Jharkhand Weather News (सुनील कुमार सिन्हा, चाईबासा) : पश्चिमी सिंहभूम में मई माह में रिकार्डतोड़ बारिश हुयी है. माहभर में 398.8 मिमी बारिश ने पिछले 10 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है. इससे जहां सब्जियों की खेती को नुकसान पहुंचा है, वहीं खरीफ फसल को फायदा होगा. मई माह में 29 दिनों में जहां 178.3 मिमी बारिश हुई है, वहीं चक्रवाती तूफान यास ने दो दिन में ही 220.5 मिमी पानी बरसा दिया.
जिले में मई माह में औसत से 337.22 मिमी ज्यादा बारिश हुई है. मई माह में जिले का औसत बारिश 61.5 मिमी है, जबकि जून माह का औसत बारिश 172.5 मिमी बारिश आंका गया है. यदि इन दोनों माह के औसत बारिश को जोड़ दिया जाये, तो भी 234 मिमी ही बारिश होता है. इससे जिले में इस साल 1.86 लाख हेक्टेयर खेती में धान-मक्का के बेहतर फसल की उम्मीद जगी है. वहीं, मई माह में ही औसत से करीब साढ़े छह गुना बारिश होने के कारण तालाब- नदियां व खेतों में लबालब पानी भर गया है. ऐसे में किसानों ने खेतों की जुतायी शुरू कर दी है.
अधिक बारिश से नीचली खेतों में लगी सब्जियां खासकर लत्तर वाली सब्जी बारिश के पानी में डूबकर बर्बाद होने लगी है. नतीजतन बाजार से झींगा, नेनुआ व लौकी गायब होने लगी है. वहीं, औसत से ज्यादा बारिश होने के कारण कृषि विभाग भी धान बीज मंगाने की तैयारी कर रखी है. विभाग ने जिले के करीब एक लाख 10 हजार किसानों को धान के बीज उपलब्ध कराने के लिए 1200 क्विंटल से भी ज्यादा बीज मंगाने की योजना बनायी है. अब तक 552 क्विंटल धान बीज का ड्राफ्ट बनाकर भेजा चुका है.
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पिछले दिनों कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने चाईबासा पहुंचने के बाद जिला कृषि पदाधिकारी को जल्द से जल्द धान बीज मंगा कर किसानों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. हालांकि, जिला सहकारिता पदाधिकारी माधुरी बेग के कोरोना पॉजिटिव होने व बीमार रहने के कारण बीज मंगाने के बावजूद वितरण में विलंब होने की संभावना है. वहीं, लैंपस भी बीज की खरीदारी करने में पैसे की कमी का रोना रो रहा है. ऐसे में जिले के अधिकारियों ने धान बेचकर बीज मंगाने को कहा है.
इस बार किसानों को बीज उपलब्ध कराने का तरीका बदल जायेगा. किसानों को बीज हासिल करने के लिए सबसे पहले लैंपस में आवेदन देना होगा. आवेदन देने के बाद उन्हें टोकन उपलब्ध कराया जायेगा. इसी टोकन के माध्यम से किसान द्वारा आवेदन में बताये गये वेराइटी व मात्रा के आधार पर ही बीज उपलब्ध कराया जायेगा. किसानों का बीज टोकन बनाने का काम प्रखंड कृषि बीईओ, बीटीएम व जनसेवक को सौंपा गया है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा गो-पालक, सूकर व मुर्गी पालक के समूह को भी केसीसी के हकदार बनाये जाने के कारण वे भी किसान की श्रेणी में आ गये हैं. यही वजह है कि टोकन सिस्टम इस लिये लागू किया गया है. यही टोकन अगले साल भी इस्तेमाल कर सकेंगे.
जिला कृषि पदाधिकारी संतोष लकड़ा ने कहा कि जिले के 60 से 70 फीसदी किसान छींटा विधि से धान की खेती करते हैं, जबकि 30 से 40 फीसदी खेतों में ही रोपा विधि से यह खेती की जाती है. ऐसे में औसत से ज्यादा बारिश होने के कारण छींटा विधि से खेती करने वाले किसानों को पानी सूखने का इंतजार करना पड़ेगा. कराइकेला में कुछ धान बीज आ गया है. लिहाजा बीज वितरण की शुरुआत बुधवार को कराइकेला से की जायेगी.
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प्रखंड : बारिश (मिलीमीटर)
चाईबासा : 466.4
खूंटपानी : 332. 8
झींकपानी : 393.8
टोंटो : 394.0
जगन्नाथपुर : 382.4
नोवामुंडी : 305.2
मझगांव : 473.4
कुमारडुंगी : 277.2
मंझारी : 533.2
तांतनगर : 430.0
चक्रधरपुर : 380.6
सोनुवा : 382.6
गुदड़ी : 382.6
गोइलकेरा : 415.8
मनोहरपुर : 384.8
आनंदपुर : 384.8
बंदगांव : 450.6
हाटगम्हरिया : 410.2
Posted By : Samir Ranjan.