Jharkhand News: झारखंड पंचायत चुनाव में जहां विभिन्न पदों के प्रत्याशियों और उनके समर्थक अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए दिन-रात लगे हुए थे, वहीं प्रशासनिक अधिकारी भी चुनावी प्रक्रिया में जुटे थे. इस कारण पंचायत चुनाव के दौरान गढ़वा जिले के रंका अनुमंडल के (चिनिया प्रखंड को छोड़कर) रंका, रमकंडा, भंडरिया व बड़गड़ प्रखंड के एक भी मनरेगा मजदूर से कार्य नहीं कराया गया. बताया जा रहा है कि रोजगार उपलब्ध कराने के बाद भी अधिकारियों और मेठ की लापरवाही के कारण इन मजदूरों से योजनाओं में कार्य नहीं कराये जाने के कारण स्थिति शून्य रही.
मनरेगा में नहीं कराया गया कार्य
रिपोर्ट के अनुसार इन चार प्रखंडों के मजदूरों ने मई महीने से लेकर अब तक (छह जून तक) मनरेगा से संचालित बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत आम बागवानी, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), डोभा निर्माण, सिंचाई कूप, पशु शेड निर्माण जैसी योजनाओं के लिए काम की मांग की. इसके एवज में सिर्फ 666 मजदूरों को विभिन्न योजनाओं में रोजगार उपलब्ध कराने की खानापूर्ति की गयी, लेकिन रोजगार उपलब्ध कराने के बाद अधिकारियों और मेठ की लापरवाही के कारण इन मजदूरों से योजनाओं में कार्य नहीं कराये जाने के कारण स्थिति शून्य रही.
मजदूरों से नहीं कराया काम
जानकारी के अनुसार मई महीने में बड़गड़ प्रखंड के महज 178, भंडरिया प्रखंड के 81, रमकंडा प्रखंड के 251 व रंका प्रखंड के 156 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इसी तरह छह जून तक बड़गड़ प्रखंड के 295, भंडरिया प्रखंड के 36 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है, लेकिन इन मजदूरों से कार्य नहीं कराया गया, जबकि रमकंडा में 27884, बड़गड़ में 11142, भंडरिया में 17635 व रंका में 27884 मनरेगा मजदूर पंजीकृत हैं.
19 हजार योजनायें ऑनगोइंग, बावजूद काम शून्य
जानकारी के अनुसार गढ़वा जिले के इन चार प्रखंडों में मनरेगा से संचालित करीब 19 हजार योजनायें ऑनगोइंग हैं. इनमें पशु शेड, मिट्टी मोरम सड़क निर्माण व मरम्मत, डोभा निर्माण, बिरसा हरित आम बागवानी, मेड़बंदी, समतलीकरण जैसी रंका प्रखंड में 11934, रमकंडा प्रखंड में 4483, बड़गड़ प्रखंड में 1096 व भंडरिया प्रखंड में 1254 योजनायें शामिल हैं. बावजूद इन प्रखंडों में मई महीने से लेकर अब तक सिर्फ 666 मजदूरों को ही काम उपलब्ध कराया गया, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मॉनिटरिंग व मेठ की कमी से मजदूरों से योजनाओं में काम नहीं कराया गया.
मनरेगा की स्थिति खराब, अधिकारी भी नहीं ले रहे रुचि
वित्तीय वर्ष 2021-22 से कैटेगरी अनुसार मजदूरों की भुगतान प्रक्रिया की शुरुआत के अलावा छह छह महीने तक मनरेगा मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने से इन दिनों मनरेगा की स्थिति खराब है. बताया गया कि मजदूरी से लेकर सामग्री भुगतान में काफी देरी के कारण अधिकारी से लेकर मेठ और योजना से जुड़े बिचौलिओं का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है. इस कारण मनरेगा के कार्य में पूर्व की तरह लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं. मजदूर भी यहां काम करना नहीं चाहते हैं. वित्तीय वर्ष 2021-22 से लेकर अब तक मजदूरी और सामग्री मद में करोड़ों रुपये का भुगतान अटका हुआ है.
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रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा