Kalashtami Ashad Month 2022: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत की जाती है. इस बार अषाढ़ महीने की कालाष्टमी 21 जून को पड़ रही है. इस दिन भगवान शंकर के रौद्र रूप भैरव की पूजा की जाती है. इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है. इस दिन सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करने और उसके बाद भैरव की पूजा करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष के अनुसार कालाष्टमी के दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रही परेशानी, रोग, भय, कष्ट से मुक्ति मिलती है और खुशहाली, संपन्नता आती है. ज्योतिष विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा से जानें इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय.
कालाष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि करके भैरव जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और उन्हें जलेबी का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आपको जीवन में कोई परेशानी नहीं आती, सफलता मिलती है.
आर्थिक उन्नति, संपन्नता प्राप्त करने के लिए इस दिन अपने घर के बाहर शमी का पेड़ लगाना चाहिए. ऐसा करने से आर्थिक उन्नति के रास्ते खुलते हैं.
सुख-संपन्नता में बढ़ोतरी के लिए इस दिन भैरव जी का आशीर्वाद लेकर मौली से एक लम्बा सा धागा निकालकर, उसमें सात गांठे लगाकर अपने घर के मंदिर में रखना चाहिए. ऐसा करने से आपके भौतिक सुख की प्राप्ति होती है.
किसी भी प्रकार के भय को दूर करने के लिए इस दिन भैरव जी के इस मंत्र का 5 बार जप करें. मंत्र इस प्रकार है –आं ह्री क्रों बम् बटुकाय आपद् उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय बम् क्रों ह्रीं आं स्वाहा. ऐसा करने से आपको किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता.
किसी तरह की दुविधा में पड़े हुए हैं और उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तो इस दिन आपको शमी के पेड़ की जड़ में जल और मन्दिर में सूत का धागा चढ़ाना चाहिए. इससे समाधान मिलेगा.
नौकरी या बिजनेस में कोई परेशानी आ रही है, तो उसे दूर करने के लिए इस दिन आपको अपने बड़े भाई का आशीर्वाद लेना चाहिए और उन्हें सामर्थ्य अनुसार कुछ गिफ्ट करना चाहिए. ऐसा करने से नौकरी या बिजनेस में आ रही परेशानियां दूर होती हैं.
बुरी नजर से बचने के लिए इस दिन भैरव जी को लाल पुष्प अर्पित करें और उनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें.
अपने वैवाहिक जीवन को सुखद बनाना चाहते हैं, तो इस दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखद बना रहेगा.
इस दिन भैरव जी के साथ ही अपने पितरों की भी पूजा करनी चाहिए और अपने पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए. साथ ही किसी ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक भोजन खिलाना चाहिए.