Kalashtami 2024: हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है. हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित है, इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-व्रत करने का विधान है. कालाष्टमी व्रत भगवान भैरव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है, इस दिन भगवान भैरव के भक्त पूरे दिन उपवास रखते है और वर्ष में सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा करते हैं. कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव इसी दिन भैरव के रूप में प्रकट हुए थे. कालभैरव जयंती को भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. धर्म की खबरें
काल भैरव की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है, इसके साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साल 2024 की पहली कालाष्टमी 4 जनवरी को है. कालाष्टमी के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है, जिनको करने से साधक का जीवन परेशानियों से भरा रहता है और भगवान काल भैरव रुष्ट हो सकतें हैं. अगले साल पौष मास में कृष्ण मासिक जन्माष्टमी 4 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास भी रखा जाता है.
पौष मास की कालाष्टमी तिथि आरंभ 03 जनवरी 2024 को शाम 07 बजकर 48 मिनट पर होगी और कालाष्टमी का समापन 04 जनवरी 2024 की रात 10 बजकर 04 मिनट पर होगी. पौष मास की कालाष्टमी 04 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा.
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं, इसके बाद घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित करें. फिर पूरे विधि विधान से उनकी पूजा करें. भगवान श्रीकृष्ण जन्म कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें. फिर भगवान श्रीकृष्ण को मिश्री और माखन का भोग लगाएं. अगले दिन उनकी विधिवत आराधना करने के बाद ही व्रत का पारण करें.
Also Read: नए साल 2024 का पहला दिन बेहद खास, इस दिन पूजा करने पर साल भर बरसेगी महादेव की कृपा
कालाष्टमी व्रत को रखने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती हैं. शास्त्रों में कहा जाता है कि जो भी भक्त इस व्रत को लगातार एक साल तक श्रद्धापूर्वक करता है, वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है और धन धान्य से परिपूर्ण होकर उत्तम ऐश्वर्या को प्राप्त करता है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुनने वाले उपासक को वैभव एवं यश की प्राप्ति होती है.