Jitiya Vrat 2023: पांच अक्तूबर को सरगही और 6 को जितिया व्रत, सर्वार्थसिद्धि योग में होगी पूजा, जानें डिटेंल्स
Jitiya Vrat 2023: जिउतिया, दशहरा व करवा चौथ को लेकर बाजार में चहल पहल देखी जा रही है. हर तरफ ऑफर्स की बहार है. छह अक्तूबर यानी शुक्रवार को आर्द्रा नक्षत्र व वरीयान योग में जिउतिया व्रत मनाया जायेगा.
Jitiya Vrat 2023: आश्विन कृष्ण अष्टमी में छह अक्तूबर यानी शुक्रवार को माताएं जिउतिया व्रत रखेंगी. संतान के दीर्घायु की कामना को लेकर किया जाने वाला जिउतिया व्रत नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा. काशी के महावीर पंचांग के अनुसार शुक्रवार को अष्टमी तिथि सुबह 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर शनिवार सात अक्तूबर की सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. वहीं मिथिला पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि छह अक्तूबर की सुबह 9 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर सात अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 32 मिनट तक है. इसलिए शनिवार को अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद ही व्रती पारण करेंगी.
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संतान की दीर्घायुष्य के लिए 28 घंटे का निर्जला जितिया व्रत रखेंगी महिलाएं
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छह अक्तूबर को व्रत और सात की सुबह 10 बजकर 32 मिनट के बाद होगा पारण
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जितिया व्रत : 28 घंटे (प्रदोष एवं चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी में)
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सरगही या ओठगन : 5 अक्तूबर
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जिउतिया व्रत- उपवास : 6 अक्तूबर
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पारण : 7 अक्तूबर की सुबह 10:32 बजे के बाद
सर्वार्थसिद्धि योग में माताएं रखेंगी उपवास
ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि महिलाएं अखंड सौभाग्य, पुत्रों की मंगल कामना, दीर्घायुष्य व वंश वृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) का निर्जला व्रत करेंगी. इस दिन कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा माता लक्ष्मी व मां दुर्गा के साथ की जाती है. माताएं ब्राह्मण या योग्य पंडित से जीमूतवाहन की कथा सुनकर उनको दक्षिणा प्रदान करेंगी. इस दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिगनी, करमी आदि का सेवन करेंगी. व्रती स्नान-भोजन के बाद पितरों की भी पूजा करेंगी. इस महाव्रत का पारण व्रती महिलाएं केराव से करेंगी. उन्होंने बताया कि इस व्रत के पारण से पूर्व अन्न का दान करने से विपन्नता का नाश व धन-धान्य की वृद्धि होती है.
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जिउतिया छह अक्तूबर को और सात को पारण
बिहार के गया जिले में मंगलवार को भारतीय विद्वत परिषद द्वारा विद्वानों की बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष आचार्य लालभूषण मिश्रा ने की. उन्होंने बताया कि जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत के भ्रम को दूर करने के लिए शास्त्र मंथन किया गया. अनेक धर्म ग्रंथों के अवलोकन से सपष्ट हुआ कि इस व्रत का उपवास छह अक्टूबर दिन शुक्रवार को व पारण सात अक्टूबर शनिवार के दिन 10 बजकर 21 मिनट के बाद किया जाएगा. छह अक्टूबर को प्रदोष काल में अष्टमी तिथि है. लेकिन सात अक्टूबर को प्रदोष काल में अष्टमी तिथि नहीं है. इस लिए जितिया का व्रत छह अक्टूबर को ही रखा जाएगा.
जितिया व्रत के नियम
जितिया व्रत तीन दिन होता है, इसलिए नहाय खाय से पारण तक पूरे तीन दिनों के लिए नियम मानने चाहिए. पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इसलिए तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करने और पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण करें. इस दिन भगवान सूर्य देव की भी पूजा की जाती है.
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जितिया व्रत की पूजा
महिलाओं को श्रद्धा और विश्वास के साथ गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से निर्मित मूर्ति की पूजा करनी चाहिए. जितिया व्रत में चील और सियार की गोबर से मूर्ति बनाकर उनकी विशेष रूप से पूजा करने का विधान है. जितिया व्रत में पूजा के दौरान विशेष रूप से सरसों का तेल और खली चढ़ाई जाती है.
जितिया व्रत कितने बजे खत्म होगा?
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत इस साल 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली व लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए 7 अक्तूबर दिन शनिवार को अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद ही व्रती पारण करेंगी.