Kartik Maas 2021: आज शरद पूर्णिमा के समापन के साथ कार्तिक मास आरंभ हो जाएगा. यह महीना स्नान, दान और पूजा पाठ के लिहाज से विशेष महत्व रखता है, आइए जानते हैं माह का महत्व और पूजा विधियां. कार्तिक मास का महत्व
शास्त्र के अनुसार, इस माह में भगवान श्री हरि जल में निवास करते हैं. कार्तिक मास में गंगा स्नान, दान, हवन और यज्ञ करने से पापों का नाश होता है. इन दिनों पूजा-पाठ करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में व्रत करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस महीने में की गई पूजा से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-अर्चना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अति उत्तम माना जाता है. कहते हैं कि इस महीने किसी पवित्र नदी या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
स्नान के लिए मंत्र
आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च।
पापं नाशाय मे देव वामन: कर्मभि: कृतम।
यह बोल कर जल की ओर
दु:खदरिद्रयनाषाय श्रीविश्णोस्तोशणाय च।
प्रात:स्नान करोम्यद्य माघे पापविनाषनम।।
कहकर ईश्वर की प्रार्थना करनी चाहिए.
स्नान खत्म करने के बाद यह मंत्र उच्चारण लाभकारी
सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम।
त्वत्तेजसा परिभ्रश्टं पापं यातु सहस्त्रधा।।
तुलसी पूजन
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, जिन घरों में प्रतिदिन माता तुलसी की पूजा की जाती है, वहां मां लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है. कार्तिक मास में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सर्वप्रथम तुलसी की पुकार सुनते हैं. शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी पूजन शुभ बताया गया है.