हेमंत सरकार पर फिर बरसे JMM विधायक लोबिन हेंब्रम, कहा- झारखंड गठन के 22 साल बाद भी विकास के सपने अधूरे
साहिबगंज के भोगनाडीह में बोरिया के जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम अपने ही सरकार पर जमकर बरसे. कहा कि राज्य के निर्माण हुए 22 साल हो गये, लेकिन विकास का सपना आज भी अधूरा है. कहा कि सरकार सही तरीके से कानून नहीं बना पा रही है. यहीं कारण है कि आज से झारखंड के सभी प्रमंडलों में आंदोलन की शुरुआत की गयी है.
Jharkhand News: साहिबगंज जिला अंतर्गत बोरियो विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह झारखंड बचाओ मोर्चा के सुप्रीमो लोबिन हेंब्रम के नेतृत्व में गुरुवार को भोगनाडीह में एक दिवसीय उपवास रखा गया. एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए विधायक ने हेमंत सरकार की नीतियों पर जमकर निशाना साधा. कहा कि झारखंड गठन के 22 साल पूरे हो चुके हैं. हमलोग 23वें साल में प्रवेश कर गये हैं, लेकिन झारखंड ने अलग होने पर जो विकास का सपना देखा था, वह अब तक अधूरा है. बोरियो विधायक ने लोगों को खतियानी जोहार, हूल जोहार से संबोधित किया. इससे पूर्व लोबिन उपवास स्थल से शर्बत एवं अंगूर ग्रहण कर कार्यकम स्थल पहुंचे, जहां उनका आदिवासी ढोल-नगाड़े के साथ जोरदार स्वागत किया गया. मंच में सिदो-कान्हू के वंशज रुपचांद मुर्मू एवं मंडल मुर्मू साथ दिखे.
झारखंड के सभी प्रमंडलों में आंदोलन की हुई शुरुआत
बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि झारखंड गठन होने में गुरुजी की अहम भूमिका रही थी. उन्हीं ही देन है कि आज हमलोग अलग राज्य में रह रहे हैं. 22 साल गुजर जाने के बाद भी सरकार सही तरीके से कानून नहीं बना पा रही है. चाहे वह 1932 का खतियान हो, नियोजन नीति हो या सीएनटी-एसपीटी एक्ट जैसे अन्य कानून, सभी नीतियों को कभी हाईकोर्ट रद्द करती है, तो कभी राज्यपाल सरकार को वापस लौटा देती है. राज्य के डिग्रीधारी युवा बेरोजगार बैठे हैं. उनके साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. इन सबको सुधारने के लिए ही आज से झारखंड के सभी प्रमंडलों में आंदोलन की शुरुआत की गयी है.
आदिवासियों के जल, जंगल एवं जमीन से हो रहा छेड़छाड़
उन्होंने कहा कि पारसनाथ स्थित मरांग बुरू आदिवासियों का पवित्र स्थल है, लेकिन सरकार ने जैन मुनियों के पक्ष में लिखकर भेज दिया. सरकार की यह मंशा पूरी तरह गलत है. संताल परगना में पेसा एक्ट सख्ती से लागू नहीं हो रहा है. शेड्यूल एरिया में पंचायत चुनाव कराने का प्रावधान नहीं है, लेकिन सरकार मनमाने तरीके से पंचायती चुनाव करा कर प्रधानों को उनके अधिकार से वंचित रखी है. आदिवासियों के जल, जंगल एवं जमीन से छेड़छाड़ हो रहा है, यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सरकार कहती कुछ और है, करती कुछ और है. हमारा पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और झारखंड एक ही दिन अलग हुआ. छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था ठीक-ठाक है, लेकिन झारखंड के कानून को कभी हाईकोर्ट रद्द करती है, तो कभी राज्यपाल विधेयक को वापस करते हैं. आखिर कब तक झारखंड की जनता ठगी का शिकार होते रहेंगे.
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हेमंत का वादा पूरा नहीं हुआ
विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मुझे पहली बार 1990 में झामुमो से टिकट मिला और विधायक भी बना. फिर 1995 में मुझे टिकट पार्टी ने नहीं दिया. मैं निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरा और दोबारा विधायक बना. मैं गुरुजी का सच्चा सिपाही हूं. कहा कि 53 संगठनों को मिलाकर झारखंड बचाओ मोर्चा का गठन हुआ है. मैं पार्टी के विरोध में नहीं बोलता हूं, जो चुनाव के दौरान झामुमो का चुनावी वादा था, उसी को लेकर मैं सरकार को आईना दिखा रहा हूं. झारखंड के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य में पलायन कर रहे हैं. हेमंत का वादा पूरा नहीं हुआ. हेमंत सोरेन को झारखंड की जनता आने वाले समय में आईना दिखाये.
झारखंड दिवस में नहीं हुए शामिल
उन्होंने कहा कि दुमका में आयोजित झारखंड दिवस कार्यक्रम में इसलिए शामिल नहीं हुआ क्योंकि सरकार के चुनावी वादे पूरे नहीं हुए. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में भोगनाडीह पहुंच रहे लोगों को पुलिस प्रशासन की गाड़ी ने रोक-रोककर पैदल ही आने दिया. यह सब सरकार के इशारे में काम कर रहे हैं. कार्यक्रम के समापन में लोबिन ने सरकार को चुनौती भी दिया.
ये थे उपस्थित
उपवास की शुरुआत झारखंड बचाओ मोर्चा के सुप्रीमो लोबिन हेंब्रम ने भोगनाडीह में वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो की मिट्टी पर माथा टेक कर एवं सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया. इस मौके पर बोरियो के विधायक प्रतिनिधि अजय हेंब्रम, चाईबासा के पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबंगा, अखिल भारतीय आदिवासी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एलएम उरांव, आदिवासी सेंगल सम्मेलन अध्यक्ष मनोहर उरांव, मरांग बुरू संगठन के अध्यक्ष बुधन हेंब्रम, , सोतार चतुर बैसी के सचिव बजल हेंब्रम, खगेनलाल महतो, रैयत स्थापित संघ रांची के बाबूलाल महतो, गणेश महतो, झारखंड बचाओ मोर्चा के सचिव नरेश मुर्मू, जोसेफ मुर्मू, मांझी परगना अध्यक्ष बेटका मुर्मू, ईश्वर मुर्मू, बेटका मरांडी, मुरसलीन अंसारी सहित साहिबगंज जिले के बोरियो, तालझारी, मंडरो, राजमहल, बरहेट, उधवा के अलावा रांची, पाकुड़, दुमका, गिरिडीह, डुमरा, चाईबासा, पारसनाथ, जमशेदपुर, बोकारो सहित अन्य जिलों से लोग शामिल हुए.