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पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत 13 आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि एक बार फिर बढ़ी

आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्किलों की जमानत की याचिका की. हालांकि, इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया. सुनवाई के दौरान पार्थ समेत 13 आरोपियों की न्यायिक हिरासत 14 दिन और बढ़ा दी गयी.

शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ कल्याणमय गांगुली, एसएससी की नियुक्ति समिति के पूर्व सलाहकार डॉ शांति प्रसाद सिन्हा, पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा, पूर्व चेयरमैन सुबीरेश भट्टाचार्य, बिचौलिये प्रसन्न राय व प्रदीप सिंह समेत 13 आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि गुरुवार को समाप्त हुई. इस दिन सभी को अलीपुर कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया गया. आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्किलों की जमानत की याचिका की. हालांकि, इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया. सुनवाई के दौरान पार्थ समेत 13 आरोपियों की न्यायिक हिरासत 14 दिन और बढ़ा दी गयी. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी.

सूत्रों के अनुसार, मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने घोटाले की सीबीआइ जांच की गति को लेकर तीखी आलोचना की. बताया जा रहा है कि सीबीआइ की ओर से आरोपी शांति प्रसाद सिन्हा के हाथों की लिखावट की जांच करने का आवेदन किया गया था. ऐसे में न्यायाधीश ने सवाल किया कि आरोपी को बिना हिरासत में लिए उसकी हाथों की लिखावट की जांच कराना क्या कानूनी रूप से सही है? इस मामले में सिन्हा और अब्दुल खालेक के अधिवक्ता संजय दासगुप्ता ने सीबीआइ के इस आवेदन पर आशंका जतायी थी. साथ ही कहा कि आरोपियों के साथ कुछ भी हो सकता है. आरोपियों के अधिवक्ताओं की ओर से उनके मुवक्किलों की जमानत का आवेदन करते हुए दावा किया कि जांच के नाम पर सीबीआइ इस तरह उनके मुवक्किलों को महीनों तक जेल में नहीं रख सकती.

स्वाधीन भारत में सभी व्यक्ति को अपनी बात रखने और अपना जीवन जीने की पूर्ण आजादी है. उन्होंने भी सीबीआइ की जांच की गति पर सवाल उठाया. इधर, सीबीआइ के अधिवक्ता ने दावा किया कि घोटाले की जांच में नये-नये तथ्य केंद्रीय जांच एजेंसी को लगातार मिल रहे हैं. ऐसे में यदि आरोपियों को जमानत दे दी गयी, तो जांच प्रभावित हो सकती है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सभी आरोपियों को 30 मार्च तक न्यायिक हिरासत में रखने का निर्देश दिया.

मैं किसी का नियोक्ता नहीं हूं : पार्थ

राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में हुई नियुक्तियों के घोटाले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने एक बार फिर घोटाले में शामिल होने की बात खारिज कर दी है. गुरुवार को अलीपुर कोर्ट परिसर में उन्होंने यह कहा कि “मैं किसी का नियोक्ता नहीं हूं, मैं एक मंत्री था. मैं किसी अवैध कार्य का समर्थन नहीं करता हूं और न ही करूंगा. बोर्ड अपने नियमों और कानूनों से चलता है.” अलीपुर कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में पार्थ व अन्य पांच आरोपियों की जमानत पर गुरुवार को कोई फैसला नहीं हो पाया. मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.

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