झारखंड की तीरंदाज दीप्ति कुमारी वर्ल्ड कप स्टेज फोर में दिखायेगी दम, जाएंगी कोलंबिया
Jharkhand News : दीप्ति कुमारी ने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. ग्रामीण क्षेत्रों में 10वीं तक पढ़ाई के बाद अधिकतर लड़कियों की शादी कर दी जाती है, जिस कारण वह अपने लक्ष्य की ओर नहीं बढ़ पाती.
Jharkhand’s archer Deepti Kumari : झारखंड की राजधानी रांची के जोन्हा जैसी छोटी जगह से निकल कर तीरंदाज दीप्ति कुमारी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक छोड़ने वाली हैं. दीप्ति तीरंदाजी के बड़े टूर्नामेंटों में बेहतर प्रदर्शन कर कई पदक जीत चुकी हैं. वह अब भारतीय तीरंदाजी की बी टीम में शामिल होकर कोलंबिया में होनेवाली वर्ल्ड कप स्टेज फोर प्रतियोगिता में अपना प्रदर्शन दिखायेंगी. इस प्रतियोगिता में वह दीपिका कुमारी के साथ शामिल होंगी. वर्तमान में दीप्ति का रैंक देश में सातवां है.
12 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत चुकी हैं 36 पदक
दीप्ति अपनी प्रतिभा के दम पर अब तक 12 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल 36 पदक जीत चुकी हैं. जिनमें 19 स्वर्ण, 10 रजत और आठ कांस्य पदक शामिल हैं. जोन्हा तीरंदाजी सेंटर में 2014 से शुरुआत करनेवाली दीप्ति ने कोच रोहित के मार्गदर्शन में तीरंदाजी सीखी. दीप्ति के पिता कैलाश महतो जोन्हा में ही गाड़ी चलाते हैं.
मेहनत के दम पर ओलिंपिक की राह पर चलीं दीप्ति
आपको बता दें कि जोन्हा की दीप्ति अब ओलिंपिक-2024 की तैयारी में जुट गयी हैं. उनका चयन ओलिंपिक की तैयारी के लिए हो चुका है. वह कहती हैं कि कोच रोहित सर ने तीरंदाजी के लिए काफी प्रेरित किया. उनके प्रयास से इस मुकाम तक पहुंच पायी हूं. साथ ही माता-पिता का भी काफी सहयोग किया.
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कहां से की पढ़ाई
दीप्ति ने एसएस प्लस टू हाइस्कूल सिल्ली से इंटर की पढ़ाई की. अभी सिल्ली कॉलेज सिल्ली से ग्रेजुएशन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. ग्रामीण क्षेत्रों में 10वीं तक पढ़ाई के बाद अधिकतर लड़कियों की शादी कर दी जाती है, जिस कारण वह अपने लक्ष्य की ओर नहीं बढ़ पाती. इसका एक मुख्य कारण आर्थिक भी है. यदि घरवाले बेटियों के सपने को समझेंगे और सरकार आर्थिक मदद देगी, तो हर क्षेत्र में लड़कियां आगे बढ़ सकती हैं.
रिपोर्ट : दिवाकर सिंह