इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 18 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होकर, 19 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी. हिन्दू परंपराओं के आधार पर इस पर्व को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इस साल इस दिन पूर्वोत्तर भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा. इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिनों की होने से पूर्णिमा का व्रत तो आज ही किया जा रहा है और शुक्रवार को स्नान-दान किया जा रहा है. इस दिन अधिकतर स्त्रियां करती हैं और घर की शांति आदि के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करती हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा, इस दिन क्या करें क्या ना करें
पुराणों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को बहुत पवित्र माना गया है इसलिए भूलकर भी प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन, अंडा जैसे तामसिक भोजन से बचना चाहिए। पूर्णिमा के दिन भूलकर भी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक
कार्तिक पूर्णिमा के मंत्र (Kartik Purnima Mantra)
ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ कार्तिकेय नमः।
ॐ वृंदाय नमः।
ॐ केशवाय नमः।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन फल, अनाज, वस्त्र और गुड़ आदि चीजों का दान किया जा सकता है. शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं मिठाई, दूध और नारियल का दान करने से धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजन क्यों किया जाता है?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता है. अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा नहीं कर पाएं हैं तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.