गुमला की किरण बिलुंग इडली बेच चलाती थी जीविका, चुनाव जीत बनीं मुखिया, अन्य विजयी प्रत्याशियों को भी जानें
गुमला में गांव की सरकार का असली हकीकत देखने को मिला है. कोई इडली बेचकर जीविका चला रही थी, तो कोई जलसहिया थी, तो किसी ने धान और बैल बेचकर प्रत्याशी बने थे और सभी विजयी बनकर मुखिया बने हैं. अब पंचायत के विकास का भार इनलोगों के कंधों पर है.
Jharkhand Panchayat Chunav Result: झारखंड पंचायत चुनाव के पहले चरण का नतीजा आ रहा है. अब गांव की सरकार की असली हकीकत देखने को मिल रही है. कोई इडली बेचकर जीविका चलाने वाली महिला प्रत्याशी चुनाव जीतकर मुखिया बनी है, तो जलसहिया भी मुखिया पद पर निर्वाचित हुई है. इसके अलावा गरीबी के कारण धान और बैल बेचा और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरकर मुखिया बने हैं. यहां ऐसे ही विजयी प्रत्याशियों की गाथा बता रहे हैं, जो गरीबी में रहकर मुखिया चुनाव जीते हैं.
कभी बेचती थी इडली, अब किरण बिलुंग बनी मुखिया
रायडीह प्रखंड के नवागढ़ पंचायत की किरण बिलुंग अपने दम पर चुनाव जीत मुखिया बन गयी. वह अपने पति के साथ रायडीह बस स्टैंड में इडली बेचती है. लेकिन, शुरू से समाजसेवा और लोगों के लिए कुछ करने का जज्बा पाले किरण ने इसबार चुनाव लड़ी. जनता ने पूरा साथ दिया और वह चुनाव जीत गयी. किरण गरीब परिवार से है. वह अपने पति के साथ बस स्टैंड में छोटा दुकान की है. जहां वह इडली बेचती है. इडली बेचकर वह कुछ पूंजी जमा की थी. उसी पैसे से चुनाव लड़ी. किस्मत ने साथ दिया. वह चुनाव जीत खुश है. उन्होंने बताया कि वह चुनाव प्रचार में अपने पति के साथ घर-घर घूमी. लोगों से वोट देने की अपील की. पति व खुद की मेहनत के बल पर उन्होंने नवागढ़ पंचायत से मुखिया बन अब क्षेत्र का विकास करना चाहती है.
जलसहिया मार्था एक्का बनी मुखिया
इसी प्रकार जरजट्टा पंचायत की मार्था एक्का अपने गांव की जलसहिया है. जलसहिया बनकर वह अक्सर मुखिया बनने का ख्वाब देखी थी. अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए उसने इसबार चुनाव लड़ी और वह चुनाव जीत मुखिया बन गयी. उन्होंने कहा कि अब उसपर पूरे पंचायत के विकास करने की जिम्मेवारी है. साथ ही जनता के उम्मीदों पर हमेशा खरा उतरने की कोशिश करेगी.
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धान और बैल बेचकर चुनाव जीता
सिसई प्रखंड के पंडरिया पंचायत से केश्वर उरांव चुनाव जीतकर मुखिया बन गये. उन्होंने पंचायत की पूर्व मुखिया के पति घीनु उरांव को हराया है. केश्वर को 786 व घीनु को 403 वोट मिला है. केश्वर किसान है. खेतीबारी कर परिवार का जीविका चलाता है. वे अक्सर पंचायत के बारे में सोचते रहते थे. इसलिए वे घर में खाने के लिए रखे धान को 30 हजार रुपये व खेत जोतने वाले एक बैल को 15 हजार रुपये में बेच दिया. इसके बाद वह 45 हजार रुपये लेकर चुनाव लड़ने मैदान में उतर आया. किस्मत ने उसका साथ दिया. धान व बैल बेचकर वह चुनाव जीत गया. पहली बार मुखिया बनकर वह खुश है. उन्होंने कहा कि अब उसका सपना अपने पंचायत का विकास करना है.
प्रमुख से बनें मुखिया, भतीजा को हराया
रायडीह प्रखंड के परसा पंचायत से इस्माइल कुजूर मुखिया बनें. यह तीसरा चुनाव है. जब जनता ने उनका साथ है. सबसे पहले वे मुखिया बनें थे. इसके बाद प्रमुख बनें. इसबार पुन: मुखिया पद के लिए चुनाव लड़े. इसबार भी जनता ने उन्हें साथ दिया. इस्माइल कुजूर ने अपने ही भतीजे मनोज कुजूर को हराया है. इस्माइल कुजूर ने कहा कि मैं जनता का प्रतिनिधि हूं. चुनाव जीतकर मैं हर समय जनता के बीच रहकर काम करता रहा हूं. जनता के हर दुख में मैं उनके साथ हूं. पंचायत के विकास के लिए भी मैं प्रयास करते रहता हूं. इसलिए जनता ने मेरा साथ दिया. मुझे चुनाव जीताया.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.