Loading election data...

Makar Sankranti 2021 : बड़कागांव का एक ऐसा मंदिर, जहां प्रसाद में चढ़ते हैं पत्थर, मकर संक्रांति में लगता है मेला

Makar Sankranti 2021, Jharkhand News, Hazaribagh News, Barkagaon News : अब तक आप जानते होंगे कि दुनिया के हर मंदिरों में मिठाइयों से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन पत्थरों का प्रसाद मंदिरों में चढ़ाया जाता है. यह कहीं भी आपने नहीं सुना होगा. लेकिन यह सच है कि मंदिर में मिठाई की जगह पत्थर के प्रसाद चढ़ाये जाते हैं. यह मंदिर हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के बादम पंचायत में स्थित है. यहां हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर मेला भी लगता है. यह मेला 4 दिनों तक चलता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2021 8:04 PM
an image

Makar Sankranti 2021, Jharkhand News, Hazaribagh News, बड़कागांव (संजय सागर) : अब तक आप जानते होंगे कि दुनिया के हर मंदिरों में मिठाइयों से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन पत्थरों का प्रसाद मंदिरों में चढ़ाया जाता है. यह कहीं भी आपने नहीं सुना होगा. लेकिन यह सच है कि मंदिर में मिठाई की जगह पत्थर के प्रसाद चढ़ाये जाते हैं. यह मंदिर हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के बादम पंचायत में स्थित है. यहां हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर मेला भी लगता है. यह मेला 4 दिनों तक चलता है.

करणपुरा राज के राजा दलेल सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘शिव सागर’ के अनुसार, 1685 ई में रामगढ़ राज्य की राजधानी बादम बनी. उस दौरान रामगढ़ रांची छठे राजा हेमंत सिंह अपने किले की स्थापना बादम के बादमाही नदी (जिसे हाहारो नदी के रूप में जाना जाता है) के तट पर करणपुरा राज का किला 1685 ईस्वी में स्थापित किया गया था.

हेमंत सिंह के बाद राजा दलेल सिंह द्वारा इस किले को बचाने के लिए बादमाही नदी अर्थात हाहारो नदी का धारा को बदलने के लिए राउतपारा के पहाड़ी चट्टान को काटकर नदी की धारा को मोड़ने का काम किया गया था. मजदूरों द्वारा लोहे की छेनी से पहाड़ को काट- काट कर नदी के मार्ग को बनाया गया था, जिसका निशान आज भी चट्टानों में मिलती है.

Also Read: Minority Scholarship Scam News : केरेडारी के 18 स्कूलों का निकला फर्जी आवेदन, 2 सदस्यीय टीम ने की जांच

बुजुर्गों के अनुसार, अगर यह कार्य नहीं होता, तो हहारो नदी की तेज धारा में करणपुरा किले धराशाई हो सकती थी. ‘शिव सागर’ पुस्तक के अनुसार राजा के किला को बचाने के लिए हेमंत सिंह 5 देवियों की पूजा- अर्चना किया जाता था, जिन्हें आज पंचवाहिनी देवी के नाम से जाना जाता है. इन्हीं देवियों का मंदिर पंच वाहिनी मंदिर के नाम से बादम के ग्रामीणों द्वारा स्थापित किया गया. हर वर्ष पंच वाहनी मंदिर के प्रांगण में 14 जनवरी से 18 जनवरी तक मकर संक्रांति मेला का आयोजन किया जाता है. यह मेला करणपुरा क्षेत्र के बड़कागांव, केरेडारी, टंडवा उरीमारी, रामगढ़ व हजारीबाग क्षेत्र में प्रसिद्ध है.

गुफानुमा जलकुंड

पंचवाहिनी मंदिर के नीचे गुफानुमा जलकुंड है. मकर संक्रांति मेले के दिन यहां लोग स्नान कर पूजा- अर्चना करते हैं. इसी स्थल के पत्थरों को मंदिर में चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि मनोकामना पूरी होने पर यहां पत्थर का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

Posted By : Samir Ranjan.

Exit mobile version