Jharkhand Panchayat Chunav 2022: गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड के टांगरडीह निवासी रामचरण भगत (78 वर्षीय) पूर्व सरपंच हैं. 55 साल पहले के चुनाव और वर्तमान चुनाव पर उन्होंने कहा है कि हमारे समय में चुनाव साधारण तरीके से होता था. जिसमें कोई तामझाम नहीं और ना ही एक रुपये का खर्चा था, लेकिन अभी के समय में बगैर तामझाम और बिना पैसे का चुनाव नहीं होता है.
पहले पैदल गांव-गांव घूमते थे प्रत्याशी
पूर्व सरपंच श्री भगत कहते हैं कि वर्ष 1966 में जो उम्मीदवार खड़ा होता था, वह प्रत्येक गांव पैदल जाकर गांव के मुख्य व्यक्ति से मिलता था. अपने चुनाव या उम्मीदवारी संबंधी जानकारी देते थे. फिर वही व्यक्ति पूरे गांव के लोगों को बैठाकर चुनाव या उम्मीदवार के बारे में बताता था. इसके बाद गांव के लोग उम्मीदवार का सपोर्ट करते थे. चुनाव जीताते भी थे. उस समय एक या दो उम्मीदवार होते थे. उस समय चुनाव जीतने के लिए अभी के जैसा पैसा और मशक्कत नहीं करना पड़ती थी.
तीन बार सरपंच बने रामचरण भगत
उन्होंने कहा कि तीन बार सरपंच बना. पहली बार 1966 में फ्रांसिस तिग्गा को हराकर सरपंच बना. दूसरी बार वर्ष 1975 में निर्विरोध सरपंच बना. वहीं, तीसरी बार वर्ष 1979 में हीरा भगत डुमरी को हराकर सरपंच बना था. पंचायत के लोग काम को देख कर जीताते थे. वर्ष 1966 में पंचायत के मुखिया जगरनाथ नायक डुमरी, 1975 में फिलिप तिर्की बघमरिया और 1979 में कान्हू भगत बेलटोली गांव के थे.
पहले मुखिया और सरपंच का काम अलग-अलग
मुखिया और सरपंच का अलग-अलग काम था. मुखिया पंचायत के विकास का काम देखता था, जबकि सरपंच का काम न्याय विभाग देखना था. सरपंच जमीन जायदाद बंटवारा, लड़ाई-झगड़ा, एक्सीडेंट, मारपीट का मामले को सलटाते थे. सरपंच गांव वालों के साथ बैठकर मामले को निपटारा करते थे. इसके एवज में 10 रुपये मिलता था. ये सब काम अपने एक सहयोगी स्वर्गीय मनु भगत के साथ गांव-गांव जाकर करता था. गांव के मुख्य लोग समिति के सदस्य होते थे. वर्तमान डुमरी और नवाडीह पंचायत को मिलकर उस समय एक डुमरी पंचायत था. जिसमें 16 गांव आता था.
पंचायतों में बढ़ा भ्रष्टाचार
उन्होंने बताया कि अभी के पंचायत जनप्रतिनिधियों को सरकार की ओर से कई तरह की सुविधा मिल रही है, लेकिन पहले सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलती थी. ना कोई टीए- डीए था और ना ही वेतन मिलता था. बस गांव-गांव घूमकर लोगों की सेवा करने का काम करते थे. उस काम के बदले हमें नाम और इज्जत मिलती थी. लेकिन, वर्तमान चुनाव बिना पैसा के नहीं होता है. अभी तो चुनाव जीतने और वोट के लिए जमकर पैसा पानी की तरह बहाते हैं. पैसे के बल पर चुनाव जीतते हैं, तो लोगों का विकास क्या होगा. अभी पंचायतों में भ्रष्टाचार बढ़ गया.
रिपोर्ट : प्रेमप्रकाश भगत, डुमरी, गुमला.