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झारखंड: बरसात में टापू बन जाते हैं कुंदा के कई गांव, जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं ग्रामीण

चतरा के कुंदा प्रखंड के कई गांव नदियों से घिरे हैं. लगातार बारिश होने से नदियों में पानी अधिक रहता है. इससे लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. कुछ बच्चे जान जोखिम में डाल कर स्कूल आते-जाते हैं. बीमार लोगों को इलाज के लिए प्रखंड मुख्यालय ले जाने में परेशानी होती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2023 7:01 PM
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कुंदा (चतरा), धर्मेंद्र गुप्ता: बरसात शुरू होते ही चतरा जिले के कुंदा प्रखंड के कई गांव टापू बन जाते हैं. नदियों में पुल व पुलिया नहीं होने के कारण इन गांवों का संपर्क प्रखंड व जिला मुख्यालय से कट जाता है. नदी पार जाने वालों को नदी में अधिक पानी होने के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता है. स्कूली बच्चों का हाल भी बुरा है. जिन बच्चों का स्कूल नदी के पार है, वे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं. नदी में पानी कम होने के इंतजार में उनका स्कूल भी छूट जाता है. कुछ बच्चे जान जोखिम में डाल कर स्कूल आते-जाते हैं. बीमार लोगों को इलाज के लिए प्रखंड मुख्यालय ले जाने में परेशानी होती है. लोग राशन का भी उठाव नहीं कर पाते हैं. ग्रामीणों ने मंत्री, सांसद व जिले के पदाधिकारियों से नदियों पर पुल-पुलिया बनाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन किन्ही का कोई ध्यान नहीं हैं.

आज तक नहीं बना पुल

चतरा के कुंदा प्रखंड के कई गांव नदियों से घिरे हैं. लगातार बारिश होने से नदियों में पानी अधिक रहता है. कोजरम गांव की अंबा नदी, बनियाडीह गांव की हरिन बंधवा नदी, बलही-कोजरम गांव की हथवार नदी, पथलकुदवा नदी, हारूल गांव की पिछुलिया नदी, बाचकुम गांव की कोयल नदी, उलवार गांव की जमुआ नदी, लालीमाटी गांव की निलंजन नदी, फुलवरिया गांव की पथलकुदवा नदी, करिलगढ़वा गांव की बड़की नदी, राजवाड़ गांव की सिंदुरिया नदी, बजराही गांव की सुखनाही नदी समेत कई नदियों पर आज तक पुल नहीं बन पाया है. ऐसे में बरसात में इन गांवों की जिंदगी अपने गांव में ही कैद होकर रह जाती है.

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जान जोखिम में डालकर करते हैं आवागमन

बनियाडीह गांव के चनारीक गंझू ने कहा कि बनियाडीह गांव की हरिनबंधवा नदी पर अब तक पुल नहीं बना है, जिससे आवागमन में काफी परेशानी होती है. लोग जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर जिला मुख्यालय पहुंचते हैं. कारी मांडर गांव के राजेंद्र गंझू ने कहा कि अंबा नदी पर पुल नहीं बनने से गांव के बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर यूपीएस लुकुइया स्कूल पढ़ने जाते हैं. लालीमाटी गांव के बुधन गंझू ने कहा कि 40 वर्षों से वोट देते आ रहे हैं, पर गांव तक सड़क नहीं बनी है और न ही नीलांजन नदी पर पुल बन पाया है. गांव के लोगों का वर्षों पुराना सपना आज भी अधूरा है.

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