धनबाद में ट्रांसपोर्टिंग में वर्चस्व को लेकर झामुमो व मासस आमने-सामने, कंपनी के खिलाफ की जमकर नारेबाजी

एक ओर जहां मार्क्सवादी समन्वय समिति से जुड़े लोगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर निरसा-जामताड़ा रोड के बरवाडीह के समीप प्रदर्शन करते हुए फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग ठप कर दिया, वहीं अशोक मंडल के नेतृत्व में बेलडांगा मोड़ से जुलूस के साथ एमपीएल के मुख्य द्वार पर पहुंचे और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की.

By Guru Swarup Mishra | November 7, 2022 9:42 PM
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निरसा बाजार : एमपीएल में फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग में वर्चस्व को लेकर सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं मार्क्सवादी समन्वय समिति आमने-सामने हो गए हैं. एक ओर जहां मार्क्सवादी समन्वय समिति से जुड़े लोगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर निरसा-जामताड़ा रोड के बरवाडीह के समीप प्रदर्शन करते हुए फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग ठप कर दिया, वहीं दूसरी ओर सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष झामुमो समर्थक केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य अशोक मंडल के नेतृत्व में बेलडांगा मोड़ से जुलूस के साथ एमपीएल के मुख्य द्वार पर पहुंचे. इस दौरान ढोल-नगाड़ा बजाते हुए प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की.

बेनतीजा रही वार्ता

कंपनी के मुख्य द्वार के समक्ष निरसा-जामताड़ा रोड को सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक यानीन करीब साढ़े चार घंटा तक जाम कर दिया गया. इस दौरान रोड जाम हटाने पहुंचे झामुमो नेता श्री मंडल व ओपी प्रभारी के बीच नोंकझोंक भी हुई. इसके बाद झामुमो समर्थक विस्थापित व स्थानीय लोगों ने मेन गेट के समीप टेंट लगाकर अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ कर दिया. इस दौरान वार्ता करने के लिए एमपीएल अधिकारी गोपाल वर्णवाल सहित अन्य मौके पर पहुंचे, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही.

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क्या हैं झामुमो समर्थकों की मांगें

झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा 16 सूत्री मांग पत्र एमपीएल के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी को दिया गया है. इसमें कहा गया है कि शेष बचे विस्थापितों को अविलंब नियोजन, अनुमंडल अधिकारी धनबाद के अध्यक्षता में 7 सितंबर 2010 में हुई बैठक मैं लिए गए निर्णय को एमपीएल प्रबंधन अनदेखी कर रही है, 24 अगस्त 2013 को एमपीएल प्रबंधन द्वारा स्थानीय विस्थापित समिति के अध्यक्ष के नाम निर्गत पत्र में आश्वासन में कटौती करने, 30 दिसंबर 2012 के समझौते के अनुसार पीएपी नियोजित कर्मियों, अनस्किल्ड, सेमी स्किल्ड, स्किल्ड एवं हाईली स्किल्ड कर्मियों को समझौता के अनुसार वेतन वृद्धि करने ग्रामीण मेडिकल यूनिट को बंद करने के खिलाफ, पीएपी को समझौता के अनुसार भुगतान करने, पीएपी एंप्लॉयमेंट एग्रीमेंट एवं झारखंड सरकार के आरएनआर पॉलिसी एग्रीमेंट के तहत पीएपी आश्रितों को नियोजन देने, डीवीसी के विभागीय पत्र 27 अक्टूबर 2020 के पत्र के अनुसार यहां के विस्थापित जो नौकरी नहीं करना चाहते हैं, उन्हें 5 लाख की जगह 15 लाख का भुगतान करने, एलए का निष्पादन जल्द करवा कर मुआवजा का भुगतान करने, निरसा जामताड़ा रोड में पूर्व की भांति लाइट की व्यवस्था, एमपीएल में पूर्व में कार्यरत कर्मी काजल मंडल एवं शर्मा कुमारी को एकरारनामा के नियमानुसार नियोजन देने, निरसा उत्तर के ग्रामीणों के आवागमन की समस्या को देखते हुए हाईवा ट्रांसपोर्टिंग एवं भारी वाहन के लिए अलग से एप्रोच रोड की व्यवस्था करने, विस्थापित, लाचार, आर्थिक रूप से कमजोर गौतम बाऊरी को अविलंब नियोजन देने, पूर्व में कोयला ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों में लगे विभिन्न कंपनियों के अंतर्गत कार्यरत कामगार जो लंबे समय से कार्य किए हैं उन्हें पुनः नियोजन देने, रेल लाइन के समस्याओं का समाधान करने की मांग शामिल है.

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क्या हैं मासस समर्थकों की मांगें

इधर, बरवाडीह मोड़ के समक्ष एमपीएल की फ्लाई एश लदी गाड़ियों को मासस समर्थकों ने प्रदर्शन करते हुए रोक दिया. इस दौरान समर्थकों ने पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के लेटर पैड पर एमपीएल के सीईओ को पत्र दिया था. इस पत्र के आलोक में उन लोगों ने कहा कि बार-बर लिखित देने के बाद भी प्रबंधन समस्या समाधान पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर रहा है. शेष बचे विस्थापितों का अविलंब नियोजन देने, कोयला एवं फ्लाई एश रैक लोडिंग अनलोडिंग के कार्य में पीएपी एवं स्थानीय कर्मियों को प्राथमिकता देने, इसके पूर्व संजय उद्योग कंपनी में फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग को लेकर वर्षों से जो लोग लगे हुए थे, उन्हें नई कंपनी में नियोजन देने, फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग में पश्चिम बंगाल की गाड़ियों का परिचालन बंद करवाने, वैसे चालक जो सीएचपी एरिया में 20 माह से अधिक समय से कार्यरत हैं, उन्हें प्रबंधन द्वारा समय-समय पर विभिन्न तरह का आश्वासन दिया गया, लेकिन उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. सिक्योरिटी गार्ड में नियोजन को लेकर विस्थापित एवं स्थानीय को प्राथमिकता देने, खुदिया फाटक से लेकर एमपीएल तक सुरक्षाकर्मियों के रूप में स्थानीय को रखने, एफजीडी प्रोजेक्ट में कार्यरत कर्मी को झारखंड सरकार का न्यूनतम मजदूरी देने सहित अन्य मांग शामिल है.

रिपोर्ट : अरिंदम, निरसा, धनबाद

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