Kaal Sarp Dosh Nivaran, Nagraj Vasuki Temple: कुंडली में काल सर्प दोष होने पर जातक को कई तरह के उपाय करने पड़ते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दर्शन मात्र से ही यह दोष दूर हो जाता है. आइए जानते हैं कहां है यह मंदिर और किस तरह यहां आने से दूर होता है कालसर्प दोष?
कालसर्प दोष दूर करने वाला मंदिर नागराज वासुकी है. यह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दारागंज मोहल्ले के उत्तरी छोर में स्थित है. यहां नागराज वासुकी मंदिर के देवता के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में नागराज के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं.
अपने अनूठे वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर (Nagavasuki Mandir) , विश्व का इकलौता मंदिर है, जिसमें नागवासुकि की आदमकद प्रतिमा है. मंदिर के पूर्व-द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हैं, जिनके बीच में लक्ष्मी के प्रतीक कमल दो हाथियों के साथ बने हैं. इसकी कलात्मकता सबसे अधिक आकर्षित करती है, नागवासुकि का विग्रह भी आकार-प्रकार में कम सुंदर नहीं है, इसमें नाग देवता को ही केंद्र में प्रतिष्ठित किया गया हो. इस दृष्टि से नागवासुकि मंदिर असाधारण महत्ता रखता है.
मंदिर के पुजारियों की मानें तो वासुकी मंदिर में भक्त को पूजा का सामान खुद लेकर आना चाहिए. कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा की विधि भी बताई जाती है. सबसे पहले प्रयाग के संगम में स्नान करना चाहिए. फिर वासुकी नाग मंदिर में मटर, चना, फूल, माला और दूध के साथ जाएं. इसके बाद वासुकी नाग के दर्शन करने के बाद उन्हें पूजन सामग्री अर्पित करें. इसके बाद कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें.
कहा जाता है मराठा के एक राजा हुए जिन्हें कुष्ठ रोग हो गया था. उन्होंने नाग वासुकी के मंदिर में मन्नत मांगी कि यदि उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया तो वह मंदिर का जीर्णोद्धार कराएंगे. इसके बाद कुछ ही वक्त में राजा कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए। तब उन्होंने नाग वासुकी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. इसके अलावा उन्होंने मंदिर के साथ ही पक्के घाट का निर्माण कराया.
नाग गायत्री मंत्र: ‘ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्। ‘ इस मंत्र को कालसर्प दोष निवराण के लिए प्रभावी माना जाता है. इसके अलावा आप ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ नागदेवताय नम:’ मंत्र का जाप कर सकते हैं. रुद्राक्ष माला से 108 बार जप करना होता है.