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झारखंड की एक ऐसी बस्ती, जहां हिलते घरों में रहते हैं लोग

धनबाद के सुदामडीह क्षेत्र की बड़ी आबादी के लोग कंपन भरे घरों में रहने को मजबूर हैं. वहीं, घर में धूल भी भर जाती है. ब्लास्टिंग के कारण 50 फीट की दूरी पर स्थित बस्ती के घरों में लगातार कंपन होने से यहां के लोगों में किसी अनहोनी का डर समाया रहता है.

By Samir Ranjan | December 30, 2022 4:32 PM

Jharkhand News: झारखंड में एक ऐसी बस्ती है जहां के घरों में लगातार कंपन होती है. इसी कंपन के बीच लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं, घरों में कंपन होने के साथ धूलकण भी भर जाता है. ये सब होता है हैवी ब्लास्टिंग के कारण. हैवी ब्लास्टिंग के कारण 50 फीट की दूरी पर अवस्थित मंदिर और आबादी वाली बस्ती के घरों में लगातार कंपन होने से यहां के लोगों में किसी अनहोनी का डर समाया रहता है. दूसरी ओर, एएसपी कोलियरी मैनेजर डीके सिन्हा ने हैवी ब्लास्टिंग के मामले को निराधार बताया.

हैवी ब्लास्टिंग से घरों में कंपन और भर जाते हैं धूलकण

BCCL के पूर्वी झरिया क्षेत्र के सुदामडीह एएसपी कोलियरी अंतर्गत जीएसटी आउटसोर्सिंग में नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही है. हालात यह है कि एक बार में 100 से अधिक होल में बारूद की भराई कर हैवी ब्लास्टिंग की जाती है. उसके कारण आसपास के घरों में कंपन होने के साथ धूलकण भर जाता है. लोगों ने बताया कि हर दिन दोपहर में हैवी ब्लास्टिंग की जाती है. इससे घरों में कंपन होता है. लोग डर से अपने घरों से बाहर निकल जाते हैं. वहीं, घरों में धूलकण भर जाता है.

हैवी ब्लास्टिंग की कई बार की गयी शिकायत

स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत आउटसोर्सिंग और बीसीसीएल प्रबंधन से की गयी, लेकिन उनका सुनने वाला कोई नहीं है. वहीं, न्यू ईस्ट भौंरा थाना बस्ती और मेन कॉलोनी नीचे माइंस पट्टी के ग्रामीणों ने कहा कि आउटसोर्सिंग साल 1985 में शुरू की गयी थी, जिसे दो साल बाद वर्ष 1987 में बंद कर दिया गया. फिर बीसीसीएल ने वर्ष 2018 में आउटसोर्सिंंग शुरू करायी.

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ग्रामीणों ने चलाया था जोरदार आंदोलन

उसकी बंदी के लिए ग्रामीणों ने जोरदार आंदोलन किया था, लेकिन कंपनी ने आउटसोर्सिंंग को चालू कर दिया. उस वक्त बीसीसीएल ने ग्रामीणों से कहा था कि ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं होगा. लेकिन, नुकसान ही नुकसान हो रहा है. आउटसोर्सिंग से करीब 50 फीट पर शिव मंदिर और काली मंदिर है. मंदिर के बगल में घर था, जिसे तोड़ दिया गया. आउटसोर्सिंग से मात्र 50 मीटर पर लगभग 250 घरों की बस्ती है, जहां के लोग रोज दहशत में जीते हैं.

मेन कॉलोनी नीचे माइंस नोनिआ पट्टी के लोगों का क्या है कहना

राजू पंडित ने कहा कि आउटसोर्सिंग में हैवी ब्लास्टिंग होने से घरों में कंपन होता है. काफी मात्रा में धूलकण उड़ता है. लोग डर से घर के बाहर निकल जाते हैं. शिकायत करने पर बीसीसीएल व आउटसोर्सिंग प्रबंधन नहीं सुनता है. वहीं, राम किशुन ठाकुर ने कहा कि आउटसोर्सिंग परियोजना से मात्र 50 फीट पर दोनों ओर घनी आबादी है. नियम के विरुद्ध ब्लास्टिंग की जाती है. घनी आबादी के बीच ओपन कास्ट प्रोजेक्ट नहीं चलना चाहिए. कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

हैवी ब्लास्टिंग से घरों में होता कंपन

अष्टमी देवी ने कहा कि आउटसोर्सिंग और बीसीसीएल प्रबंधन की कार्यशैली से लोग परेशान हैं. रास्ता को खोद दिया गया है. लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है. बच्चों को स्कूल आने-जाने में दिक्कत होती है. हैवी ब्लास्टिंग से घरों में कंपन होता है. वहीं, रेखा देवी ने कहा कि घनी आबादी के बीच ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट नहीं चलना चाहिए. आउटसोर्सिंग जिस वक्त शुरू किया जा रहा था, ग्रामीणों द्वारा जोरदार आंदोलन किया गया था. उस समय कई वादे किये गये. जो आज तक पूरा नहीं हुआ.

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हैवी ब्लास्टिंग की बात गलत : मैनेजर

इस संबंध में एएसपी कोलियरी मैनेजर डीके सिन्हा ने कहा कि प्राइवेट जमीन से 100 मीटर की दूरी पर परियोजना चल सकती है. लोग बीसीसीएल की जमीन पर बसे हुए हैं, जिसे खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है. धूलकण के लिए पांच टैंकरों से पानी का छिड़काव किया जाता है. हैवी ब्लास्टिंग की बात गलत है.

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