सहरसा: कारगिल युद्ध में कोसी क्षेत्र के बनगांव निवासी फूल झा के सबसे छोटे पुत्र शहीद रमण झा को देश नहीं भुला पाएगा. रमण झा कम आयु में ही देश की सेवा करते शहीद हो गये थे. जिसके कारण आज भी देश प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल मे शहीद हुए सभी शहीदों के सम्मान मे विजय दिवस मना देश शहीदों का सम्मान करता है.
देश सेवा की सनक ने पांच मार्च 1979 को जन्मे रमण झा को 19 वर्ष की आयु मे ही सेना मे नौकरी करने को प्रेरित कर दिया. नौकरी करने के दौरान वह सिख रेजीमेंट मे सिपाही के पद पर रहे.1999 में उन्हें भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान कारगिल में तैनात किया गया. जहां जवाबी कार्रवाई के दौरान देश के लिए वो शहीद हो गये.
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पिता फूल झा और माता उमा देवी को तीन पुत्र थे. जिसमें सबसे छोटे पुत्र रमण झा को देश सेवा में जाने और देश सेवा में शहीद हो जाने के बाद उनके माता-पिता सहित परिवारों मे शोक की लहर तो छा गई. लेकिन देश की सेवा में अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद रमण झा ने परिवार सहित क्षेत्र के लोगों का सीना चौड़ा कर दिया.
प्रत्यक्ष प्रमाण है कि घटना के बाद गांव सहित कोसी क्षेत्र से अधिक संख्या में देश की सेवा के लिए युवा सेना की नौकरी में जा रहे हैं या उसकी तैयारी में लगे रहते हैं. शहीद होने के बाद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शहीद रमण झा के परिवारों को आर्थिक सहायता, उच्च स्तरीय रोजगार के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देकर देश के लिए न्योछावर करने वाले परिवार को सम्मानित किया गया.
वहीं गांव में ही कलावती उच्च विद्यालय के खेल मैदान प्रांगण में शहीद रमण झा के सम्मान में एक स्मारक भी बनाया गया. जिससे गांव सहित क्षेत्र के लोग सदियों तक इनका सम्मान कर सके और इनसे प्रेरणा ले सकें. आज भी प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, विजय दिवस सहित देश को गौरवान्वित करने वाले दिवसों पर याद किया जाता है एवं झंडोत्तोलन किया जाता है. वहीं ग्रामीण सहित क्षेत्र के युवा सुबह शाम इस खेल मैदान पर देश की सेवा में जाने के लिए शारीरिक तैयारी करते नजर आते हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya