Jharkhand Tourism: ठंड बढ़ते ही झारखंड में शुरू हुई विदेशी पक्षियों की चहचहाहट, खंडोली डैम की बढ़ी रौनक
ठंड बढ़ने के साथ ही गिरिडीह में विदेशी मेहमानों की चहचहाहट तेज हो गयी है. जिले के सभी डैम और तालाब भर गये हैं. खंडोली डैम में भी विदेशी पक्षियों के आने से वातावरण मनमोहक एवं आकर्षक हो गया है.
झारखंड के गिरिडीह में इनदिनों विदेशी पक्षियों की चहचहाहट तेज हो गयी है. विदेशी मेहमानों के आने से वातावरण मनमोहक एवं आकर्षक हो गया है. विदेशी मेहमानों से गिरिडीह के सभी डैम और तालाब भर गये हैं. खंडोली डैम और अधिक सुंदर लगने लगा है. गिरिडीह का खंडोली डैम इन दिनों विदेशी पक्षियों के आगमन से गुलजार हो गया है.
सबसे अधिक साइबेरियन डक एवं साइबेरियन क्रेन आते हैंहर साल ठंड के मौसम में यहां प्रवासी पक्षी आते हैं और इन पक्षियों के कलरव से पूरा इलाका गुंजित हो उठता है. खासकर गिरिडीह का खंडोली जलाशय. प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन डक एवं साइबेरियन क्रेन सबसे अधिक आते हैं. इसके अलावा पोचार्ड, लिटिल ग्रेवी, ब्राह्मणी जैसी प्रजातियां भी खंडोली में चार माह तक अपना डेरा जमाते हैं.
जानकर बताते हैं कि साइबेरियन पक्षी पूर्व के निर्धारित मार्ग पर ही ठंड के मौसम में नवंबर माह में आते हैं और फरवरी के अंत या मार्च की शुरुआत में चले जाते हैं. असल में शीत ऋतु में ठंडे प्रदेशों में सभी जलाशय बर्फ से ढक जाते हैं. इस वजह से वहां विचरण करने वाले पक्षी भोजन की तलाश में सात समंदर पार कर यहां तक पहुंचते हैं. फिलहाल साइबेरियन पक्षियों के आगमन से खंडोली में पर्यटन गतिविधियां काफी बढ़ गई है.
सर्दी के मौसम में उमड़ती है पर्यटकों की भीड़सर्दी का मौसम शुरू होते ही प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण खंडोली पर्यटन स्थल पर घूमने के शौकीन लोगों की चहलकदमी बढ़ जाती है. पर्यटक स्थलों का अवलोकन करने और घूमने का सबसे खूबसूरत मौसम ठंड का ही होता है. प्राकृतिक खूबसूरती से लैस खंडोली पर्यटन स्थल पर लोग अमूमन सर्दी के मौसम में जाना पसंद करते हैं. वैसे तो सालों भर यहां पर्यटकों के आने का सिलसिला जारी रहता है, लेकिन सर्दी के समय घूमने के पीछे एक और कारण है. क्योंकि इस मौसम में खंडोली डैम की सुंदरता में चार चांद लग जाता है, क्योंकि इस मौसम में यहां काफी संख्या में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है जिससे पूरा डैम गुलजार हो जाता है. इस साल भी यहां विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. लेकिन, पिछले वर्ष की तुलना में विदेशी पक्षियों की संख्या में थोड़ी कमी आयी है.
रिपोर्ट : मृणाल कुमार, गिरिडीह.