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झारखंड : तपा रहा है मृगशिरा नक्षत्र, अगले 10 दिनों तक नहीं मिलेगी गर्मी से राहत, फसल के लिए अच्छी है तपिश

झारखंड में झुलसा देनेवाली गर्मी से लोग परेशान हैं. कहा जा रहा है कि इस समय बारिश का नक्षत्र मृगशिरा चल रहा है, जो तपानेवाला होता है. इसके कारण अगले 10 दिन गर्मी से राहत नहीं मिलेगी. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक यह गर्मी फसल के लिए अच्छी है.

गढ़वा, विनोद पाठक. पूरे झारखंड में लोग गर्मी से परेशान हैं. राज्य के आधे से अधिक जिलों में इस समय तापमान लगातार 40 डिग्री से अधिक रह रहा है. इसके साथ ही झुलसा देनेवाली लू चल रही है. इस समय बारिश का नक्षत्र मृगशिरा चल रहा है. मृगशिरा नक्षत्र तपानेवाला होता है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक मृगशिरा नक्षत्र को आरंभ में तपना चाहिये और अंतिम में बरसना चाहिये. इसके बाद चढ़ते आद्रा नक्षत्र को बरसना चाहिए. प्रकृति का यह रूप आगे अच्छी बारिश और कृषि का संकेत देता है.

22 जून को चढ़ेगा आद्रा नक्षत्र

अगर आद्रा नक्षत्र 22 जून को चढ़ेगा. इस मुताबिक अभी मृगशिरा नक्षत्र में बारिश नहीं होना ही किसानों के लिए उचित है. मृगशिरा नक्षत्र पूरी तरह से तप रहा है. मौमस विज्ञान विभाग का भी यही पूर्वानुमान है कि अभी अगले चार-पांच दिनों तक बारिश के कोई आसार नहीं है, जबकि लू इसी तरह चलेगी. वहीं तापमान एक-दो डिग्री बढ़ सकता है. यद्यपि इसका असर लोगों की जीवनशैली पर पड़ा है. लोग देह झुलसानेवाली लू और भीषण गर्मी से परेशान हैं.

आंधी और हल्की बारिश से तापमान में गिरावट

सोमवार की सुबह और दोपहर में हवा की गति तेज होने के साथ कई जगह हल्की वर्षा हुई. इससे कुछ देर के लिये मौसम खुशनुमा हो गया, लेकिन थोड़ी ही देर में उसी तेवर से धूप निकल जाने के कारण एक घंटे के अंदर फिर उसी तरह से गर्मी बढ़ गयी, साथ ही उमस और बढ़ गयी.

खेती के लिए लाभदायक है यह गर्मी : डॉ अशोक कुमार

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मई में अधिकतम तापमान में गिरावट के बावजूद गर्मी अच्छी पड़ी है. पिछले वर्ष जहां अधिकतम तापमान 47 डिग्री पहुंच गया था. वहीं इस बार अधिकतम तापमान 45 डिग्री के आस-पास ही रहा है. यही कारण है कि अधिकतम तापमान में थोड़ी गिरावट रही है. इधर अगले 10 दिनों तक लू चलते रहने का अनुमान है. मई और जून की गर्मी जनमानस के लिए अत्यंत कष्टदायक व घातक जरूर है, परं खेती के लिए यह गर्मी लाभदायक है. गर्मी से खर-पतवार के पौधे एवं बीज, कीट व इसके अंडे, प्यूपा एवं स्पोर सूखकर समाप्त हो जाते हैं. इससे खरीफ फसल को लाभ होता है.

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