Kartik Month 2022 Start Date, Does and Donts during Kartik maas: हिंदू धर्मिक ग्रथों में कार्तिक मास को एक खास महीने के रूप में देखा जाता हैं. इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को थी और उसके अगले दिन से यानी कि 10 अक्टूबर आज से कार्तिक मास प्रारंभ हो चुका है इस महीने में श्रीहरि की पूजा करना और उनको सबसे प्रिय तुलसी की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं कार्तिक के महीने में कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं…
हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक महीने में दीपदान करने से परिवार के सभी लोगो के जीवनसे अंधकार खत्म हो जाता हैं. इसलिए इस महीने किसी भी पवित्र नदी या फिर तालाब में सूर्यास्त के वक्त दीपदान जरूर ही करना चाहिए.
कार्तिक मास भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे खास माना गया है. इसलिए इस महीने में विष्णुप्रिया तुलसी की पूजा करना भी बहुत अच्छा माना जाता है. इस पूरे महीने में तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाने की परंपरा है। ऐसा करने से आपको धन लाभ होता है और आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होता है.
कार्तिक माह से सर्दियों की शुरुआत भी हो जाती है. ऐसे में हमें ठंडी चीजों को खाने से बचना चाहिए. तथा इस दौरान ठंडे पानी का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि इससे आप सर्दी जुकाम की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं. जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं उन्हें सभूलकर भी ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कार्तिक के महीने में दाल खाने की मनाही है. खासकर अरहर और चने की दाल का सेवन बिल्कुल भी ना करें. इससे पाचनतंत्र में गड़बड़ी और पेट संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
कार्तिक महीने में करेले का सेवन भी वर्जित माना जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि कार्तिक माह में करेला पकता है और कई बार अधिक पकने के कारण इसके बीजों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे करेले को खाने से फूड प्वाइजनिंग और अन्य बीमारियों का खतरा रहता है. ऐसे में इस महीने भूलकर भी करेले का सेवन ना करें.
कहते हैं कि कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी यमुना नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना बहुत लाभकारी होता है. इस स्नान का बहुत अधिक महत्व हैं. इस पुण्यदायी मास में महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. कहते हैं कि यह स्नान कुंवारी या शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं. ये दोनों के लिए विशेष शुभ माना जाता है. ग्रंथों में कहा गया है कि अगर आप नदी के जल में स्नान करने में असमर्थ हैं तो नहाने के पानी में किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है.