झारखंड के इन गांवों के आदिवासी व दलित परिवार वर्षों से पी रहे नाला व चुएं का गंदा पानी, ये है इनका दर्द
Jharkhand News: ग्रामीणों ने बताया कि इसी नाले का गंदा पानी वर्षों से पी रहे हैं. गर्मी के दिनों में नाले में पानी सूख जाने के बाद चुआं खोद ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं. अधिकारी व जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आते हैं फिर ग्रामीणों की समस्या को भूल जाते हैं.
Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड अंतर्गत डाडीघाघर पंचायत के पूरनपनियां एवं सिमरातरी गांव के ग्रामीण आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी पहाड़ी नाले और चुआं खोदकर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने भाजपा नेता रमेश कुमार हेम्ब्रोम के साथ पानी की समस्या से कई बार स्थानीय विधायक, सांसद एवं अधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन समाधान नहीं हुआ. इंडियन सोशल एक्टिविस्ट डॉ देवेंद्र सिंह देव ने इसे गंभीरता से लिया है. टोले में पेयजल की समुचित व्यवस्था करवाने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समस्याओं से रू-ब-रू कराने और हर हाल में स्वच्छ पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने की बात कही है.
पूरनपनियां गांव के ऊपर टोला में करीब 20 घर में एक सौ परिवार निवास करते हैं. इस टोले में एक भी कुआं नहीं है. बड़े वाहनों के जाने के लिए रास्ता नहीं होने के कारण चापानल भी नहीं है. इस टोले से सटा उत्तर पशिचम दिशा में पहाड़ है. पहाड़ के बीच से एक नाला निकला है, जो बनहे बाबा नाला के नाम से जाना जाता है. ग्रामीण रामसहाय मांझी, भुवनेश्वर मांझी, लक्ष्मण मांझी, करमा मांझी, तुलसी मांझी,महिलाल मांझी समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इसी नाले का गंदा पानी वर्षों से पी रहे हैं. गर्मी के दिनों में नाले में पानी सूख जाने के बाद चुआं खोद ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं. अधिकारी व जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आते हैं फिर ग्रामीणों की समस्या को भूल जाते हैं.
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इनकी पीड़ा
सिमरातरी गांव के हेठ टोला में भी पानी की समस्या है. इस टोले में करीब 22 घर हैं, जिसमें 120 लोग निवास करते हैं. इस टोला में एक भी कुआं नहीं है. एक चापानल है, पर उससे आयरन युक्त लाल गंदा पानी निकलता है जो पीने लायक नहीं है. ग्रामीण झंडू सिंह, महेंद्र सिंह, प्रकाश सिंह, बालेश्वर सिंह, नकूलदेव सिंह समेत अन्य लोगों का कहना है कि हमलोग सालों भर चुएं खोदकर ही पानी पीते हैं, कोई अधिकारी गांव नहीं आते हैं. नेता भी वोट के समय आते हैं और झूठा दिलासा देकर चले जाते हैं.
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रिपोर्ट: रामशरण शर्मा