आज काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2021) मनाई जा रही है. मान्यता के अनुसार, शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था. इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है.
इस दिन भगवान भैरव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना (Kaal Bhairav Puja) की जाती है. भक्तों को बता दें कि भगवान भैरव भगवान शिव का ही रोद्र रूप हैं. इस दिन सुबह स्नान वगैरह करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद रात के समय कालभैरव की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है.
काल भैरव जयंती शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 27 नवम्बर 2021 को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट.
अष्टमी तिथि समाप्त – 28 नवम्बर 2021 को प्रात: 06 बजे.
Kaal Bhairav Puja- काल भैरव पूजा विधि
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इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान कर साफ वस्त्रों को धारण करना चाहिए.
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इसके बाद भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
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उन्हें काले तिल, उड़द अर्पित करना चाहिए.
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मंत्रों का जाप करते हुए विधिवत पूजा करना चाहिए.
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बिल्वपत्रों पर सफेद या लाल चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिव लिंग पर चढ़ाना चाहिए.
काल भैरव का व्रत रखने के फायदे-
भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है. कालभैरव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में बेहद प्रचलित हैं. बात अदर तंत्र साधना की करें तो इसमें भैरव के आठ स्वरूप की उपासना की बात कही गई है. असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव इसके रूप हैं..
इस मंत्र का करें जाप
इस दिन व्रत रखने वाले साधक को पूरा दिन ‘ओम कालभैरवाय नम:’ का जाप करना चाहिए.
Posted By: Shaurya Punj