Kailash Kher in Dhanbad: तौबा तौबा वे तेरी सूरत, माशा इ अल्लाह वे तेरी सूरत..मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया… कैलाश खेर के गीतों पर दर्शक झूमने पर मजबूर हो गये. मौका था हिंदी साहित्य विकास परिषद की ओर से रविवार को धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में आयोजित साहित्य महोत्सव के समापन समारोह का. शिव शंकर के भक्त और अपनी गायकी में शिव की महिमा गाने वाले सूफी गायक कैलाश खेर कोयले की धरती धनबाद पर अपने गानों से समां बांध दिया. पद्मश्री से सम्मानित कैलाश खेर के कदम जैसे ही स्टेज पर पड़े तो उपस्थित हजारों की भीड़ ने तालिया से उनका अभिनंदन किया. जाना जोगी दे नाल… गीत के साथ उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद देर रात तक गीतों की महफिल सजी रही और लोग झूमते रहे. मौके पर झरिया विधायक नीरज पूर्णिमा सिंह, गिरिडीह के पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय आदि मौजूद थे.
नमस्कार धनबाद
पहला गीत समाप्त होते ही कैलाश खेर ने धनबादवासियों को नमस्कार करते हुए कहा कि एक तो आप प्यारे हैं ऊपर से यहां का मौसम प्यारा है. दिन में जहां थोड़ी गर्मी थी, वहीं शाम होते ही मौसम बदल गया और हवाओं में नमी है. उन्होंने कहा कि भगवान शिव की कृपा है कि किसी न किसी बहाने मुझे धनबाद बुला लेते हैं.
खनिज की धरती है धनबाद
कैलाश खेर ने कहा कि धनबाद की धरती खनिज की धरती है, यहां जहां कोड़ दो, वहां से पैसा ही पैसा निकलता है. इसलिए यह कैलासा की धरती है. यहां आने पर मुझे घर का खाना मिला. उन्होंने रचित अग्रवाल की सराहना करते हुए कहा कि आपने हीरा जन्मया है ,जिसका नाम रचित अग्रवाल है इसे प्रोत्साहित करें और आगे बढ़ायें.
इन गीतों पर झूमे लोग
जागु मैं सारी सारी रात तेरी याद में…, कैसे बताएं कि तुझको चाहे यारा बता ना पाए…, पिया के रंग रंग दी ओढ़नी…, कौन है वो कौन है, कहां से वो आया, चारों दिशाओं में तेज सा है छाया…, प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी… आदि गीतों से दर्शक आनंदित होते रहे.