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कानपुर के इस मंदिर में भ्रष्ट नेता- सरकारी अधिकारी को नहीं मिलती एंट्री, जानें शनिदेव स्थल की अनूठी परंपरा

भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर है. मंदिर में देश के कई नौकरशाह , जज के अलावा भाजपा सपा, बसपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेताओं की फ़ोटो लगाई गई है.

कानपुर: अनूठी प्रथा- परंपरा के लिए पहचान बना चुके भारत में ऐसे कई मंदिर-मस्जिद हैं जहां खास नियमों का पालन करना पड़ता है. ऐसा ही एक मंदिर है जहां किसी भी भ्रष्ट अधिकारी या नेता के जाने पर पूर्ण पाबंदी है. कानपुर के कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के पास भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर है. मंदिर में देश के कई नौकरशाह , जज के अलावा भाजपा सपा, बसपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेताओं की फ़ोटो लगाई गई है.जिनके मंदिर पर प्रवेश पर रोक है. मंदिर प्रशासन भ्रष्ट और इमानदारों की समीक्षा करता है. सीएम योगी आदित्यनाथ को इमानदारी के पैमानें में खरे उतरे हैं. इसी वजह से सीएम योगी को मंदिर पर प्रवेश की अनुमति दी गई है.

शनि देव  पर नजर रख रहे ब्रह्मा जी

कानपुर विश्वविद्यालय के पीछे शनि देव का ऐसा एक मंदिर है, जो भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. माना जाता है कि मंदिर निर्माण के बाद उसका लोकापर्ण एक दिव्यांग व्यक्ति से कराया गया. निजी भूमि पर बने इस मंदिर में मूर्तियों को भी तर्कों के आधार पर स्थापित किया गया है. शनि देव की तीन मूर्तियों के साथ ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित की गई है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ब्रह्मा सीधे शनि देव को देख रहे हों.इन मूर्तियों के साथ ही भगवान हनुमान की भी एक प्रतिमा स्थापित की गई है.

70 राजनेता और 20 ब्योरोक्रेट्स को भ्रष्ट माना

बताते चले कि इस मंदिर में शनिदेव के सामने देश के 70 राजनेता और 20 ब्योरोक्रेट्स को भ्रष्ट बतलाया गया है. मंदिर प्रशासन का मानना है कि ये कहीं न कहीं भ्रष्ट सिस्टम के हिस्से से जुड़े हुए हैं. मंदिर प्रशासन के मुताबिक जो भी नेता या अन्य लोग भगवान शनि की निगरानी में खरे उतरते हैं तो उन्हें क्लीनचिट देकर उनकी तस्वीर के आगे इमानदार लिख दिया जाता है.यही वजह है कि सूबे के मुखिया बीते 10 सालों में खरे उतरे है इसलिए मन्दिर प्रशासन ने उनके प्रवेश की अनुमति दी है.

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जिम्मेदार व्यक्तियों पर रहे नजर

यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि मंदिर में कुछ अधिकारियों, मंत्रियों व नेताओं की तस्वीरों को इस तरह लगाया गया है कि शनि देव की नजर उन पर रहे. लोगों का मानना है कि इसके पीछे का मकसद इतना है कि समाज में व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के जिम्मेदार इन लोगों की ओर से जनता विरोधी निर्णय लेने की स्थिति में इन्हें शनि देव का कोपभाजन बनना पड़े.

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यहा पूजन के हैं कड़े नियम

शनि देव के इस मंदिर में मूर्तियों के ऊपर तेल चढ़ाना, प्रसाद चढ़ाना और घंटा बजाना निषिद्ध है. हालांकि, यहां लौंग, इलायची और काली मिर्च के साथ मिट्टी के दीए चढ़ाए व जलाए जा सकते हैं.

भ्रष्टाचार रोकने के लिए 2012 में हुई स्थापना

मंदिर के संरक्षक रवि शर्मा ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए बताया कि देश में एकाएक भ्रष्टाचार की बढ़ोतरी को देखकर 2012 में मंदिर का निर्माण कराया था. वो इस मंदिर के जरिए देश के राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और जजों को पैगाम देना चाहते हैं कि भ्रष्टचार कर अपनी तिजोरी भर रहे हैं, उसे भगवान शनि देख रहे हैं.जिसकी सजा वो आज नहीं तो कल जरूर देंगे. मंदिर में कोई प्रसाद व पैसे चढ़ाने पर रोक है.मंदिर में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाता प्रवेश के अधिकार प्रबंधन के पास सुरक्षित हैं, यह आम जनता के लिए खुला है लेकिन पूर्व और वर्तमान भ्रष्ट मंत्री, सांसद, विधायक और जजों की एंट्री बैन है.

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