झारखंड : हर घर नल जल योजना में पाकुड़ और गोड्डा फिसड्डी
केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में ‘जल जीवन मिशन योजना’ की शुरू की थी. चार माह बाद मार्च 2024 में यह योजना समाप्त होने वाली है. अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार, देश में ‘हर घर नल जल योजना’ की प्रगति 71.07 प्रतिशत है.
‘जल जीवन मिशन’ के तहत चल रही ‘हर घर नल जल योजना’ में झारखंड के पाकुड़ और गोड्डा जिले देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं. पाकुड़ के सिर्फ 11.33 प्रतिशत घरों तक ही नल से जल पहुंच पाया है. यहां कुल घरों की संख्या 2,26,943 हैं, जबकि अब तक यहां सिर्फ 25,711 घरों तक ही नल से जल पहुंचाया जा सका है. इसी तरह गोड्डा के सिर्फ 18.23 प्रतिशत घरों तक पाइपलाइन के जरिये शुद्ध पेयजल पहुंच पाया है. यहां कुल घरों की संख्या 3,02,773 है, जबकि 55,200 घरों में नल से जल पहुंचा गया है. इस योजना के तहत देश में सबसे पिछड़े जिलों में राजस्थान का बांसवाड़ा, दुर्गापुर, प्रतापगढ़, बेरमर, उत्तर प्रदेश का उन्नाव और असम का वेस्ट करनी अंगलोंगा शामिल हैं. हालांकि, इस योजना में झारखंड के सिमडेगा जिला की प्रगति राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच गयी है. यहां 70.88 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच गया है. सिमडेगा में कुल घरों की संख्या 1,30,075 है, जिसमें से 92,196 घरों में शुद्ध पेयजल पहुंच गया है.
झारखंड के 33 लाख घरों को अब भी नल से जल का इंतजार
केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में ‘जल जीवन मिशन योजना’ की शुरू की थी. चार माह बाद मार्च 2024 में यह योजना समाप्त होने वाली है. अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार, देश में ‘हर घर नल जल योजना’ की प्रगति 71.07 प्रतिशत है. जबकि, राष्ट्रीय औसत के मुकाबले झारखंड 25 प्रतिशत पीछे है. यहां अब तक लगभग 46 प्रतिशत घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा सका है. यानी अब भी राज्य की 54 प्रतिशत आबादी पानी के लिए चापाकल, कुआं, नदी-नालों व अन्य प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है. राज्य सरकार 61.76 लाख घरों में से 28.33 लाख घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचा पायी है. हालांकि, मौजूदा वित्तीय वर्ष में झारखंड में काफी तेजी से काम हुआ है. पिछले आठ माह के दौरान 7.91 लाख घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाया गया है.
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