Loading election data...

गांव की सरकार : गुमला का लोंगा पुल बना चुनावी मुद्दा, 11 साल से टेढ़े पिलर को लेकर ग्रामीण पूछने लगे सवाल

गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के लोंगा नदी पर बना पुल चुनावी मुद्दा बन गया है. 11 साल से क्षतिग्रस्त इस पुल की मरम्मती को लेकर आज तक किसी ने सुध नहीं ली. हर बार सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिलता रहा है. पिलर के टेढ़ा होने से लोग जान हथेली पर रखकर कर आवागमन करने को बाध्य हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2022 9:03 PM
an image

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड से 10 किमी दूरी पर है लोंगा नदी. यहां वर्ष 2010 में तीन करोड़ रुपये से पुल बना था, लेकिन भ्रष्टाचार की आंच में बनी घटिया पुल का पिलर नदी में धंस गया है. जिससे एक पिलर टेढ़ा हो गया है. पुल के ऊपर से भार पड़ा या नदी में तेज बहाव आया, तो कभी भी पुल ध्वस्त हो सकता है. पुल का यह हाल वर्ष 2010 में आयी बारिश से हुआ है. पिलर धंसे 11 साल गुजर गये, लेकिन अभी तक इसकी मरम्मत नहीं की गयी है. इस पुल को बनाने का निर्देश ठेकेदार को दिया गया था, लेकिन दोबारा ठेकेदार पुल नहीं बनवा सका. नतीजा आज यह खतरनाक जोन बन गया है. पुल से गुजरते वक्त गाड़ी से उतरकर पार करना पड़ता है. गांव के लोग जान हथेली पर रखकर टेढ़े पुल से सफर करते हैं.

गांवों के लिए यह चुनावी मुद्दा

इस बार के पंचायत चुनाव में दर्जन भर गांवों के लिए यह चुनावी मुद्दा है. हालांकि, इस क्षेत्र के ग्रामीण नेताओं से पूछ रहे हैं कि पुल कब बनेगा, लेकिन इसका जवाब किसी नेता के पास नहीं है. पुल टेढ़ा होने के कारण पुलिस को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है, क्योंकि इसी नदी से होकर देवरागानी, तेंदार, दीरगांव, लुपुंगपाट, विमरला सहित कई गांव के लोग आते-जाते हैं. ये सभी गांव घोर नक्सल है. नक्सली इन इलाकों को सेफ जोन बनाकर रहते हैं. पुल के अभाव में पुलिस को आने जाने में परेशानी होती है. ग्रामीण भी परेशान हैं.

Also Read: झारखंड में पंचायत चुनाव 2022: गुमला में नहीं मिल रहा वोटर लिस्ट, उम्मीदवारों में असंतोष

10 हजार आबादी प्रभावित

अगर पुल बन जाये, तो इस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन आसानी से हो सकेगा. करीब 10 हजार आबादी को फायदा होगा. बता दें कि नक्सल के कारण इस क्षेत्र की सभी छोटी नदियों में पुल निर्माण अधूरा है. आज भी इस क्षेत्र के लोगों को मुश्किलों का सामना कर सफर करना पड़ रहा है.

रिपोर्ट : बसंत साहू, बिशुनपुर, गुमला.

Exit mobile version