Jitiya Vrat Aarti: जितिया व्रत पूजा के बाद जरूर करें ये आरती, पूरी होगी आपकी मनचाही मुराद

Jitiya Vrat Aarti: जितिया व्रत संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. जितिया व्रत को रखने से संतान तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होता है. जितिया व्रत पूजा के बाद ये आरती जरूर करें.

By Radheshyam Kushwaha | October 6, 2023 6:35 PM

Jitiya Vrat Aarti: जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा आज है. आज पूरे दिन माताएं निर्जला उपवास रखकर प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा करेंगी. वहीं 7 अक्टूबर दिन शनिवार को साढ़े 10 बजे के बाद पारण करने का शुभ समय है. जितिया व्रत संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. जितिया व्रत को रखने से संतान तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होता है. शास्त्रों के मुताबिक जितिया करने वाली व्रती महिला के संतान की रक्षा स्वंय भगवान श्रीकृष्ण करते हैं. यह व्रत निर्जला रखा जाता है. माताएं अपने बच्चों की समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. जितिया व्रत पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए. यहां से आप पूरी आरती पढ़ सकते है.

Jitiya Vrat Aarti: जितिया व्रत आरती

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप…

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप….

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप…

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप…

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप…

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप…

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप…

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

Jitiya Vrat Aarti Video:  जितिया व्रत आरती वीडियो

जितिया व्रत के मंत्र

01- कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

02- सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके |

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

03- वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।

देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।

श्री कृष्ण स्तुति

आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।

माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।

कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।

एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।

अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।

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