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Jharkhand News: हजारीबाग के बड़कागांव में अलग अंदाज में मनाया जाता है सोहराय पर्व, जानें इसकी महता

पांच दिवसीय सोहराय पर्व की धूम हजारीबाग के बड़कागांव में भी देखने को मिली. जहां गौशालों की साफ-सफाई हुई, वहीं पालतू पशुओं (गाय, बैल, भैंसा, बकरी आदि) की अलग तरीके से स्वागत की जाती है. इस मौके पर चरवाहों को सम्मान दिया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2021 6:52 PM

Jharkhand News (संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग) : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड में दीपावली के अलावा सोहराय का पर्व अनोखा अंदाज में मनाया गया. सोहराय का पर्व 5 दिनों तक मनाया जाता है. जिस दिन पूरे देश में धनतेरस को लेकर छोटी दिवाली मनायी जाती है, उसी दिन से बड़कागांव में सोहराय का पर्व शुरू हो जाता है.

बड़कागांव में किसान अपने गौशालों की लिपाई -पुताई करते हैं. वहीं, दूसरे दिन अपने गाय- बैल एवं भैंसों को बांधने वाले खूंटा को स्थापित कर पूजा- अर्चना करते हैं. तीसरे दिन गाय, बैल और भैंस के कान एवं सिंह में सरसों का तेल लगाकर सिंदूर से उन्हें तिलक लगाया गया. चौथे दिन गाय व बैल के चरवाहों को नया कपड़ा दिया गया. जबकि, पांचवें दिन गौशाला को सजाया गया.

सोहराय पर्व को लेकर किसान गाय, बैल व भैंसों को नहलाते हैं. उसके बाद रिंग के अकार में इन पालतू पशुओं को रंगों से रंगा गया. वहीं, पालतू पशुओं के लिए खीर बनाया गया. सबसे पहले माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने के बाद पालतू पशुओं को खीर खिलाया गया.

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इस संबंध में किसान कालेश्वर राम व मेघन महतो ने कहा कि यह परंपरा बड़कागांव प्रखंड में वर्षों से आयोजित हो रही है. बड़कागांव के खैरा तरी, मिर्जापुर जोराकाठ, इसको, चंदोल समेत अन्य गांव में साेहराय पर्व की धूम रहती है. सोहराय पर्व के पहले सुबह में दशा- माशा किया गया. परंपरा है इस दिन लोग अपने- अपने घरों में टूटे हुए टोकरी व सूप को पीटते हुए सार्वजनिक स्थल पर एकत्रित होकर आग लगाते हैं. मान्यता है कि इस तरह करने से गरीबी दूर होती है.

Posted By : Samir Ranjan.

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