Jharkhand News : हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड क्षेत्र अंतगर्त मेरमगड्ढा के आदिवासी बहुल गांव केंदुआ टांड़ टोला आज भी विकास से कोसों दूर है. आज जब देश आजादी का 75वां वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में एक आदिवासी बहुल गांव केंदुआ टांड़ टोला के लोग विकास से दूर हैं. नदियों से घिरे इस टोले के लोग बरसात के दिनों में कई दिनों तक गांव से बाहर नहीं आ-जा पाते हैं. पूरी तरह इनकी जिंदगी कैद हो जाती है.
हजारीबाग जिले के केंदुआ टांड़ टोला विकास की रेस में काफी पिछड़ा हुआ है. बरसात में लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है. चारों तरफ से नदी से घिरे होने के कारण बारिश के दिनों में गांव के लोग कैद हो जाते हैं. पुल नहीं होने से आवागमन बाधित हो जाता है. गांव के बच्चे नदियों का पानी कम होने पर किसी तरह पार होकर विद्यालय आते-जाते हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई कई दिनों तक बाधित हो जाती है.
बारिश के दिनों में गांव के लोगों की जिंदगी बंधक बन जाती है. बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है. सबसे बड़ी परेशानी तो बीमार पड़ने पर इलाज को लेकर होती है. इसे लेकर गांव के लोगों ने अपने प्रयास से काफी मेहनत व मशक्कत के बाद नदी पर लकड़ी-खूंटा का जुगाड़ कर अस्थाई पुल का निर्माण किया है, ताकि आपातकालीन स्थिति में यदि गांव का कोई व्यक्ति बीमार हो तो कम से कम उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सके.
वार्ड सदस्य शांति देवी ने बताया कि इस समस्या की जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक पदाधिकारी को भी है. इसको लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों के द्वारा आश्वासन भी दिया गया कि इस स्थान पर जल्द ही पुल का निर्माण कराया जाएगा, पर अब तक दूर-दूर तक इसकी आस नहीं दिख रही है. लकड़ी के पुल बनाने में मुख्य रूप से मेरमगड्ढा गांव के वार्ड सदस्य प्रतिनिधि बबुन मांझी, समाज सेवी महेंद्र टुडू, दशरथ सोरेन, टेकलाल मांझी, संतोष सोरेन, सोमर सोरेन समेत अन्य ग्रामीण शामिल थे.
रिपोर्ट : रेयाज खान, बरकट्ठा, हजारीबाग