रांची : राजधानी रांची समेत पूरे राज्य के किसान कई दिनों से आसमां की ओर टकटकी लगाये बैठे थे. उम्मीद थी कि सावन में बादल झूमकर बरसेगा, लेकिन सावन के 15 दिन, तो बादल को निहारने में ही गुजर गये. अब बादल गरज भी रहा है और बरस भी रहा है. एक बार फिर खेती-बारी की उम्मीदें दिखने लगी हैं. बारिश की बूदों से खेत की प्यास बुझने लगी है. आकाश के काले-काले बादल किसानों के मन को हरा-भरा कर रहे हैं. राजधानी और आसपास में महिलाएं धान रोपा करते दिखायी देने लगी हैं. धान के खेत में गीत गूंजने लगे हैं. किसानों को उम्मीद है कि 15 दिनों तक मौसम ऐसे ही मेहरबान रहा, तो पेट भरने लायक अनाज हो जायेगा.
राजधानी रांची और आसपास के इलाके में सोमवार को दिन भर काले बादल छाये रहे और रुक-रुक कर बारिश होती रही. राजधानी में दिन भर में कुल 26 मिमी बारिश दर्ज की गयी. मंगलवार को भी कहीं-कहीं भारी बारिश का अनुमान है. बारिश की वजह से किसानों के चेहरे पर उम्मीद की लकीर भी दिखने लगी है. मौसम केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा कि मॉनसून टर्फ उत्तर की ओर चल रहा है. इस कारण हिमालय की तराई पर स्थित है. तीन अगस्त तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होगी. उत्तर पश्चिमी (पलामू प्रमंडल) और उससे सटे मध्य भाग (राजधानी और आसपास) में कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है. आनेवाले एक सप्ताह तक गर्जन और वज्रपात की चेतावनी है.
मौसम केंद्र दिल्ली ने अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया है. पश्चिमी तट, मध्य भाग और उत्तर पश्चिमी भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. पूर्व मध्य, मध्य, पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में सामान्य से नीचे बारिश होने की संभावना है.
राजधानी में भी खरीफ के मौसम में खेती-बारी की स्थिति अच्छी नहीं थी. अब तक 10 फीसदी ही रोपनी हो पायी है़ मक्का की खेती अच्छी हुई है. 90 फीसदी खेत अब भी खाली हैं. बिचड़ा तैयार है. किसान खेतों में हैं. समुचित बारिश नहीं होने के कारण रोपा के काम में तेजी नहीं आ रही थी. जिन किसानों ने मॉनसून की शुरुआती बारिश में बिचड़ा लगाया था, उनका बिचड़ा तैयार हो गया है.
हालांकि बिचड़ा लगाने का समय धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है. आमतौर पर 31 जुलाई तक ही रोपनी होती है़ इसके बाद होने वाले रोपा से पैदावार पर असर पड़ता है. यही कारण है कि खेती बारी की स्थिति देखते हुए जिला स्तर पर किसानों को राहत देने की कोशिश की जा रही है़ कृषक गोष्ठी कर वैकल्पिक खेती, फसल राहत योजना आदि की जानकारी दी जा रही है.
नगड़ी प्रखंड की 13 पंचायतों के किसान कम वर्षा से परेशान थे. अब इनके चेहरे पर कुछ उम्मीदें जगी हैं. डोकाटोली के किसान अरुण महतो, भोला महतो, आनंद साहू, मनोज महतो ने बताया कि उनका पूरा परिवार धान की खेती पर ही आश्रित है. खेती नहीं होने से आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी. वहीं पिठोरिया के किसान सफीउल्लाह अंसारी ने बताया कि तीन-चार दिनों में अच्छी बारिश हुई है. खेत में पानी जमा हुआ है. यह पानी कुछ दिन तक जमा रहेगा, तो रोपनी हो जायेगी. बीएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ नैय्यर अली ने बताया कि बारिश से खेती की उम्मीद जगी है़
गांव-गांव तक जाकर किसानों को सूखे से निपटने के उपाय बताये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि लंबी अवधि वाली वेराइटी का उपयोग नहीं करें. फसल राहत योजना का लाभ लें. केसीसी का पूरा उपयोग करें. ज्यादातर प्रखंडों में कृषक गोष्ठी हो चुकी है
प्रखंड लक्ष्य धान लगा
कांके 10897 763
रातू 7767 155
नगड़ी 5570 112
मांडर 9152 276
चान्हो 8770 263
बुढ़मू 10052 201
खलारी 2863 58
बेड़ो 10948 1094
इटकी 4018 81
लापूंग 10306 205
ओरमांझी 11845 1421
नामकुम 12231 734
अनगड़ा 10691 428
सिल्ली 12744 510
बुंडू 10562 211
सोनाहातू 8379 922
राहे 7739 773
तमाड़ 16466 824
(आंकड़े हेक्टेयर में)