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संकट में है संदिग्ध सर्टिफिकेट वाले 225 सहायक अध्यापकों की नौकरी, चार संस्थाओं पर उठ रहा हैं सवाल

जिले के छह हजार सहायक अध्यापकों में से 225 अध्यापकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र संदिग्ध पाये जाने के बाद उनकी नौकरी संकट में पड़ गयी है. फिलहाल जिलास्तर पर उन्हें चिह्नित कर सेवा देने पर रोक लगा दिया गया हैं और उनकी बर्खास्तगी को लेकर शिक्षा विभाग माथच्ची करने में जुटा हुआ है.

राकेश सिन्हा, गिरिडीह : जिले के छह हजार सहायक अध्यापकों में से 225 अध्यापकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र संदिग्ध पाये जाने के बाद उनकी नौकरी संकट में पड़ गयी है. फिलहाल जिलास्तर पर उन्हें चिह्नित कर सेवा देने पर रोक लगा दिया गया हैं और उनकी बर्खास्तगी को लेकर शिक्षा विभाग माथच्ची करने में जुटा हुआ है. मालूम रहे कि झारखंड सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021 के लागू होने के बाद फिर से सभी सहायक अध्यापकों यानि पारा शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच शुरू की गयी थी. नियमावली के कंडिका 8(ii) में प्रावधान किया गया है कि कार्यरत सभी प्रशिक्षित सहायक अध्यापकों को आकलन परीक्षा में तभी सम्मिलित किया जायेगा, जब उनके प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद वैध पाये जायेंगे. गिरिडीह जिले में सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गयी जिसमें गावां के 78, देवरी के 39, डुमरी के 30, तिसरी के 27, जमुआ के 16, बिरनी के 11, पीरटांड़ के नौ, बेंगाबाद के सात, गांडेय के तीन, सरिया और बगोदर प्रखंड के एक-एक अध्यापक कुल 225 सहायक अध्यापकों का प्रमाणपत्र संदिग्ध पाया गया है. बताया जा रहा है कि इन अध्यापकों का प्रमाणपत्र जिन संस्थानों ने जारी किया है, उनकी वैधता ही संदिग्ध है.

कौन-कौन संस्थान हैं संदिग्ध

शिक्षा विभाग को जानकारी मिली कि अध्यापकों ने जो प्रमाण पत्र सौंपा है, उनमें से चार संस्थानों की वैधानिक मान्यता ही संदेह के घेरे में है. इसके बाद भौतिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया गया. डीएसई विनय कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ व गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन पहुंची. डीएसई विनय कुमार का कहना है कि जांच में पाया गया कि कई संस्थान एक ही कमरे में संचालित हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा के सचिव ने लिखित रूप से दिया है कि परिषद विनियमों में उल्लेखित समकक्षता सूची में उक्त चारों शामिल नहीं है. डीएसई का कहना है कि प्रमाण पत्र संदिग्ध पाये जाने के बाद एक अप्रैल, 2023 से 225 सहायक अध्यापकों का मानदेय पर रोक लगा दिया गया था, लेकिन प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद सभी 225 सहायक अध्यापकों की सेवा एक अगस्त, 2023 से लेने पर रोक लगा दी गयी है जो अभी जारी है. हालांकि अप्रैल से रोके गये मानदेय को विभाग ने जारी कर दिया और चार माह का मानदेय का भुगतान किया गया है.

सर्टिफिकेट सत्यापन पत्र भी निकला संदिग्ध

विभागीय निर्देश के आलोक में सभी प्रखंडों के बीइइओ ने सहायक अध्यापकों के प्रमाणपत्र के सत्यापन के लिए संबंधित संस्थानों को पत्र लिखा था. संबंधित संस्थानों से जो जवाब विभाग को प्राप्त हुए हैं, वह भी संदिग्ध निकला. जिन चार संस्थानों को संदेह के घेरे में रखा गया है, वहां से भी सभी 225 सहायक अध्यापकों के प्रमाणपत्र का सत्यापन रिपोर्ट अध्यापकों के पक्ष में आया है. लेकिन, बाद में गावां के बीइइओ ने दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद इसका खुलासा किया. इसके बाद जांच में यह भी पाया गया कि जिसके हस्ताक्षर से सत्यापन रिपोर्ट जारी किये गये हैं, वह इसके लिए अधिकृत ही नहीं था. केयरटेकर द्वारा भी सत्यापन रिपोर्ट जारी करने की बात सामने आयी है. हालांकि, इसके बाद इन अध्यापकों के प्रमाण पत्रों का भौतिक सत्यापन किया गया जिसके बाद प्रमाण पत्रों की वैधानिकता पर सवाल खड़े हो गये हैं.

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नियुक्ति के समय संस्थान वैध थीं : संघ

झारखंड प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ के नारायण महतो का कहना है कि जिन संस्थानों की वैधानिकता पर आज सवाल खड़े किये गये हैं, वे सभी नियुक्ति के समय वैध थे और संचालित थे. ऐसे संस्थानों पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता है. कहा कि 15-20 साल पूर्व पारा शिक्षकों की बहाली मामूली मानदेय पर हुई है. बहाली के बाद तीन-तीन बार सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए राशि जमा की गयी है. दो-दो बार ड्राफ्ट से और एक बार नकद राशि विभाग को दी है. प्रमाण पत्रों का सत्यापन 2010, 2011 और 2014 में कराया गया. पुन: इतने दिनों बाद सर्टिफिकेट की वैधता पर सवाल खड़ा करना हास्यास्पद है. पारा शिक्षकों की बहाली जब ली गयी थी, उस वक्त सभी संस्थान न सिर्फ संचालित थे, बल्कि उन्हें मान्यता भी मिली हुई थी. शिक्षण और प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र जारी किये गये थे. अब यदि कोई संस्थान बंद हो जाती है तो इसमें पारा शिक्षक कैसे दोषी होंगे.

समग्र शिक्षा के जिला कार्यकारिणी की बैठक में मिले हैं सकारात्मक सुझाव

गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू से जब झारखंड प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ ने मिलकर स्थिति से अवगत कराया तो मामले की फिर से समीक्षा शुरू की गयी. श्री सोनू ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार को सारी स्थिति से अवगत कराया और कहा कि 15-20 वर्षों तक कार्यरत इन शिक्षकों के प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिये. इसके बाद शिक्षा सचिव और परियोजना की निदेशक के निर्देश के आलोक में समग्र शिक्षा के जिला कार्यकारिणी की बैठक 27 अक्तूबर को समाहरणालय के सभाकक्ष में हुई. इस बैठक में उपस्थित अधिकांश सदस्यों ने 225 सहायक अध्यापकों के सेवा को लेकर सकारात्मक सुझाव दिया है. सदस्यों का कहना था कि इसमें से सभी शिक्षकों ने काफी कम मानदेय पर 15-20 वर्षों तक अपनी सेवा दी है. इनका उम्र काफी निकल चुका है और अब इनके पास दूसरी नौकरी का कोई विकल्प भी नहीं है. बैठक में 225 शिक्षकों की सेवा फिलहाल बहाल रखने और प्रमाणपत्रों की वैधता के मुद्दे पर काफी देर तक चर्चा हुई है. सूत्रों की मानें तो निदेशक ने समग्र शिक्षा के अध्यक्ष सह उपायुक्त को शिक्षकों की सेवा बहाल रखने पर उचित निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया है. वहीं, प्रमाणपत्रों की वैधता के सवाल पर कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग से मार्गदर्शन मांगने हेतु पत्राचार करने का निर्देश दिया गया है.

शीघ्र ही बैठक की कार्यवाही से डीसी को अवगत कराया जायेगा : डीइओ

जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम आइलीन टोप्पो ने कहा कि पिछले दिनों 225 सहायक अध्यापकों के मामले में समग्र शिक्षा के जिला कार्यकारिणी की बैठक हुई है. इस बैठक में सदस्यों ने कई सुझाव दिये हैं. बैठक की कार्यवाही पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. शीघ्र ही इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट डीसी को सौंपी जायेगी. उन्होंने बताया कि प्रमाण पत्रों की वैधानिकता के साथ-साथ मानवीय पहलु को भी ध्यान में रखा गया है. शीघ्र ही इन शिक्षकों के मामले में उचित निर्णय लिया जायेगा.

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