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Kamada Ekadashi 2022 Date: इस दिन है कामदा एकादशी, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Kamada Ekadashi 2022 Date: हिंदू वर्ष की पहली एकादशी कामदा एकादशी या फलदा एकादशी के नाम से जानी जाती है. यह रामनवमी के ठीक दो दिन बाद पड़ती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2022 10:40 AM

Kamada Ekadashi 2022 Date: हिंदू वर्ष की पहली एकादशी यानि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी या फलदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी रामनवमी के ठीक दो दिन बाद पड़ती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी के दिन पूर्ण नियमों से व्रत करने वालों के सभी पाप कट जाते हैं. इस व्रत को करने वाले भक्तों से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और बिगड़े काम बनने लगते हैं. सफलता कदम चूमती है. साथ ही मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.ज्योतिष के अनुसार कामदा एकादशी के दिन भक्ति-भाव के साथ भगवान विष्णु की पूजा पीले फूल करनी चाहिए. जानें कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi 2022) या फलदा एकादशी व्रत कब ? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि नोट कर लें.

Kamada Ekadashi 2022 Date: कामदा एकादशी कब है?

इस बार कामदा एकादशी व्रत मंगलवार, 12 अप्रैल को रखा जाएगा. बता दें कि इस बार कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. शास्त्रों के अनुसार भक्तों को इस दिन एकादशी व्रत कथा पढ़ने व सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. भगवान विष्णु की एकादशी तिथि पर पूजा करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है.

Kamada Ekadashi 2022 Shubh Muhurat: कामदा एकादशी 2022 का शुभ मुहूर्त, पारण का समय

  • चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि की शुरुआत- मंगलवार, 12 अप्रैल 2022 को सुबह 04:30 AM से है.

  • एकादशी तिथि का सामपन- बुधवार, 13 अप्रैल 2022 को 05:02 AM तक.

  • पूजा का शुभ मुहूर्त- 11:57 AM से 12:48 PM तक.

  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:59 PM से 08:35 AM तक इसके साथ ही रवि योग भी रहेगा.

  • कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त : 13, अप्रैल 2022 : 01:38 PM से 04:12 PM तक.

  • बता दें कि उदयातिथि के कारण इस बार कामदा एकादशी व्रत मंगलवार,12 अप्रैल को ही रखा जाएगा.

Kamada Ekadashi Puja Vidhi: कामदा एकादशी पूजा विधि

  • कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

  • कामदा एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करके साफ स्वच्छ कपड़ें पहनें.

  • अब भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि समर्पित करें.

  • रात में जागरण करना अच्छा माना गया है इसलिए संभव हो तो सोने के बजाय भजन- कीर्तन करें.

  • अगले दिन पूजा के बाद इच्छा व सामर्थ्य के अनुसा ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें.

  • दान करने के बाद व्रत का पारण करें.

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