Kali Puja 2023: कालरात्रि में आज की जाएगी मां काली की पूजा, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त और नियम
Kali Puja 2023: कार्तिक अमावस्या की रात की जाने वाली काली पूजा बंगाल में श्यामा पूजा या महानिषि पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं. कहा जाता हैं इस दिन इस पूजा को करने से इनकी पूजा उपासना से भय नाश, आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है.
Kali Puja 2023: आज दीपावली है. आज धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेश जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी. वहीं कुछ जगहों पर आज मध्य रात्रि में मां काली की विशेष रूप से पूजा करने का विधान है. बता दें कि कार्तिक अमावस्या की रात की जाने वाली काली पूजा बंगाल में श्यामा पूजा या महानिषि पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं. कहा जाता हैं इस दिन इस पूजा को करने से इनकी पूजा उपासना से भय नाश, आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है. इनकी उपासना से तंत्र-मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं. मां काली की पूजा का उपयुक्त समय रात्रि काल होता है. पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु शनि की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक होती है.ऐसे में आइए जानते हैं कि काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करने के पीछे क्या मान्यता है?
इस वर्ष काली चौदस की पूजा का समय 11 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त हैं रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से देर रात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक है. इस मुहुर्त में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता हैं. इसलिए साधक को इस निश्चित अवधि में माता की पूजा- अर्चना करनी चाहिए. कहा जाता हैं कि शुभ मुहुर्त में माता का पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल की प्राप्ति होती हैं.
काली पूजा का शुभ मुहुर्त
धर्मिक शास्त्रों के अनुसार, हर वर्ष निशिता काल में ही काली पूजा करने का विधान है. पंचांग के अनुसार, इस बार 12 नवंबर 2023 को रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 13 नवंबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट तक काली पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है. साधक इस शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.
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मां काली पूजा के लिए विशेष होता हैं कार्तिक अमावस्या
11 नवम्बर को ही छोटी दीपावली के दिन मध्य रात्रि को अमावस्या तिथि लग गई हैं और कार्तिक मास की यह अमावस्या तिथि साल की सबसे घनी अमावस्या की तिथियों में से एक होती है. मां काली की साधना के लिए धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या की तिथि को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. कार्तिक मास की अमावस्या साल की सबसे घनी अमावस्या होने के कारण यह मां काली की पूजा अर्चना करने के लिए और भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए इसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता हैं.
मां काली की पूजा के नियम
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सबसे पहले स्नान करें व साफ वस्त्र धारण करें.
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मां काली की पूजा करने से पहले संकल्प लें.
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पूजा स्थल पर मां काली की प्रतिमा रखने से पहले चौकी रखें और उस पर मां काली की प्रतिमा रखें.
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उसके बाद हाथ जोड़ें और माता रानी को अक्षत, कुमकुम, रोली, कपूर, हल्दी और नारियल चढ़ाएं.
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पूजा के दौरान मां की प्रतिमा के सामनें अखंड ज्योत जरूर जलाएं या हो सके तो एक दीप अवश्य जलाएं.
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पूजा के शुभ समय में मां काली के मंत्रों का जाप करें और उनसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें.
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मां काली के मंत्रों का उच्चारण करें.
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इसके बाद उन्हें नारियल के लड्डू और फल का भोग लगाएं.
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अंत में काली माता की आरती उतारें और पूजा के दौरान जाने-अनजाने हुई गलतियों की माफी मांग लें.
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