Loading election data...

Kargil Vijay Diwas: कारगिल का वो हीरो, जिसने साथियों की जान बचाने को उठा लिया था दुश्मन का फेंका ग्रेनेड

Kargil Vijay Diwas: कानपुर के कल्याणपुर आवास विकास में रहने वाले अजीत सिंह राष्ट्रीय राइफल (आरआर) में सिपाही थे. कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें असम से बुलाकर कुपवाड़ा भेजा गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | July 26, 2022 8:02 AM

Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान और भारत की जीत की खुशी में मनाया जाता है. यह युद्ध लगभग 60 दिनों से ज्यादा चला था और 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी. बता दें कि आज ही के दिन भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान द्वारा हथियाई गई चौकियों पर कब्जा करके भारतीय झंडा(तिरंगा) फहराया था.

जम्मू-कश्मीर के कारगी-दास क्षेत्र में एक बड़ा पहाड़ है. इसे टाइगर हिल नाम से जाना जाता है. यह पहाड़ कारगिल युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु था. कारगिल विजय दिवस कार्गि-ड्रस क्षेत्र और नई दिल्ली में बड़े स्तर पर मनाया जाता हैै .देश के प्रधानमंत्री हर साल इंडिया गेट में आकर अमर जवान ज्योति में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

2 महीने से ज्यादा लड़ा गया युद्ध

जम्मू कश्मीर का एक इलाका है कारगिल जो श्रीनगर से लगभग 205 किलोमीटर दूर है.यहां का मौसम काफी अलग है. गर्मियों में रात की ठंडी हवाओं से बड़ा सुकून मिलता है. वहीं सर्दियों में तो यहां और ज्यादा ठंडा रहता है.यहां शीतकाल में तापमान करीब 4 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. बताते चले कि कारगिल का युद्ध मई से लेकर जुलाई 1999 तक लगभग 2 महीने से अधिक समय तक लड़ा गया था.

कारगिल की जीत के बाद देश में मना जश्न

कारगिल युद्ध पर अब तक कई फिल्में बनीं. कारगिल की जीत के बाद से भारत में जश्न मना था. 23 साल पहले हुए इस कारगिल यु्द्ध में बाॅलीवुड में अब तक कई बड़ी फिल्में बनी हैं. इसमें जेपी दत्ता की फिल्म एलओसी कारगिल फिल्म एक बड़ा उदाहरण हैै.इस फिल्म में संजय दत्त, अजय देवगन, सैफ अली खान, सुनील शेट्टी, संजय कपूर, अभिषेक बच्चन जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है.

साथियों की जान बचाने को उठा लिया था दुश्मन का फेंका हैंडग्रेनेड

कानपुर के कल्याणपुर आवास विकास में रहने वाले अजीत सिंह राष्ट्रीय राइफल (आरआर) में सिपाही थे. कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें असम से बुलाकर कुपवाड़ा भेजा गया था. जब ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर छिपा बैठा दुश्मन हैंडग्रेनेड से हमला कर रहा था, तब वे भी मुस्तैदी से मुुंह तोड़ जवाब दे रहे थें. बताते हैं इसी बीच दुश्मन का एक हैंडग्रेनेड उनके पास आकर गिरा. साथियों को बचाने में अपनी जान की परवाह किए बगैर हैंडग्रेनेड उठाकर फेंका तो वो फट गया, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. दर्जनों ऑपरेशनों के बाद अजीत की जिंदगी बच पाई थी लेकिन हौसला आज भी उनका आसमान पर है.

Next Article

Exit mobile version