Kartik Purnima 2022: इस साल कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 8 नवंबर 2022 को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने से पूरे माह की पूजा-पाठ करने के समान फल मिलता है. यह माह भगवान विष्णु को समर्पित है. कार्तिक पूर्णिमा तिथि (Kartik Purnima 2022 Date) के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था, जिन्हें भगवान विष्णु का प्रथम अवतार भी माना जाता है. इस दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कब है कार्तिक पूर्णिमा व्रत, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व.
कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 7 नवंबर 2022, सोमवार शाम 04:15 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 8 नवंबर 2022, मंगलवार शाम 04:31 तक
कार्तिक पूर्णिमा व्रत तिथि: 8 नवंबर 2022, मंगलवार
पूजा का शुभ मुहूर्त: 8 नवंबर 2022 को शाम 05:31 से शाम 06:50 तक
कार्तिक पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान, होम, यज्ञ और ईश्वर की उपासना का विशेष महत्व है.
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पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें.
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इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन अवश्य करना चाहिए.
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कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके बैल का दान करने से शिव पद प्राप्त होता है.
गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है. -
इस भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है.
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कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं.
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कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वाले व्रती को किसी जरुरतमंद को भोजन और हवन अवश्य कराना चाहिए.
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इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए.
कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में वास करते हैं. पद्मपुराण में भी यह भी बताया गया है कि भगवान विष्णु मत्स्य रूप में पवित्र नदियों और जल स्रोत में वास करते हैं. ऐसे में नदी में स्नान करें से व्यक्ति को वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है और उसे मानसिक व शारीरिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है.
कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है. इस दिन किये जाने वाले दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं. यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ है. वहीं अगर इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो, यह महापूर्णिमा कहलाती है. इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है.