Jharkhand News, Pakur News, पाकुड़ : झारखंड के पाकुड़ में रेंजर अनिल सिंह द्वारा तस्करी के लिए ले जाये जा रहे 15 ऊंटों को बरामद करना तथा 12 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पीपुल फॉर एनीमल (People for Animal) की चेयरपर्सन मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने शुक्रवार (5 फरवरी, 2021) को DC कुलदीप चौधरी अौर SP मणिलाल मंडल को फोन कर जिला प्रशासन की सक्रियता को लेकर धन्यवाद दिया. इधर, पकड़े गये 15 ऊंटों में से एक की मौत हो गयी. शुक्रवार की सुबह ऊंट को पोस्टमार्टम के बाद वन परिसर में दफना दिया गया.
मेनका गांधी ने प्रभात खबर को बताया कि पाकुड़ के रास्ते लगातार ऊंटों की तस्करी हो रही है. राजस्थान के राजकीय पशु की तस्करी होना बेहद चिंताजनक बात है. इस संदर्भ में डीसी-एसपी से 2 बार बात की है. जिस प्रकार से पाकुड़ रेंजर अनिल सिंह और जिला प्रशासन ऊंटों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, यह प्रशंसा की बात है.
मेनका ने बताया कि बागपत जिले के भिदल गांव के आसपास बड़े पैमाने पर ऊंटों की तस्करी होती है. पाकुड़ में गिरफ्तार मुक्कमिल हुसैन ऊंटों की तस्करी का सरगना है. इस पर लगभग 1000 मामले दर्ज हैं. इसके गैंग में लगभग 40 लोग हैं, जो रोजाना ऊंटों की तस्करी में शामिल रहते हैं. मुक्कमिल हुसैन को गिरफ्तार किया जाना बेहद प्रशंसा की बात है.
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बताया जा रहा है कि ऊंट को जल्द इलाज नहीं मिल पाने के कारण मौत हो गयी. वहीं, 4 अन्य ऊंट अभी भी उठ पाने की स्थिति में नहीं है. वह सभी बैठे हुए हैं. बाकी 10 ऊंट आराम से चल-फिर रहे हैं. इस संबंध में रेंजर अनिल ने बताया कि बाकी बचे ऊंटों का इलाज किया जा रहा है. सभी ऊंटों को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए गुड़- पानी का घोल दिया जा रहा है. साथ ही गाजर, पत्ता, गोभी जैसे खाद्य पदार्थ खाने के लिए दिया जा रहा है. उम्मीद है जल्द ही बैठे हुए ऊंट भी ठीक हो जायेंगे.
12 जनवरी, 2021 को जब्त किये गये एक ऊंट इलाज के बाद ठीक हो गया है. ट्रक से उतारे जाने के बाद से वह उठ नहीं पा रहा था. उसका लगातार इलाज करने के साथ-साथ उसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ दिया जा रहा था. मान्यता है कि 3-4 क्विंटल वजनी बड़े जानवर यदि बैठ जाते हैं, तो फिर उनका उठना मुश्किल हो जाता है.
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जिला पशुपालन पदाधिकारी कमलेश्वर कुमार भारती ने बताया कि सभी ऊंटों का इलाज किया जा रहा है. ऊंटों को जरूरी दवाइयां दी जा रही है. दवाइयां पशुपालन कार्यालय में मौजूद है, तो उसे उपलब्ध कराया जा रहा है. जो दवाइयां उपलब्ध नहीं है उसे वन विभाग को खरीद कर देने की बात कही गयी है. ऊंटों के रख- रखाव की जिम्मेदारी वन विभाग ही उठा रही है. ऊंटों के रख- रखाव को लेकर कार्यालय में फंड उपलब्ध नहीं है. इस संदर्भ में डीसी को जानकारी दी जायेगी.
Posted By : Samir Ranjan.