भगवान महावीर के एक स्लोगन ने बदल दी इंजीनियर अविरल जैन की जिंदगी, 30 लाख का पैकेज छोड़ बनेंगे जैन मुनि
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अविरल जैन 30 लाख की नौकरी छोड़कर जैन मुनि की दीक्षा लेंगे. इन्होंने वाराणसी स्थित आईआईटी बीएचयू से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और वाल मार्ट नामक कंपनी में 30 लाख के पैकेज पर काम कर रहे थे. वे भगवान महावीर के स्लोगन से प्रभावित हुए हैं.
Jharkhand News, गिरिडीह न्यूज (भोला पाठक) : दिल्ली के 29 वर्षीय अविरल जैन मोह-माया त्याग कर ब्रह्मचारी की दीक्षा लेंगे. 14 नवंबर यानी कल रविवार को को जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुबन में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया है. इसमें जिन पांच लोगों को दीक्षा मिलनेवाली है, उनमें से एक अविरल जैन भी हैं. बताया जा रहा है कि ये आईआईटीयन (सॉफ्टवेयर इंजीनियर) हैं. इन्होंने 30 लाख का पैकेज छोड़कर जैन मुनि की दीक्षा लेने का निर्णय लिया है. भगवान महावीर के एक स्लोगन ने इनकी जिंदगी बदल दी. इससे ये काफी प्रभावित हुए और जैन मुनि बनने का फैसला कर लिया.
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर अविरल जैन ने 30 लाख की नौकरी छोड़कर जैन मुनि की दीक्षा लेना पसंद किया है. अविरल ने वाराणसी स्थित आईआईटी बीएचयू से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और वाल मार्ट नामक कंपनी में 30 लाख के पैकेज पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गये. वे भगवान महावीर का स्लोगन ‘बाहर के हजारों शत्रु को जीतने के बजाय अपने अंदर के एक शत्रु को जीत लो तो जीवन धन्य हो जायेगा’ से प्रभावित हुए हैं.
अविरल जैन कहते हैं कुछ पाने के लिए उन्होंने भी पढ़ाई की थी. अच्छे जॉब में आये और फिर पैसे भी कमाये, लेकिन इस अंधीदौड़ का असली ज्ञान उन्हें तब हुआ, जब उन्होंने जैनेंद्र भगवान के जीवन को पढ़ा और समझा. वे कहते हैं कि संसार की चकाचौंध व भौतिकवाद का सुख पाने के फेर में लोग पीछे जा रहे हैं. उन्हें यह भी पता नहीं है कि इससे उन्हें क्या लाभ होगा. वे कहां पहुंचेंगे यानी इस भागमभाग का उद्देश्य तक लोग नहीं जानते. आपको बता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुबन में कल रविवार को दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया है. इसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है.
Posted By : Guru Swarup Mishra