Jharkhand News, Dhanbad News, धनबाद न्यूज : धनबाद अंचल के आमाघाटा मौजा में मोची बस्ती में वासगीत पर्चा के आधार पर सरकारी जमीन के निजी होने का दावा जांच में फर्जी निकला है. यहां 50 डिसमिल जमीन का गलत हुकुमनामा बना कर 21.04 एकड़ सरकारी जमीन की कई बार खरीद- बिक्री और दाखिल खारिज (म्यूटेशन) हुआ. कई बार कुछ म्यूटेशन रद्द भी हुआ. उसमें से कुछ को बीच- बीच में चालू भी कर दिया गया. जालसाजों ने एक ही कलम से SDM और Circle Officer बन कर हस्ताक्षर भी कर दिया.
आमाघाटा मौजा के खाता नंबर 28 के प्लॉट नंबर 187 एवं 161 में सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए चल रहे अभियान के बीच कोका मोची के परिजनों ने सरकारी वासगीत पर्चा होने का दावा किया था. कहा था कि यह जमीन उन लोगों को वर्ष 1956 में धनबाद के तत्कालीन SDM द्वारा बंदोबस्ती की गयी थी. इसी बंदोबस्ती के आधार पर यहां कई बार जमीन की खरीद बिक्री हुई. इस दावा की जांच ADM (विधि-व्यवस्था) चंदन कुमार ने DCLR को करने के लिए कहा था. DCLR सतीश चंद्रा ने सोमवार (8 मार्च, 2021) को अपनी जांच रिपोर्ट ADM को सौंप दी.
जांच टीम ने पाया कि वासगीत पर्चा के संबंध में धनबाद अंचल कार्यालय (Dhanbad Circle Office) में उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार, इसकी जमाबंदी अहलाद महतो के नाम से दर्ज है. लगान रसीद संख्या 3103083 दिनांक 05.09.2003 के जरिये 1.17 डिसमिल जमीन की लगान वसूली अहलाद महतो से हुई है. जमाबंदी संख्या 120 के उपलब्ध प्रति के अनुसार कोका मोची के नाम जमाबंदी संख्या 120 में प्लॉट नंबर 161, रकवा 1.50 तथा प्लॉट नंबर 187 में 2.20 डिसमील जमीन का इंद्राज खाता नंबर 28 के लिए अनुमंडल पदाधिकारी धनबाद के आदेश पर 13.01.1989 के लगान लिये जाने की बात कही गयी है. जबकि उपलब्ध जमाबंदी पंजी में वर्ष 1958-59 में ही लगान वसूली का विवरण अंकित है. वर्ष 1958-59 एवं वर्ष 1989 में एक ही हस्ताक्षर दिख रहा है जो कि संभव नहीं है. इसमें धनबाद अंचलाधिकारी के रूप में हस्ताक्षर भी एक ही व्यक्ति द्वारा किया गया है. यह पूरी तरह संदिग्ध है एवं सच से परे है. जमांबदी को लेकर दावा को जांच टीम ने पूरी तरह से निराधार एवं संदिग्ध बताया है.
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जांच टीम ने हाल के सर्वे के आधार पर सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी (Assistant settlement officer) के पत्रांक 98 दिनांक 06.03.2021 के रिपोर्ट का भी जिक्र किया है. इसमें खाता नंबर 21, 40, 59, 89 एवं 90 के विभिन्न प्लॉटों के रकवा 21.04 एकड़ का खतियान बिहार सरकार के नाम से अंकित किया गया है. यानी यह जमीन पूरी तरह से सरकारी है.
आमाघाटा मौजा के जमाबंदी पंजी के पृष्ट संख्या 28 में गैर आबाद खास के 13.08 एकड़ जमीन को क्रास किया हुआ है. जांच के दौरान जमाबंदी संख्या 35 में अहलाद महतो के नाम से 27 बीघा 14 कठ्ठा बिना किसी खाता नंबर एवं प्लॉट नंबर के अंकित किये जाने तथा बाद में जमाबंदी स्थगित किये जाने का भी पता चला है.
जांच टीम ने पाया कि जमाबंदी संख्या 165 के जरिये धनबाद विकास हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Dhanbad Vikas Housing Construction Co-operative Society Limited) के सचिव वृंदावन दास के नाम से कायम किया गया. बाद में इस जमाबंदी को संदेहास्पद मानते हुए स्थगित कर दिया गया. पुन: धनबाद के तत्कालीन अंचल अधिकारी के आदेश पर 10.02.2010 को जमाबंदी को चालू किया गया. इसके बाद इस भूखंड का कई बार दाखिल-खारिज भी हुआ.
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जांच टीम ने पाया कि प्लॉट नंबर 187 में 50 डिसमिल तथा 184 में 1.90 एकड़ तथा प्लॉट नंबर 138 में 2.28 एकड़ सरकारी जमीन को गलत तथ्यों के आधार पर खरीद बिक्री गयी. यह जमीन पूरी तरह सरकारी है. लेकिन, इसे रैयती बता दिया गया. वर्ष 1930 में न्यायालय के एक आदेश को आधार बना कर इस कांड को अंजाम दिया गया. कुछ भू-खंडों की खरीद बिक्री में झरिया राजा के हुकुमनामा को भी आधार बनाया गया है.
Posted By : Samir Ranjan.