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Jharkhand News : पॉल्ट्री लेयर फार्मिंग की छोटी शुरुआत से आप बन सकते हैं बड़े कारोबारी, ऐसे करें शुरुआत

कोरोना काल ने लोगों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखायी है. पॉल्ट्री लेयर फार्मिंग की छोटी शुरुआत से आप बड़े कारोबारी बन सकते हैं. इसके लिए बैंक से भी लोन की व्यवस्था उपलब्ध है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2021 6:19 PM

Jharkhand News (अशोक कुमार, धनबाद) : वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों को आत्मनिर्भर होने का महत्व समझा दिया है. कोरोना संक्रमण के दौरान काफी संख्या में लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. इसके बाद काफी युवा छोटे-बड़े कारोबार से जुड़ने लगे हैं या फिर ऐसे धंधे तलाशने लगे हैं जिससे सम्मानजनक तरीके से जीविकोपार्जन कर सके.

धनबाद में हर दिन औसतन 5 से 6 लाख अंडे की खपत होती है. स्थानीय उत्पादन से मांग पूरी नहीं होती. इसलिए बंगाल और आंध्र प्रदेश से अंडे मंगाये जाते हैं. धनबाद में अब पॉल्ट्री लेयर फार्मिंग (अंडा उत्पादन) का क्षेत्र संभावनाओं से भरा हुआ है.

कांको के बीरबल मंडल अपने बाबा लेयर फार्म में हर दिन एक लाख से अधिक अंडे का उत्पादन करते हैं. बिहार और झारखंड के सबसे बड़े अंडा उत्पादक बीरबल मंडल की की कंपनी के 4 फार्म है. कांको और राजगंज में एक-एक और तोपचांची में दो फार्म है. उनके फार्म में दो लाख से अधिक मुर्गियां हैं. बीरबल बताते हैं कि उनके फार्म से इतनी बड़ी मात्रा में अंडा के उत्पादन के बाद भी वह धनबाद में हर दिन की मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं.

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22 साल पहले की शुरुआत

बीरबल मंडल ने 22 साल पहले वर्ष 1999 में 5000 मुर्गियों के साथ अपना पहला लेयर फार्म कांको में शुरू किया था. शुरुआत में उन्हें हर दिन 5000 रुपये का सेल होने लगा था. इसके बाद वह धीरे-धीरे इसमें निवेश बढ़ाते चले गये. आज उनके पास जिले में अलग-अलग जगहों पर 4 लेयर फार्म हैं. इनमें से दो पूरी तरह से ऑटोमोटेड है. उन्होंने अपने फार्म में 200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया है.

बीरबल ने इस धंधे की बदौलत अपने दोनों बेटों को उच्च शिक्षा दिलवायी. उनका एक बेटा डॉक्टर है, वहीं दूसरा बेटा MBA करने के बाद उनके इस कारोबार को आधुनिक बना रहा है. उन्होंने कहा कि अंडा पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसे पूरे साल खाया जा सकता है. हालांकि, अक्टूबर से मार्च तक इसकी मांग काफी बढ़ जाती है.

4 महीने में अंडा देने के लिए तैयार हो जाते हैं चूजे

बीरबल बताते हैं कि चूजे को अंडा देने लायक मुर्गी बनने में 4 महीने का समय लगता है. फिलहाल एक अंडा तैयार करने में करीब 3.30 रुपये का खर्च आता है और यह बाजार में 4.50 रुपये तक का बिकता है. यानी एक अंडा से सीधे तौर पर डेढ़ रुपये की बचत होती है. उन्होंने कहा कि अगर आप 10 हजार लेयर बर्ड की फार्मिंग शुरू करते हैं, तो आपको फार्म शुरू करने से 4 महीने के बाद से करीब 15 हजार रुपये की रोजाना आमदनी होगी.

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उन्होंने कहा कि एक एकड़ जमीन में पिंजरा तकनीक से मुर्गी फार्म शुरू किया जा सकता है. मुर्गी पालन का काम चूजों से शुरू किया जाता है. अच्छी वैरायटी का चूजा 30 रुपये का आता है और यह मुर्गी बनने तक (4 महीने) कुल ढाई किलोग्राम दाना खाती है. एक मुर्गी एक साल में 290 से लेकर 330 अंडे देती है. अंडा देने के दौरान यह रोजाना औसतन 110 ग्राम दाना खाती है.

बीरबल ने बताया कि बाजार में अच्छी क्वालिटी का मुर्गी दाना 20 से 22 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलता है. एक चूजे के मुर्गी बनने तक उस पर करीब 130 रुपये का खर्च आता है. इसमें चूजे की कीमत, दाना और अन्य खर्च शामिल है.

उन्होंने कहा कि एक मुर्गी अपने जीवनकाल में तीन वर्ष के उम्र तक अंडे दे सकती है. हालांकि, बाजार के लायक अंडे देने में मुर्गी 18 महीने की उम्र तक ही सक्षम होती है. इसके बाद इन मुर्गियों को बंगाल में मीट कारोबारियों को बेच दिया जाता है. उनके स्थान पर नयी मुर्गियों को रखा जाता है.

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ऐसे करें शुरुआत

बीरबल मंडल बताते हैं कि इस कारोबार की शुरुआत कम से कम 5000 अंडा देने वाली मुर्गियों से की जानी चाहिए. इसके लिए बड़े जगह की जरूरत होती है. एक मुर्गी को रखने के लिए डेढ़ वर्गफीट की जगह चाहिए. इस हिसाब से 5000 मुर्गियों को रखने के लिए 7500 वर्गफुट का लेयर केज चाहिए. पिंजरा में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.

श्री मंडल कहते हैं कि एक दिन में 12 घंटे मुर्गियों को रोशनी अवश्य देनी चाहिए. इसके साथ पिंजरा वाले शेड में तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. गर्मी के दिनों में चट या जूट के बोरे से शेड को किनारे से ढक कर उस पर छिड़काव करनी चाहिए. इससे शेड के अंदर का तापमान नियंत्रण में रहता है.

मुर्गियों को संक्रमण से बचाने के लिए बर्ड फ्लू समेत कुल 12 तरह के टीके समय पर देना चाहिए. साथ ही इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि शेड के अंदर बाहरी लोग प्रवेश ना करें क्योंकि इससे मुर्गियों को संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. अभी कम से कम 20 लाख रुपये का निवेश और एक एकड़ जमीन पर इस कारोबार की शुरुआत की जा सकती है.

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बैंक से मिल सकता है लोन

भारतीय स्टेट बैंक और नाबार्ड द्वारा 5000 मुर्गियों की क्षमता वाली लेयर फार्मिंग के लिए ऋण प्रदान किया जाता है. ऋण कुल लागत का 75 फीसदी तक हो सकता है. इसके लिए प्रोजेक्ट प्लान, उपकरण खरीदने और जमीन आदि का पूरा विवरण बैंक को प्रदान करना होता है. बैंक द्वारा दिये गये लोन को भुगतान करने के लिए 5 से 7 साल की अवधि दी जाती है. यदि आप तय समय में लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं, तो आपको बैंक की ओर से 6 महीने की अतिरिक्त समय प्रदान किया जाता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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