21 अक्टूबर 2021 से पवित्र माह कार्तिक माह का प्रारंभ हो चुका है. धर्म शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में कार्तिक के महीने को सर्वश्रेष्ठ माह बताया गया है और धन, सुख, समृद्धि, शांति देने वाला कहा गया है. साथ ही रोगनाशक और शोकनाशक माना गया है.
मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. जानिए कार्तिक मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
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1 ) जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ देख पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है
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2) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है
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3) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है , वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है
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4) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है वह कभी यमराज का मुख नही देखता
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5) जो मनुष्य कार्तिक मास मे शालिग्राम शिला का दान करता है उसे सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल मिलता है
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6) कार्तिक मास मे जो व्यक्ति पुरे मास पलाश की पत्तल मे भोजन करता . वह विष्णु लोक को जाता है
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7) कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पूजा करनी चाहिए
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8) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है. उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है
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9 ) इस जन्म मे जो पाप होते है वह सब कार्तिक मास मे दीपदान करने से नष्ट हो जाता है
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10) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज नाम जप करते है. उन पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है
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11) जो मनुष्य कार्तिक मास मे तुलसी ,पीपल या आवले का वृक्षारोपण करते है. वह पेड़ जब तक पृथ्वी पर रहते है। लगाने वाला तब तक वैकुण्ठ मे वास करता है.
विशेष – जो मनुष्य कार्तिक मास बिना कोई नियम लिए बिता देता है. वह नरक मे वास करता है
ब्रह्म मुहूर्त में ही करें स्नान
कहते हैं कि कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी यमुना नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना बहुत लाभकारी होता है. इस स्नान का बहुत अधिक महत्व हैं. इस पुण्यदायी मास में महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. कहते हैं कि यह स्नान कुंवारी या शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं. ये दोनों के लिए विशेष शुभ माना जाता है. ग्रंथों में कहा गया है कि अगर आप नदी के जल में स्नान करने में असमर्थ हैं तो नहाने के पानी में किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है.