई के दाने और गुठली दोनों अलग होंगे. बुधन ने देसी जुगाड़ से मशीन बनायी है. इससे अब किसानों को राहत मिलेगी. बुधन अब तक 16 मशीन बनाकर जिले के किसानों को बेच चुके हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2021 5:13 PM
an image

Jharkhand News (अरशद आजमी, बारियातू, लातेहार) : झारखंड के लातेहार जिला अंतर्गत बारियातू प्रखंड क्षेत्र एक कुलेश्वर विश्वकर्मा उर्फ बुधन ने देसी जुगाड़ से ऐसी मशीन बनायी है, जिससे मकई के दाने अलग हाे जायेेंगे. इससे किसानों को काफी सुविधा मिलेगा. पहले मकई के दाने अलग करने के लिए किसानों को काफी परिश्रम करना पड़ता था.

बारियातू प्रखंड अंतर्गत शिबला पंचायत के बेसरा गांव निवासी पैरू मिस्त्री के पुत्र कुलेश्वर विश्वकर्मा उर्फ बुधन ने अपनी हुनर की बदौलत देसी जुगाड़ से कम समय में सूखे मकई के दाने को अलग करनेवाली मशीन बनायी है. इन दिनों यह मशीन पूरे जिले में किसानों के बीच चर्चा का विषय बन गयी है.

मशीन के बारे में जानकारी देते हुए कुलेश्वर उर्फ बुधन ने बताया कि सूखे मकई से दाना निकालने का कार्य काफी मजेदार है. वर्ष 2019 में यू-ट्यूब में मकई से दाने अलग करने संबंधी एक वीडियो देखा था. इसके बाद से उसके दिमाग में ऐसी ही कोई मशीन तैयार करने की बात आयी.

Also Read: Jharkhand News : नेतरहाट में पर्यटन जागरूकता कार्यक्रम, वर्कशॉप में 100 अभ्यर्थियों को मिल रही ट्रेनिंग

वर्ष 2020 में बाइक के इंजन व अन्य पार्ट्स एकत्रित कर मशीन तैयार की. बुधन ने कहा कि सबसे पहले खुद की पैदावार मकई को इस मशीन में प्रयोग किया. अपने घर का करीब दो टन मकई का दाना इस मशीन से अलग किया. पर, इसमें थोड़ी मुश्किल यह हो रही थी कि मकई की गुठली मशीन में पीस कर टुकड़े-टुकड़े हो जा रही थी. इसके बाद राजू विश्वकर्मा, बजरंग विश्वकर्मा व अजीत कुमार की मदद से इस परेशानी को दूर किया. फिर दाना और गुठली अलग-अलग निकलने लगी.

बुधन ने बताया कि इस साल जनवरी महीने में बिहार के गया जिला से कई पुरानी बाईक के पार्ट्स और अन्य सामान खरीदे. अब तक ऐसी 16 मशीन बना कर लातेहार की कई पंचायतों के किसानों को बेचा गया है. कहा कि अगर सरकार आर्थिक मदद करे, तो ऐसी मशीन बनाकर पूरे झारखंड में सप्लाई किया जा सकता है. इससे किसानों को कम दाम में मशीन उपलब्ध हो जायेगी.

एक मशीन की लागत करीब 42 हजार रुपये आयी

ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई करनेवाले बुधन ने बताया कि देसी जुगाड़ से मशीन बनाने में बाईक का इंजन, तार, जाली, बेल्ट, पुल्ली, लोहे के प्लेट समेत अन्य वस्तुएं लगती हैं. एक मशीन बनाने में 4 दिन का समय लगता है. 40 से 42 हजार रुपये इसकी लागत आती है. मशीन का कुल वजन 60 से 65 किलोग्राम है.

Also Read: ब्लॉक का चक्कर लगाने से लोगों को मिलेगी राहत, अब दुमका की पंचायतों में लगेंगे विभिन्न विभागों के स्टॉल

Posted By: Samir Ranjan.

Exit mobile version