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झारखंड के दो शिक्षकों को मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

झारखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है. शिक्षकों को पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र व शॉल दिया गया.

चतरा, मो. तसलीम : झारखंड के दो शिक्षकों को शिक्षक दिवस के अवसर पर मंगलवार को दिल्ली में ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया है. शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया. शिक्षकों को पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र व शॉल दिया गया. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए इस वर्ष झारखंड से दो शिक्षक का चयन किया गया था. जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया, उनमें मध्य विद्यालय दीवानखाना चतरा के प्रभारी प्रधानाध्यापक मो इजाजुल हक और सैनिक स्कूल तिलैया कोडरमा के कंप्यूटर साइंस के शिक्षक मनोरंजन पाठक शामिल हैं. राष्ट्रपति से अवार्ड लेने का मौका मिलना गर्व की बात है. मनोरंजन पाठक ने इसे अपने व परिवार के साथ ही पूरे सैनिक स्कूल के लिए गौरव का पल बताया.

बता दें कि मध्य विद्यालय दीवानखाना के प्रभारी प्रधानाध्यापक मो इजाजुल हक को यह सम्मान खेल-खेल में बच्चो को पढ़ाने, सामाजिक कार्याे के तहत छात्रो की बेहतरी के लिए हमेशा कार्य करने, अभिवंचित वर्ग के बच्चो को शिक्षा से जोड़ने, कला आधारित बच्चों को पढ़ाने पर दिया गया. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद मो इजाजुल हक ने कहा कि वे काफी खुश है. देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति से अवार्ड लेने का मौका मिलना गर्व की बात हैं. हमने जो काम किया हैं, उसको सराहना देने के लिए जिला, राज्य व देश के पदाधिकारियों के प्रति आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि 29 साल की यात्रा के लिए प्रोत्साहन के साथ ऊर्जा का स्त्रोत हैं. अपने शेष जीवन में ज्यादा ऊर्जावान बनकर दोगुनी मेहनत व समर्पण शिक्षा सेवा का कार्य जारी रखूंगा.

सम्मान पाने पूरे परिवार के साथ गये दिल्ली हुए थे. उन्होंने अन्य शिक्षको को भी ईमानदारी पूर्वक व नयी-नयी तकनिकी के साथ बच्चो को शिक्षा देने की बात कही. वर्ष 2022 में उन्हें बेस्ट टीचर डिस्ट्रिक अवार्ड मिला था. मवि दीवानखाना में उनका पदस्थापना वर्ष 2019 में हुआ हैं. वर्ष 1994 में शिक्षक के रूप में बहाल हुए थे. उनका पहला पदस्थापना जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र प्रतापपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय घोरीघाट में हुई थी. इसके बाद गजवा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में हुआ. वहीं से शिक्षा के प्रति जागरूक व प्रेरित करने की मुहिम को प्रारंभ किया. इस क्रम में उन्हें शिक्षको के प्रशिक्षण के लिए कई बार प्रतिनियुक्त किया गया. वहां पर शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को समझने का मौका मिला. अप्रशिक्षित शिक्षको को एक वर्षीय सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिए प्रतिनियोजित किया गया.

वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य गठन के बाद राज्य सरकार ने कक्षा एक व दो के विद्यार्थियों के लिए विद्या भवन सोसाईटी के सहयोग से किताबे विकसित करने के लिए पुस्तक निर्माण समिति का गठन किया गया. जिसमें वह बतौर सदस्य भी थे. इस प्रकार जिला से लेकर राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कई प्रमुख कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति रही. अधिगम उन्नयन कार्यक्रम ज्ञानसेतु में राज्य स्तर पर मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभायी हैं. मालूम हो कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य देश के शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को रेखांकित करना और ऐसे शिक्षकों का सम्मान करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता व परिश्रम से न सिर्फ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया हैं, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध किया है.

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