गुमला का गुड़मा गांव, जहां कभी नक्सलियों की बोलती थी तूती, आज ग्रामीणों ने बेखौफ होकर की वोटिंग

झारखंड पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. नक्सलियों के गढ़ में भी खूब वोटिंग हुई. ऐसा ही एक गांव गुमला के गुड़मा में है. यहां नक्सलियों ने आठ लोगों को गोलियों से भून दिया था, तब से यहां के ग्रामीण डरे-सहमे रहते हैं. लेकिन, इस चुनाव में पुलिस की मुस्तैदी के बीच ग्रामीण बेखौफ वोटिंग करते दिखे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2022 9:13 PM
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Jharkhand Panchayat Chunav: झारखंड पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) का अंतिम और चौथा चरण भी शुक्रवार को शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. छिटपुट घटनाओं को छोड़ कहीं से कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं आयी. सबसे राहत की खबर नक्सलियों के गढ़ वाले इलाकों से आयी. पुलिस प्रशासन की कड़ी चौकसी के कारण मतदाता इस बार बेखौफ होकर मतदान किये. बुलेट की जगह इस बार बैलेट भारी पड़ गया.

पुलिस की मुस्तैदी में गुड़मा गांव के ग्रामीणों ने किया मतदान

शुक्रवार को चतुर्थ चरण में गुमला जिला के पालकोट प्रखंड में चुनाव हुए. गुड़मा, सेमरा, सड़कटोली में बूथ बनाया गया था. गुड़मा गांव के लोगों ने बताया कि 2008 की घटना के बाद गांव में पुलिस पिकेट की स्थापना की गयी. तब से यहां पुलिस पिकेट है. पुलिस पिकेट के अंदर ही गुड़मा गांव का बूथ बनाया गया था. इसलिए गांव के वोटर वोट डालने पहुंचे थे. ग्रामीणों ने कहा कि अगर पुलिस पिकेट नहीं रहती, तो वोट डालने भी नहीं आते. पुलिस सुरक्षा के कारण ही हमलोग हर चुनाव में यहां वोट डालते हैं.

आठ अप्रैल, 2008 की घटना को याद कर सिहर जाते हैं ग्रामीण

आठ अप्रैल, 2008 की घटना को याद कर आज भी गुमला जिला अंतर्गत गुड़मा, सेमरटोली, खरवाडीह, चीरोडीह, पुरनाडीह, करमटोली, पोंडरकेला, सेमरा सहित आसपास के दो दर्जन गांव के ग्रामीण सिहर जाते हैं. इस दिन शांति सेना के भादो सिंह सहित आठ लोगों को भाकपा माओवादियों ने गोलियों से भूनने के बाद गाड़ी में ठूंसकर जलाकर मार दिया था. पालकोट प्रखंड के सेमरा भंडारटोली जहां यह वारदात हुई थी. अब उस स्थान को लोग भादो मारा के नाम से जानते हैं. चूंकि भादो सिंह इस क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहे थे. इसलिए नक्सलियों ने भादो सहित शांति सेना के सदस्यों को मार दिया था. इसमें तीन बेगुनाह लोग भी मारे गये थे. उस घटना के बाद से अबतक गुड़मा व आसपास के लोग डर में जी रहे हैं. नक्सली डर से कई बड़ी योजनाएं भी अधूरी है. इसमें सेमरा से गुड़मा होते हुए जोड़ाजाम तक 14 किमी सड़क भी नहीं बनी है.

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गुड़मा पिकेट में वोटरों की थी कतार

गुड़मा में बूथ नंबर तीन बनाया गया था. यहां के मतदानकर्मी सह शिक्षक अनुपम कुमार ने बताया कि दिन के 11.14 बजे तक 279 वोट पड़ चुका था. जिसमें महिला 154 एवं पुरुष वोट 125 पड़ा था, जबकि कतार में 70 से अधिक महिला व वोटर खड़े थे. इस बूथ में 539 वोटर है. लेकिन, वोट का प्रतिशत बेहतर था. वहीं, सेमरा स्कूल में बूथ नंबर आठ था. जिसमें खरवाडीह, पोंडरकेला, करमटोली, सेमरा, पुरनाडीह गांव के वोटर वोट डालने पहुंचे थे. यहां 492 वोटर है. जिसमें 10.46 बजे तक 190 वोट हो चुका था. वहीं सड़कटोली स्कूल में बूथ नंबर 11 था. जहां दिन के नौ बजे तक 303 में 80 वोट पड़ा था. साथ ही कतार में 80 से अधिक वोटर खड़े थे.

आज भी नक्सलियों का डर लगता है : नारायण

गुड़मा गांव के नारायण सिंह को भी नक्सलियों ने गोली मारी थी. उसके कंधा को छेदते हुए गोली पीठ से निकल गयी थी. आज भी नारायण के कंधे व पीठ पर लगी गोली के निशान हैं. नारायण ने कहा कि मैं जिंदा हूं. यह ईश्वर की कृपा है. उन्होंने बताया कि वह भादो सिंह के चचेरे भाई हैं. सेमरा जंगल में उसे भाकपा माओवादियों ने घेरकर गोली मारी थी. 2008 के आसपास इस क्षेत्र में नक्सलियों का राज चलता था. कहीं भी घुस जाते थे. अब नक्सली थोड़ा कम हुए हैं, लेकिन अभी भी डर लगता है कि कब नक्सलियों का दस्ता घुस जायेगा. इसी डर से भादो सिंह की मौत के बाद उसकी पुण्यतिथि नहीं मनाते हैं. ना ही उसकी प्रतिमा आज तक स्थापित करने की हिम्मत जुटा पाये हैं.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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