झारखंड : सेंट्रल सिल्क बोर्ड के सचिव ने किया कोल्हान का दौरा, तसर की घटती उपज पर चिंता जतायी

भारत सरकार के सेंट्रल सिल्क बोर्ड के सदस्य सचिव पी. शिवकुमार (आइएफएस) ने रविवार को खरसावां पीपीसी का दौरा किया. उन्होंने रेशम की बारीकी से अवलोकन करने के साथ अधिकारी व तसर किसानों के साथ विचार-विमर्श किया.

By Prabhat Khabar News Desk | November 27, 2023 1:24 PM

भारत सरकार के सेंट्रल सिल्क बोर्ड के सदस्य सचिव पी. शिवकुमार (आइएफएस) ने रविवार को खरसावां पीपीसी का दौरा किया. उन्होंने रेशम की बारीकी से अवलोकन करने के साथ अधिकारी व तसर किसानों के साथ विचार-विमर्श किया. उन्होंने झारखंड समेत देशभर में तसर कोसा की घटती उपज पर चिंता जतायी. कहा कि तीन वर्ष पहले तक देश में 3800 मीट्रिक टन तसर कोसा का उत्पादन होता था, लेकिन पिछले वर्ष मात्र 1300 मीट्रिक टन ही उत्पादन हुआ. तसर उत्पादन में झारखंड देश का अग्रणी राज्य रहा है. पिछले तीन वर्षों से झारखंड में भी तसर उत्पादन में कमी आयी है. देश में कुल उत्पादन का 60 से 70 फीसदी प्रोडक्शन झारखंड से ही होता है. ऐसे में झारखंड में भी पिछले तीन वर्षों से पूर्व के मुकाबले करीब 25-30 फीसदी तसर कोसा के उत्पादन में कमी आयी है. जहां भी खामियां है, उसे दूर किया जायेगा. उन्होंने तसर कोसा का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया.

तसर की खेती को बढ़ाने के लिये सात वैज्ञानिकों की हुई पदस्थापना

सेंट्रल सिल्क बोर्ड के सदस्य सचिव पी. शिवकुमार ने कहा कि तसर कोसा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार कार्य कर रही है. हाल ही में सेंट्रल सिल्क बोर्ड ने झारखंड में सात तसर वैज्ञानिकों की पदस्थापना की है, जो किसानों को तसर की खेती में हर तरह से सहयोग करेंगे. सिल्क समग्र-टू के तहत भी कई योजना चलायी जा रही है. इस वर्ष झारखंड को सेरिकल्चर सेक्टर में 35 हजार रुपये आवंटित की गयी है. अगले वर्ष इस राशि में भी बढ़ोतरी की जायेगी.

तसर उत्पादन के भावी कार्य योजनाओं पर चर्चा

सेंट्रल सिल्क बोर्ड के सदस्य सचिव पी शिव कुमार ने तसर रेशम उत्पादन की भावी कार्य योजना पर सामूहिक विचार मंथन किया. सरायकेला, सारंडा व चाईबासा वन प्रमंडल के डीएफओ से भी चर्चा कर अर्जुन के पेड़ लगाने व तसर की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया. कृषकों के साथ संवाद करते हुए उनकी बातों को सुना. कृषकों को सामग्री का वितरण, कोसा का उचित मूल्य व मूल्य में वृद्धि, कोकून खरीद की व्यापक व्यवस्था, बीज का अधिक उत्पादन व बीमारी से बचाव की व्यवस्था करने पर जोर दिया.

झारखंड में कीटपालन कार्य से जुड़े हैं 2.22 लाख किसान

रांची के निदेशक डॉ एनबी चौधरी ने तसर की खेती के प्रमुख लाभों को इंगित करते हुए कहा कि यह पर्यावरण हितैषी, कार्बन पृथक्करण में सक्षम, गरीब आदिवासियों के परम्परागत ग्रामीण रोजगार की धुरी है. झारखंड में 2.22 लाख लोग कीटपालन कार्य से जुड़े हैं. पूरे देश का झारखंड में 60 से 70 प्रतिशत तसर उत्पादन होता है. कोल्हान तसर उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है, जहां झारखंड के तसर उत्पादन का 40 प्रतिशत उत्पादन होता है. कार्यक्रम में डीएफओ सरायकेला आदित्य कुमार, सहायक निदेशक (रेशम) कोल्हान केके यादव, वैज्ञानिक डॉ जय प्रकाश पाण्डेय आदि उपस्थित थे.

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