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हड़िया बेचनेवाली महिलाओं के जीवन में बदलाव नहीं ला सकी फूलो-झानो आशीर्वाद योजना, 3 साल में 2084 को ही मिला लाभ

नशा-मुक्ति और ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने वाली यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी. योजना को गति देने के लिए कर्ज की राशि 10 हजार से बढ़ा कर 25 हजार कर दी गयी है, पर सरकारी बाबुओं की यही गति रही तो यह योजना एक बार फिर कागजों में सिमट कर रह जायेगी.

धनबाद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह महिलाएं हड़िया बेचते मिल जायेंगी, लेकिन इनके लिए बनी फूलो-झानो आशीर्वाद योजना भी इनके जीवन में बदलाव नहीं ला सकी. जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में सिर्फ 2084 महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिल सका है. असल में, इस योजना को लेकर प्रचार-प्रसार की कमी रही है. होना यह था कि हर इलाके में ऐसी महिलाओं को चुन कर उन्हें काम के लिए प्रोत्साहित करना था. अक्तूबर 2020 में इस योजना के शुरू होने के बाद कुछ काम भी हुआ, महिलाएं चिह्नित की गयीं, 10-10 हजार रुपये भी दिये गये, पर धीरे-धीरे अभियान को लेकर उत्साह कम होता गया. यहां उल्लेखनीय है कि जिन महिलाओं को योजना से पैसे मिले, शत-प्रतिशत लोन वापस भी कर दिया. बावजूद नशा-मुक्ति और ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने वाली यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी. योजना को गति देने के लिए कर्ज की राशि 10 हजार से बढ़ा कर 25 हजार कर दी गयी है, पर सरकारी बाबुओं की यही गति रही तो यह योजना एक बार फिर कागजों में सिमट कर रह जायेगी.

पूर्वी टुंडी में सबसे ज्यादा, धनबाद में सबसे कम लोन

फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत वर्ष 2020 से सितंबर 2023 तक धनबाद जिला के विभिन्न प्रखंडों में कुल 2084 महिलाओं को लोन दिया गया. जेएसएलपीएस अधिकारियों के अनुसार हड़िया-दारू बेचने वाली जिन महिलाओं ने भी आवेदन दिया, उन सबको दीदी समूह से जोड़ कर लोन उपलब्ध कराया गया. तीन चरणों में लोन दिया गया. धनबाद जिला में सबसे ज्यादा लोन पूर्वी टुंडी प्रखंड में 444, टुंडी में 366, तोपचांची में 276, गोविंदपुर में 231, निरसा में 225, केलियासोल में 94, एग्यारकुंड में 23, बलियापुर में 216 तथा सदर धनबाद प्रखंड में 22 महिलाओं को दिया गया है.

जानें फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के बारे में

झारखंड सरकार ने वर्ष 2020 में हड़िया-दारू बेचने वाली ग्रामीण महिलाओं के लिए फूलो-झानो आशीर्वाद योजना शुरू की थी. इसके तहत ऐसी महिलाओं को दूसरे कारोबार के लिए जेएसएलपीएस द्वारा गठित दीदी समूह के जरिये 10-10 हजार रुपये का लोन दिया गया. इस राशि को अगर एक वर्ष के अंदर लौटा दिया जाता है, तो ब्याज नहीं लगता. एक वर्ष के बाद ब्याज लगता है. वर्ष 2023 में इस योजना के तहत मिलने वाली लोन की राशि को बढ़ा कर 25 हजार रुपये प्रति महिला कर दिया गया.

जब बैंक एनपीए की मार से जूझ रहे, गांव की गरीब महिलाओं ने दिखाया आईना

नशा मुक्ति और ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के उद्देश्य से फूलो-झानो आशीर्वाद योजना लांच की गयी थी. किसी भी योजना के तहत लोन लेकर नहीं लौटाने की शिकायतें हमेशा मिलती रहती हैं. खासकर सरकारी योजनाओं में. लेकिन धनबाद जिला के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं लोन चुकता करने में मिसाल पेश की हैं. जिन महिलाओं ने लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया, आज अपने पांव पर खड़ी हैं. सबसे बड़ी बात कि पिछले तीन वर्षों में इस योजना के तहत लोन लेने वाली किसी महिला का लोन एनपीए नहीं हुआ, जबकि बड़े-बड़े उद्यमियों का लोन एनपीए हो जा रहा है. अगर इस योजना का सही से प्रचार-प्रसार हो जाये, तो यह सुदूर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं व गरीब परिवारों के लिए वरदान बन जायेगी.

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सावित्री देवी : पहले बेचती थी हड़िया, अब कर रही सिलाई

बलियापुर के कुसमाटांड़ की सावित्री देवी ने फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत लोन लेकर सिलाई का काम शुरू किया. पूर्व में उसकी आर्थिक स्थिति दयनीय थी. जीवन-यापन करने के लिए हड़िया दारू बेचती थी. अपनी मेहनत के बल पर न केवल लोन की राशि चुकता की, अब अपने परिवार का पालन-पोषण आराम से कर रही है.

मोनी हेंब्रम : हड़िया की जगह अब कर रही पशुपालन

बारईगाढ़ा निवासी मोनी हेंब्रम ने फूलो-झानो योजना के तहत सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में आवेदन दिया था. आवेदन के तीन महीने बाद सती आजीविका सखी मंडल सहायता समूह द्वारा उन्हें 25 हजार का ऋण दिया गया. इससे गाय और सूअर खरीद कर पाल रही है. मोनी के गांव में अब भी दर्जनों महिलाएं हड़िया बेचकर अपनी आजीविका चला रही हैं.

बलियापुर : 31.80 लाख रुपये का लोन वितरित

बलियापुर प्रखंड में फूलो-झानो आशीर्वाद योजना की प्रगति अच्छी है. बलियापुर प्रखंड में इस योजना के तहत कुल 31 लाख 80 हजार रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया गया है. इसके अलावा महिलाएं बैंक से सीसी लोन और सीआइएफ लोन लेकर पुराने व्यवसाय हड़िया-दारू बेचना छोड़कर सम्मानजनक आजीविका कार्य से जुड़ी हैं. कुछ दीदी पशुपालन, दुकान, टेलरिंग, सब्जी की खेती, कृषि कार्य कर अपनी आय बढ़ा रही हैं.

निरसा के कुछ गांवों में अब भी हड़िया बेच रहीं महिलाएं

निरसा प्रखंड में 225 लाभुकों का चयन किया गया है. हालांकि कुछ चिह्नित स्थानों पर महिलाओं द्वारा हड़िया बेचने का काम अब भी जारी है. निरसा में प्रथम चरण में 61 का चयन किया गया. इन्हें स्वयं सहायता समूह से जोड़कर बिना ब्याज के 10 हजार रुपये का लोन दिया गया. द्वितीय चरण में 110 तथा तृतीय चरण में 54 महिलाओं को जोड़ा गया. इन्हें 25 हजार रुपये ब्याज मुक्त ऋण दिया गया. विभिन्न योजनाओं से जुड़कर लाभान्वित हो रही हैं. जेएसएलपीएस के प्रबंधक विजय वर्मा ने कहा कि सभी 225 महिलाओं को 200 सहायता समूह से जोड़कर लाभ दिया गया है. श्री वर्मा ने कहा कि महिलाओं द्वारा हड़िया बेचने की जानकारी नहीं है. जितने के आवेदन आये हैं, उन लोगों को सहायता समूह में समायोजित कर लाभ पहुंचाया गया. वह अभी अच्छा व्यवसाय कर रही हैं.

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