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मथुरा के मंदिरों में झूला उत्सव का समापन, भगवान रंगनाथ और राधावल्लभ के दिव्य दर्शन से श्रद्धालु हुए निहाल

रंगनाथ मंदिर में भगवान के लिए जो झूला डाला गया था, वह भी काफी खास था. यह झूला करीब 200 किलोग्राम चांदी से बनाया गया था. इसमें भगवान को हरियाली तीज से लेकर सावन पूर्णिमा तक शाम के समय विराजमान कराया गया.

Mathura News: सावन के महीने में मथुरा वृंदावन के मंदिरों में चल रहे झूला उत्सव का समापन हो गया. हरियाली तीज से यहां पर झूला उत्सव की शुरुआत हुई थी और उस दिन भगवान को झूले में विराजमान किया गया.

इसके बाद मथुरा वृंदावन के तमाम मंदिरों में हरियाली तीज से लेकर सावन पूर्णिमा तक झूला डाला जाता है. सावन पूर्णिमा में रंगनाथ भगवान चांदी के झूले में विराजमान हुए. वहीं भगवान राधावल्लभ फलों से बने झूले में विराजमान होकर झूले.

भगवान रघुनाथ ने माता गोदा के साथ दिए दर्शन

आपको बता दें कि उत्तर भारत के विशालतम श्री रंगनाथ मंदिर में भगवान श्री गोदा रंगमन्नार ने 13 दिन तक झूला में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए. गरुड़ स्तंभ के समीप झूला मंडप में हरियाली तीज के अवसर पर झूला डाला गया. जहां भगवान रघुनाथ माता गोदा जी के साथ झूला में विराजमान होते और भक्तों को दर्शन दिए.

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200 किलोग्राम चांदी से बनाया गया झूला

रंगनाथ मंदिर में भगवान के लिए जो झूला डाला गया था, वह भी काफी खास था. यह झूला करीब 200 किलोग्राम चांदी से बनाया गया था. इसमें भगवान को हरियाली तीज से लेकर सावन पूर्णिमा तक शाम के समय विराजमान कराया गया. भगवान को झूले में झूलते हुए उनकी अलौकिक छवि और झूले पर कलाकारों द्वारा की गई कलाकारी को देखकर भक्त मंदिर में खींचे चले आए.

सावन पूर्णिमा को झूला उत्सव का अंतिम दिन मनाया गया. इस दौरान भक्तों ने भगवान की आराधना डांडिया नृत्य के माध्यम से की. महिला भक्तों ने भजनों पर डांडिया नृत्य किया. करीब 25 महिला भक्तों ने भगवान के सामने एक घंटे तक डांडिया नृत्य किया और भगवान से अपनी खुशहाली की कामना की.

राधावल्लभ मंदिर में भगवान ने झूले में दिए दर्शन

इसके साथ ही वृंदावन के प्रसिद्ध राधावल्लभ मंदिर में भी सावन पूर्णिमा को झूला उत्सव का समापन हो गया. यहां भगवान राधावल्लभ लाल ने जगमोहन में डाले गए झूले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए. भगवान राधावल्लभ लाल कभी फूलों से बने तो कभी मोर पंखों से बनाए गए झूले में विराजमान हुए.

सावन पूर्णिमा पर झूलन उत्सव के अंतिम दिन भगवान राधावल्लभ को फलों से बनाए गए झूले में विराजमान किया गया. इस झूले को करीब तीन कुंतल फलों से बनाया गया था. इसमें भगवान राधावल्लभ को विराजमान किया गया तो ऐसा लगा जैसे वह किसी बगीचा में झूला झूलते हुए दर्शन दे रहे हैं.

झूले में फलों का प्रयोग

राधावल्लभ भगवान के लिए बनाए गए फलों के झूले में छह तरह के फलों का प्रयोग किया गया. इसमें संतरा, सेब, केला, अमरूद और अनानास थे. सेब और अमरुद से जहा झूले की चार डोरियां बनाई गई. वहीं अन्य फलों से झूले को सजाया गया. मंदिर के गोस्वामी मोहित मराल ने बताया कि राधावल्लभ की लाड़ और भाव से सेवा की जाती है. भक्तों का जैसा भाव होता है वह अपने आराध्य को उस तरह का लाड़ भी लड़ाते हैं.

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