झारखंड पंचायत चुनाव : गुमला में जहां नक्सलियों का है राज, वहां ग्रामीणों ने दिखाया वोट का दम
झारखंड पंचायत चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ. इस चरण में भी बुलेट पर बैलेट भारी रहा. गुमला के नक्सल प्रभावित बूथों में ग्रामीण बिना डर-भय के वोटिंग करते दिखे. वहीं, डीसी-एसपी भी अति संवेदनशील बूथों पर विशेष नजर बनाए हुए थे.
Jharkhand Panchayat Chunav: झारखंड पंचायत चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग मंगलवार (24 मई, 2022) को खत्म हो गयी. इस चरण के चुनाव में भी बुलेट पर बैलेट हावी रहा. जहां नक्सलियों का राज है. वहां ग्रामीणों ने वोट का दम दिखाया. ना कोई डर. ना कोई भय. गांव की सरकार चुनने के लिए सुबह से बूथों में ग्रामीणों की भीड़ थी. नक्सलियों के हर फरमान का ग्रामीण बैलेटे पर ठप्पा मारकर जवाब दे रहे थे.
वोटिंग को लेकर ग्रामीणों में उत्साह
गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़, सिविल और तलेबा स्कूल में बूथ बना था. इन तीनों स्कूलों में 18 बूथ बनाया गया था. केरागानी उत्तरी एवं केरागानी पश्चिमी के बूथ में सिर्फ नौ बजे तक मात्र आठ-आठ वोट पड़े थे. बाकी सभी बूथों में बंपर वोटिंग हुई थी. तबेला स्कूल में सोकराहातू गांव का बूथ 113 था. जहां पौने नौ बजे तक 80 वोट पड़ा था. सोकराहातू व तबेला की दूरी सात किमी है. इसके बाद भी सोकराहातू गांव के लोग पैदल चलकर बूथ तक पहुंचे. वहीं बारडीह के बूथ 109 में 78, तबेला के बूथ 110 में 88, कुकरूंजा गांव के बूथ 111 में दिन के नौ बजे तक 55 वोट, कोल्दा के बूथ 112 में 82 वोट पड़ा था.
10 किलोमीटर की दूरी तय ग्रामीण पहुंचे वोटिंग करने
सबसे परेशानी कोचागानी गांव के ग्रामीणों को हुई. ग्रामीण 10 किमी की दूरी तय कर तबेला स्कूल में बनाये गये बूथ में पहुंचे. दिन के 9.20 बजे तक 81 वोट पड़ा था. लोग इतनी दूरी तय कर भी वोट मारने पहुंचे. कुछ लोग गाड़ी से तो कुछ जंगल व पहाड़ी रास्ता से होकर बूथ पहुंचे थे. उरू गांव के बूथ 105 में 51 वोट पड़ा था. वहीं सिविल गांव के स्कूल में बने रोघाडीह, सिविल व घुसरी गांव के बूथ में पौने 10 बजे तक 199 वोट पड़ा था. कुरूमगढ़ स्कूल में छह बूथ बनाया गया था. जहां हर एक बूथ में साढ़े 10 बजे तक 100 से अधिक वोट पड़ा था. इस क्षेत्र में भाकपा माओवादी रहते हैं. इसके बाद भी यहां वोटरों ने बेखौफ वोट डाला.
डीसी और एसपी घाटी से होकर पहुंचे बूथ
सोकराहातू घाटी से चढ़कर कोई डीसी बारडीह, उरू, सिविल और कुरूमगढ़ इलाके में नहीं घुसा है. सात साल पहले सिर्फ गुमला के एसपी भीमसेन टुटी उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर सिविल गांव तक गये थे. उस समय एसपी ने माओवादियों द्वारा नदी के किनारे मचान में छिपाकर रखे गये हथियारों को बरामद किया था. सात साल बाद गुमला डीसी सुशांत गौरव व एसपी डॉ एहतेशाम वकारीब ने सोकराहातू घाटी से होकर कुरूमगढ़ जाने की हिम्मत दिखायी है. नक्सल डर के कारण कभी पूर्व के डीसी इस रास्ते से होकर नहीं गुजरे हैं. डीसी के इन इलाकों में घुसने से लोग खुश हैं.
नक्सलियों के खिलाफ वोटिंग हुआ
तबेला गांव के स्कूल में नौ बूथ बनाया गया था. यहां सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवान थे. बूथ के समीप एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं थे. सभी सुरक्षाकर्मी स्कूल के चारों और बूथ को घेरकर पेड़ों के समीप मोर्चा लिये हुए थे. जबकि बूथ में वोटरों की लंबी कतार लगी हुई थी. हर एक बूथ में महिला, पुरुष व युवा वोटर खड़े थे. यहां बता दें कि तबेला एक समय में नक्सलियों का सेफ जोन था. यहां नक्सली बैठक करते थे. स्कूल के बरामदे में सोते थे. परंतु डेढ़ साल पहले 15 लाख के इनामी बुद्धेश्वर उरांव के मारे जाने के बाद इस क्षेत्र में नक्सलियों का आना-जाना बंद हो गया है. इसलिए इसबार के पंचायत चुनाव में किसी प्रकार की खलल नहीं पड़ी और हर घर से वोटर निकले और वोट डालें.
डीसी ने हेल्थ कैंप की प्रशंसा की
अति संवेदनशील माने जाने वाले कटकाही व कुरुमगढ़ के बूथों पर मेडिकल कैंप लगाया गया था. कुरुमगढ़ मेडिकल कैंप में सीएचओ ममता बाघमार, एएनएम पुष्पा मिंज, एमपीडब्ल्यू शिवनाथ उरांव ने 60 मरीजों की जांच कर उनके बीच दवा का वितरण किया. कुरुमगढ़ बूथ पर पहुंचे डीसी एवं एसपी ने स्वास्थ्य कैंप की सुंदर व्यवस्था देखकर स्वास्थ्य कर्मियों व कैंप की प्रशंसा किया. जबकी कटकाही बूथ में मेडिकल कैंप में सीएचओ शशि प्रेमा एक्का, एएनएम कृष्णा कुमारी, एमपीडब्ल्यू आलोक कुमार ने कई मरीजों का इलाज कर दवा का वितरण किया.
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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.