Karma Puja 2022 LIVE Updates: झारखंड में धूम-धाम से मनाया जा रहा करमा पूजा, मांदर की थाप पर थिरकेंगे लोग
Karma Puja 2022 LIVE Updates: करमा झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह पर्व झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में आदिवासी समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल करमा पर्व आज यानी 6 सितंबर मंगलवार को है. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. यहां जानें इस पर्व से जुड़ी हर जानकारी.
मुख्य बातें
Karma Puja 2022 LIVE Updates: करमा झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह पर्व झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में आदिवासी समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल करमा पर्व आज यानी 6 सितंबर मंगलवार को है. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. यहां जानें इस पर्व से जुड़ी हर जानकारी.
लाइव अपडेट
रांची में इन सभी अखड़ों में होगी पूजा
बता दें कि कारोना संक्रमण के कारण दो साल करमा पूजा धूमधाम से नहीं मनाया जा सका था, ऐसे में इस बार पर्व को लेकर दोगुना उत्साह है. राजधानी रांची में सभी अखड़ा में पूजा होगी. मुख्यरूप से हातमा, सिरमटोली, करमटोली, वीमेंस कालेज, आदिवासी हास्टल, हरमू, डंगराटोली में भव्य रूप से पूजा होगी. मुख्य पाहन जगलाल पाहन हातमा अखड़ा में पूजा करायेंगे.
ऐसे मनाएं करमा पर्व
करमा पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इनके भाई 'करम' वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन में गाड़ते हैं. इसके बाद सभी महिलाएं आदि नृत्यु करते हैं, रात भर जागकर फल्लास मनाते हैं और सुबह के समय इस डाली का विसर्जन कर दिया जाता है.
पर्व से जुड़ी कई कहानियां और किंवदंतियां
झारखंड की कुछ जनजातियों का मानना है कि कर्मी नामक वृक्ष पर कर्मसेनी देवी रहती हैं. यदि उन्हें प्रसन्न कर लिया जाये, तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. देवी को खुश करने के लिए ही लोग घर में करम वृक्ष की डाली गाड़कर उसकी पूजा करते हैं. रात भर लोग नाचते-गाते हैं. झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जिलों की अलग-अलग जनजातियों का मानना है कि करम पर जब विपत्ति आन पड़ी, तो उसने अपने ईष्ट देव को मनाने के लिए पूरी रात नृत्य किया. इसके बाद उसकी विपत्ति दूर हो गयी. इसलिए इस त्योहार में लोग रात भर नाचते हैं. उरांव जनजाति की मान्यता है कि करम देवता की पूजा करने से फसल अच्छी होती है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही लोग रात भर नृत्य करते हैं. आदिवासियों के धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं के अनुसार, करमा पूजा की शुरुआत पिलचू बूढ़ी (प्रारंभिक मानव माता) ने अपनी बेटियों के लिए की थी. तब से बहनें अपने भाइयों की रक्षा और प्रकृति की पूजा के रूप में करम डाली की पूजा करती हैं.
धूम-धाम से मनाया जा रहा करमा पूजा
रांची में धूम-धाम से करमा पूजा मनाया जा रहा है. करम पूजा के लिए लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. अब शाम के वक्त पूरा परिवार इकट्ठा होगा. इसमें सभी लोग नए कपड़े और गहने पहनेंगे. जिसके बाद करमा की डाली को एक बार में काट कर लाया जाएगा और उसके बाद पूजा की जायेगी.
मांदर की थाप पर झूमेंगे लोग
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मातुलडीह गांव में चार सितंबर से ही करम पूजा की धूम है. बड़े ही धून-धाम से करमा पूजा मना रहे है. आज शाम लोग करम डाली काट कर लायेंगे औरअखड़ा में गाड़ कर पूजा करेंगे. वहीं, बलि भी दी जाएगी. जिसके बाद करम डाल के आस पास लोग मांदर की थाप पर झमकर नाच-गान करेंगे.
करमा महोत्सव के जावा डाली में झूमी शिक्षा मंत्री की धर्मपत्नी
करमा महोत्सव के जावा डाली में झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो की पत्नी बेबी देवी खूब झूमी. इस मौके पर शिक्षा मंत्री की पत्नी बेबी देवी ने कहा कि झारखंड की सभ्यता-संस्कृति में प्रकृति प्रेम निहित है जो हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और आदर को जागृत करती है. साथ ही करमा पूजा धन लक्ष्मी के साथ-साथ भाई-बहन की अटूट प्रेम का प्रतीक है. इससे पूर्व करमा महोत्सव के अखाड़ा में करम डाला के साथ श्रद्धालुओं ने सांस्कृतिक एवं सभ्यता के अनुरूप आज रे करम गोसाई घारे द्वारे रे, मोर भैया जियत लाखों बरीस, देहो-देहो करम गोसाई देहो आशीष हो आदि जैसे गीतों पर युवतियों ने ढोल मंदार की थाप पर नृत्य किया.
महुआ मांझी ने करमा पूजा की दी शुभकामनाएं
राज्यसभा सांसद महुआ मांझी ने भी ट्वीट कर समस्त झारखंडवासियों को करमा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी.
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पूर्व सीएम रघुवर दास ने किया ट्वीट
झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास ने भी करमा पूजा की बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतिक प्रकृति पर्व करम पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं. यह पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाये यही कामना करता हूं.
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बन्ना गुप्ता ने करमा पूजा की दी हार्दिक शुभकामनाएं
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने करमा पूजा को लेकर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सुख, शांति, संपन्नता एवं भाई-बहन के प्रेम को समर्पित प्रकृति पर्व करमा पूजा की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं.
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बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर दी बधाई
वहीं, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी करमा पूजा की शुभकामनाएं दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि करमा पूजा भाई बहिन के प्रेम और स्नेह को समर्पित, प्रकृति से जुड़ल परब करम परब कर ढेर बधाई और शुभकामना.
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CM हेमंत सोरेन ने करम परब की दी बधाई
करमा पूजा को लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी राज्यवासियों को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि प्रकृति महापर्व करम परब की सभी को अनेक-अनेक शुभकामनाएं और जोहार. भाई-बहन के अटूट प्रेम का यह पर्व, आप सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाये, यही कामना करता हूँ.
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राज्यपाल रमेश बैस ने करमा पूजा की दी शुभकामनाएं
राज्यपाल रमेश बैस ने सभी प्रदेशवासियों को करमा पूजा की शुभकामनाएं दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ''प्रकृति पर्व करम पूजा की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं, भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है.
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कई कहानियां भी है प्रचलित
हालांकि, करमा-धरमा से जुड़ी कई और कहानियां भी प्रचलित हैं. कहीं-कहीं पौराणिक कथा इस तरह है कि करमा जब भगवान कर्मा की पूजा करता है, तो उसकी पत्नी गर्म दूध से करमा के पौधों को स्नान कराती है, जिससे उसका कर्म जल जाता है. वह गरीब हो जाता है. वहीं, उसका भाई धरमा अमीर हो जाता है क्योंकि वह तरीके से पूजा-पाठ करता है. तब वहां जाकर करम के डाल की पुन: पूजा-अर्चना करते हैं. तब उनका करमा जाग जाता है. रास्ते में कई स्थानों में करमा को सोना, चांदी व पैसे मिल जाते हैं. जिससे वह अमीर हो जाता है.
करमा पर्व से जुड़ी कई कहानियां
इस पर्व को मनाने की पीछे पौराणिक कथा करमा और धरमा नामक दो भाइयों से जुड़ी है. कहा जाता है कि दोनों भाईयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान को दांव पर लगा दिया था. दोनों भाई काफी गरीब थे. उनकी बहन बचपन से ही भगवान से उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती थी. बहन द्वारा किए गए तप के कारण ही दोनों भाइयों के घर में सुख-समृद्धि आयी थी. इस अहसान का बदला चुकाने के लिए दोनों भाइयों ने दुश्मनों से अपनी बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी. इस पर्व की परंपरा यहीं से मनाने की शुरुआत हुई. इस त्योहार से जुड़ी दोनों भाइयों के संबंध में एक और कहानी है.
हजारीबाग में अनोखे अंदाज से मनाया जाता है करमा पर्व
करमा पूजा को लेकर हर तरफ उत्सव का माहौल है. वहीं, हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में करमा का पर्व अनोखे अंदाज से मनाया जाता है. यहां तीज का डाला विसर्जन करने के पहले गवांट एवं भक्ताइन द्वारा भूत भरनी की जाती है. तब करमा का डाला स्थापित होता है. सात दिनों तक करम के डाला को सुबह-शाम जगाया जाता है. करमा पूजा के एक दिन पहले संजोत के दिन गांव का पाहन देवल भुइयां रात्रि दो बजे देवी मंडप से भूत भरते हुए महोदी पहाड़ के गुफा जाते हैं. वहां से सेग कदम के फूल लाते हैं. देवी मंदिर एवं गांव के सभी मंदिरों में फूल चढ़ाते हैं. तब सभी करमा के अखाड़ों में फूल को पहुंचाया जाता है. बड़कागांव के कई गांव एवं मोहल्लों में देवास लगाने वाले भक्तों द्वारा भूत भरनी की जाती है. तब होती है कर्मा पूजा.
यहां तक आ सकेंगे वाहन
करम पर्व को लेकर राजधानी रांची में शाम सात बजे से बुधवार की सुबह आठ बजे तक भारी वाहनों की नो एंट्री रहेगी. जिसके कारण लोग वाहन से सिर्फ इन जगहों पर ही आ सकेंगे. ये हैं कटहल मोड़, तिलता चौक, लॉ यूनिवर्सिटी, तुपुदाना चौक, शहीद मैदान, सदाबहार चौक, बिरसा चौक, दुर्गा सोरेन चौक, बूटी मोड़, बोड़ेया, खेलगांव चौक तक वाहन आ सकेंगे.
ऐसा होगा ट्रैफिक प्लान
पिस्का मोड़ होकर हजारीबाग रोड जानेवाले सभी बड़े भारी मालवाहक वाहन तिलता चौक से रिंग रोड (लॉ यूनिवर्सिटी) होते हुए हजारीबाग रोड की ओर जायेंगे.
हजारीबाग रोड से लातेहार, पलामू, गढ़वा, इटकी रोड, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा रोड, पिस्का मोड़ जानेवाले भारी मालवाहक वाहन रिंग रोड (लॉ यूनिवर्सिटी) तिलता चौक होकर जा सकेंगे.
खूंटी की तरफ से आनेवाले भारी मालवाहक वाहन रिंग रोड होते हुए रामपुर, नामकुम, दुर्गा सोरेन चौक, टाटीसिलवे, खेलगांव, बूटी मोड़ होते हुए हजारीबाग की ओर जा सकेंगे और उसी मार्ग से हजारीबाग से खूंटी की ओर जायेंगे.
जमशेदपुर रोड से हजारीबाग रोड जानेवाले सभी भारी मालवाहक वाहन नामकुम, दुर्गा सोरेन चौक, टाटीसिलवे, खेलगांव, बूटी मोड़ होकर हजारीबाग रोड से आगे जा सकेंगे.
गुमला रोड, लोहरदगा रोड, खूंटी रोड से जमशेदपुर जानेवाले भारी मालवाहक वाहन व जमशेदपुर से गुमला, लोहरदगा, खूंटी जानेवाले भारी मालवाहक वाहन रिंग रोड (सीठियो) होकर आना-जाना करेंगे.
राजधानी में बड़े वाहनों की रहेगी नो एंट्री
करम पर्व को लेकर राजधानी रांची में उत्साह का माहौल है. इसको देखते हुए मंगलवार की शाम सात बजे से बुधवार की सुबह आठ बजे तक भारी वाहनों की नो एंट्री रहेगी. ट्रैफिक पुलिस का मनाना है कि करम पर्व के हर्षोल्लास के दौरान रातभर नृत्य-संगीत का कार्यक्रम चलता है, इसको देखते हुए इस प्रकार की व्यवस्था की गयी है.
डॉ. रामदयाल मुंडा अखरा में करम महोत्सव का आयोजन
रांची विवि के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय की ओर से आज 11 बजे से करम महोत्सव का आयोजन पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा अखरा में आयोजित किया जायेगा. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव होंगे.
यहां भी हो रहे आयोजन
हेसल सरना समिति के अखड़ा में जोगेंद्र पाहन, हेहल सरना समिति के अखड़ा में धरमू उरांव, 22 पड़हा सामाजिक उत्थान संस्था के अखड़ा में प्रदीप मुंडा, मधुकम सरना समिति के अखड़ा में सोमरा तिर्की, हरमू सरना समिति के अखड़ा में बहा पाहन, अरगोड़ा सरना समिति के अखड़ा मेंं शिबू पाहन, सरना प्रार्थना सभा नवाडीह के अखड़ा में मनोज उरांव, सरना प्रार्थना सभा कोनकी के अखड़ा में बिरसा उरांव, सरना प्रार्थना सभा बनहोरा के अखड़ा में जोलजस पाहन, लवाडीह सरना समिति के अखड़ा में विनय कुजूर, डिबडीह सरना प्रार्थना सभा के अखड़ा में अजय कुमार उरांव, सरना प्रार्थना सभा मिसिर गोंदा के अखड़ा में बिरसा पाहन पूजा करायेंगे.
देशावली सरना स्थल में बनाया सेल्फी प्वाइंट, बैकग्राउंड में झारखंडी परंपरा
हरमू के सहजानंद चौक स्थित देशावली सरना स्थल को लाइट व फूलों से सजाया गया है. यहां तीर धनुष, कुमनी, टांगी, हर-जोइंठ की पृष्टभूमि में सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है. तातालाब के किनारे भी लाइट लगा गयी है और झंडे सजा दिये गये हैं. मुख्य द्वार को फूलों व झूमर से सजाया गया है. यहां पाहन राजा बाहा तिग्गा पूजा करायेंगे. वहीं, सन्नी संतोष तिग्गा कथा वाचन करेंगे. मंच संचालन रवि तिग्गा करेंगे. अध्यक्ष विक्की कच्छप, सचिव-सन्नी संतोष तिग्गा कोषाध्यक्ष असरीति कच्छप की देखरेख में साज-सज्जा की जा रही है.
करमटोली में खपरैल का छज्जा बनाकर और फूलों से सजाया मंडप
करमटोली चौक स्थित छोटानागपुर ब्लू क्लब की ओर से करम गोसाईं के लिए मंडप तैयार किया जा रहा है. इसमें खपरैल का छज्जा बनाकर रजनीगंधा और गेंदा फूलों से सजाया जा रहा है. साथ ही आकर्षक विद्युत सज्जा भी हो रही है. यहां पाहन आनंद हेमरोम व सुनील खलखो पूजा करायेंगे. वहीं, अजय खलखो करम की कथा सुनायेंगे. समिति के अध्यक्ष चंदन खलखो, प्रकाश किंडो, अनूप लकड़ा, जेवियर कच्छप, राकेश खलखो, सूरज खलखो आदि की देखरेख में तैयारियां चल रही है.
बलि प्रथा के अनुसार की जायेगी पूजा
करम पूजा से पहले करमइत अथवा उपवास करनेवाली लड़कियों से फूल ले लिया जाता है.
फिर बलि प्रथा के अनुसार पूजा की जायेगी. पाहन रंगुवा (लाल) मुर्गे की बलि देंगे. तपावन, फल-फूल, जावा आदि अर्पित किये जायेंगे.
पाहन अर्जी-विनती करते हुए करम देव की पूजा करेंगे. पूजा की समाप्ति के बाद करम की कथा सुनायी जायेगी.
इसके बाद चना, खीरा, गुड़, फल का प्रसाद बांटा जायेगा. रात भर करम का नृत्य संगीत चलेगा.
फिर दूसरे दिन करम देव को विधि विधान से उखाड़ा जाएगा और गांव के तमाम घरों में उनका भ्रमण कराया जाएगा.
करम गोसाईं के स्वागत में सज गये अखड़ा
करम महोत्सव को लेकर राजधानी रांची में सभी मौजा के लोगों ने अखड़ा की साफ-सफाई और सजावट का काम पूरा कर लिया है. आज शाम अखड़ा में करम गोसाईं की स्थापना होगी. हातमा मौजा के जगलाल पाहन ने बताया कि करम देव को लाने के लिए युवा छह सितंबर की शाम निकलेंगे. वहां विधि-विधान से पूजा कर करम देव को अखड़ा लेकर आयेंगे. अखड़ा पहुंचने से पहले करम की डाल को करमइत या उपवास रखनेवाली लड़कियों को सौंप जायेगा. इसके बाद अखड़ा में पाहन-पहनाईन व अन्य लोग अखड़ा में तीन बार जल डालते हुए परिक्रम कर करम देव को स्थापित करेंगे.
Happy Karma Puja wishes: मुबारक हो आपको
मुबारक हो आपको
करम का यह पर्व,
चमको तुम जैसे तारो का नगीना,
पतझड़ न आये आपकी जिन्दगी में,
यही है बस दोस्त अपने दिल तमन्ना..
Happy Karma Parv 2022
Happy Karma Parv 2022: करम पर्व के आते ही छा जाता मौसम में बहार
करम पर्व के आते ही छा जाता मौसम में बहार
बदलाव दिखता प्रकृति में हर तरफ
ऐसे होता करम का त्यौहार
Happy Karma Puja 2022
सभी बहनें एकजूट होकर विसर्जन के लिए जावा डाली को सजाती हैं
सुबह सभी व्रती बहनें करम राजा से भेंट करती हैं. इसके बाद सभी बहनें एकजूट होकर विसर्जन के लिए जावा डाली को सजाती हैं वे कच्चे धागे से पिरोकर उड़हल फूल गेंदा फूल की मालाओं से सजाती हैं. उसके बाद विसर्जन के लिए निकल पड़ती हैं. उस समय करम राजा का बिछ़ुड़न का भी दु:ख होता है. और इस तरह प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम को छोड़ता हुआ करम राजा को नदी या तालाब में जावा डाली के साथ विसर्जित कर दिया जाता है. कहीं-कहीं विसर्जन के बाद कुछ पौधों को उठाकर घर लाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इनसे उपज में वृद्धि होती है, घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है. तुलसी पीड़ा के ऊपर घर के छप्पर में तथा पिछवाड़े में सब्जी-बागान में उन पौधों को डालकर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने की मंगल-कामना की जाती है.
हर दिन सुबह-शाम नृत्य गीत करके जावा को जगाया जाता है
जावा उठाने के बाद लड़कियां जावा-डाली को बड़े ही आदर एवं श्रद्धा भाव से स्वच्छ एवं ऊंचे स्थान पर रख देती हैं. इसके बाद प्रतिदिन सुबह-शाम नृत्य गीत करके जावा को जगाती है, जिसे जावा जगाना कहते हैं. जावा जगाते-जगाते छह दिन बीत जाने के बाद भादो शुक्ल का एकादशी दिन आता है. उस दिन सुबह घर-आंगन गोबर से लीप कर स्वच्छ एवं शुद्ध किया जाता है. युवतियां नाना प्रकार के फूल इकट्ठा करती हैं. संध्या सभी बहनें नदी या तालाब स्नान करने जाती है वहां से लोटा में स्वच्छ जल लेकर आती हैं.
एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जावा जगाने का गीत गाती हैं युवतियां
करम पर्व को प्रारंभ करने के लिए बेजोड़ दिनों का चुनाव करना होता है. जैसे-तीन, पांच, सात, नौ या ग्यारह दिनों का. इससे पहले युवतियां पर्व प्रारंभ करती है. बालू उठाने के लिए नदी, तालाब या नाला में जाने से पहले अखड़ा में नृत्य कर लेती हैं, फिर बालू उठाने के लिए निकलती है. युवतियां नहा-धोकर एक जगह जमा होती है और नृत्य करते हुए नदी चाहे तालाब से स्वच्छ महीन बालू उठाकर नयी डाली में भरकर लाती है. उसमें सात प्रकार के अनाज बोती है, जौ, गेहूं, मकई, धान, उरद, चना, कुलथी आदि और किसी स्वच्छ स्थान पर रखती हैं. दूसरे दिन से रोज धूप, धूवन द्वारा पूजा-अर्चना कर हल्दी पानी से सींचती है. चारों और युवतियां गोलाकार होकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जावा जगाने का गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं
पूजा के बाद सुनायी जाती है करमा और धरमा की कथा
पूजा समाप्ति के बाद करम कथा कही जाती है. कहानी में करमा और धरमा की कथा सुनायी जाती है. कथा का मुख्य उद्देश्य यह रहता है कि अच्छे कर्म करना. इस संदर्भ में डॉ गिरिधारी राम गौंझू कहते हैं कि क, ख, ग, घ, ङ तबे रहबे चंगा. अर्थात क से कर्म करो, ख से खाओ, ग से गाओ फिर घूमो तब तुम चंगा रहोगे. काम कर अंग लागाय कन आर डहर चले संग लागाय कन. कहने का तात्पर्य है कि कोई भी काम करो तो पूरे मन से करो और रास्ता पर चलो तो मित्र के साथ चलो. कथा समाप्त होने के बाद सभी युवतियां करम डाली को गले लगाती हैं. उसके बाद रात भर नृत्य गीत चलता है.
जानें पूजा विधि
घर के आंगन में जहां साफ-सफाई किया गया है वहां विधिपूर्वक करम डाली को गाड़ा जाता है. उसके बाद उस स्थान को गोबर में लीपकर शुद्ध किया जाता है. बहनें सजा हुआ टोकरी या थाली लेकर पूजा करने हेतु आंगन या अखड़ा में चारों तरफ करम राजा की पूजा करने बैठ जाती हैं. करम राजा से प्रार्थना करती है कि हे करम राजा! मेरे भाई को सुख समृद्धि देना. उसको कभी भी गलत रास्ते में नहीं जाने देना. यहां पर बहन निर्मल विचार और त्याग की भावना को उजागर करती है. यहां भाई-बहन का असीम प्यार दिखाई देता है. यह पूजा गांव का बुजुर्ग कराता है.
Happy Karma Puja 2022: करम का पर्व समृद्धि लाए
करम का पर्व समृद्धि लाए
यह आशा है कि यह आनंदमय हो,
आपके दिनों को खुशियों से भर दे.
Happy Karma Puja 2022
Happy Karma Puja 2022: आपका जीवन खुशियों से भर जाए
आपका जीवन खुशियों से भर जाए और
आप जो भी करें उसमें सफल हो
आपको करम पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
Happy Karma Puja 2022
करमा पर्व पर ऐसे की जाती है पूजा
पूजा के दिन बहनें नए वस्त्र पहनकर, पैरों में अलता लगाती है. इसके बाद शाम के समय गांव के बड़े बुजुर्ग नए वस्त्र पहनकर मंदार बजाते, नाचते गाते हुए करम डाली काट कर लाते है. वहां पहुंचकर करम पेड़ का पूरे श्रद्धा से पूजा-अर्चना करके पेड़ पर चढ़कर तीन डालियां काटता है और साथ ही डाली लेकर पेड़ से उतरता है इसमें यह भी ध्यान रखा जाता है कि करम डाली जमीन पर गिरे नहीं.
करमा पर्व की ऐसे होती है तैयारी
करमा पर्व के कुछ दिन पूर्व युवतियां नदी या तालाब से बालू उठाती है. नदी या तालाब से स्वच्छ एवं महीन बालू उठाकर डाली में भरती है. इसमें सात प्रकार के अनाज भी बोती है, जौ, गेहूं, मकई, धान, चना, उरद, कुलथी आदि एवं किसी स्वच्छ स्थान पर रखती हैं.
बहने भाइयों के लिए करती है करमा पर्व
मान्यता है कि इस पर्व को बहने भाइयों के लिए करती है. इसके अलावा यह प्रकृति का भी प्रतीक के रूप में जाना जाता है. बहनें अपने भाईयों के सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु होने की कामना इस दिन करती हैं.
आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है करमा पर्व
करमा पर्व को आदिवासी संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता है. कर्मा पूजा पर्व आदिवासी समाज का एक प्रचलित त्यौहार है . इस परवाह में एक खास नृत्य भी किया जाता है जिसे करमा नृत्य भी कहा जाता है .
फसल का कार्य समाप्त होने की खुशी में मनाते हैं करमा पर्व
जब अच्छी बारिश होती है तब किसान अपनी फसल लगाते हैं और फसल का कार्य समाप्त होने की खुशी में करमा पर्व को मनाया जाता है . साथ ही बहने अपने भाइयों के लिए सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं कर्मा पर झारखंड के लोग ढोल व मांदर की थाप पर झूमते गाते हैं .
करमा पर्व क्यों मनाया जाता है
झारखंड राज्य में यह दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व करम पर्व होता है जिसे इस कामना से मनाया जाता है कि लगाया गया फसल अच्छा हो और पहला सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है सरहुल जिस समय पेड़ पौधों में नए-नए फूल और पत्तियाँ आना शुरू होती हैं उसी समय सरहुल पर्व मनाया जाता है.
ऐसे होती है करमा पूजा
पूजा के दिन बहनें नए वस्त्र पहनकर, पैरों में अलता लगाती है. इसके बाद शाम के समय गांव के बड़े बुजुर्ग नए वस्त्र पहनकर मंदार बजाते, नाचते गाते हुए करम डाली काट कर लाते है. वहां पहुंचकर करम पेड़ का पूरे श्रद्धा से पूजा-अर्चना करके पेड़ पर चढ़कर तीन डालियां काटता है और साथ ही डाली लेकर पेड़ से उतरता है इसमें यह भी ध्यान रखा जाता है कि करम डाली जमीन पर गिरे नहीं.
करमा पूजा की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को बहने भाइयों के लिए करती है. इसके अलावा यह प्रकृति का भी प्रतीक के रूप में जाना जाता है. बहनें अपने भाईयों के सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु होने की कामना इस दिन करती हैं.
करमा पर्व में किए जाते हैं ये काम
करमा पर्व के कुछ दिन पूर्व युवतियां नदी या तालाब से बालू उठाती है. नदी या तालाब से स्वच्छ एवं महीन बालू उठाकर डाली में भरती है. इसमें सात प्रकार के अनाज भी बोती है, जौ, गेहूं, मकई, धान, चना, उरद, कुलथी आदि एवं किसी स्वच्छ स्थान पर रखती हैं.
ऐसे होती है करमा पूजा की शुरूआत
तीज का डाला अहले सुबह नदियों व तालाबों में विसर्जन किया जाता है. वहीं शाम को कुंवारी बहनों के द्वारा करमा का डाला स्थापित किया जाता है. कुंवारी बहनें अपने-अपने घरों से गीत गाते हुए बांस के डाला लेकर नदी व तालाब पहुंचती हैं. जहां वे स्नान कर नदियों व तलाबों से डाला में बालू लाकर अखाड़ों में सारी बहनें बैठती हैं. उसी दौरान डाला में विभिन्न तरह के बीजों को जौ के साथ बुनती हैं.
करमा पर्व क्यों मनाया जाता है
झारखंड राज्य में यह दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व करम पर्व होता है जिसे इस कामना से मनाया जाता है कि लगाया गया फसल अच्छा हो और पहला सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है सरहुल जिस समय पेड़ पौधों में नए-नए फूल और पत्तियाँ आना शुरू होती हैं उसी समय सरहुल पर्व मनाया जाता है.