Kartik Purnima 2022, Ganga Snan: गंगा स्नान करने से खत्म होते हैं 10 तरह के पाप, जानें स्नान के नियम

Kartik Purnima 2022, Ganga Snan: मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. गंगा स्नान के अलावा इस दिन दान और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. वहीं ग्रंथों में गंगा स्नान के कुछ नियम बताए गए है.

By Bimla Kumari | November 7, 2022 9:58 AM

Kartik Purnima 2022, Ganga Snan : कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को हर साल मनाया जाता है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 8 नवंबर 2022 को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. गंगा स्नान के अलावा इस दिन दान और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. वहीं ग्रंथों में गंगा स्नान के कुछ नियम बताए गए है. जिनका सही तरीके से पालन करने पर पुण्य मिलता है.

क्यों किया जाता है गंगा स्नान

यह दिन बेहद खास है क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने से पूरे माह की पूजा-पाठ करने के समान फल मिलता है. इस गंगा स्नान के नाम से भी जना जाता है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

गंगा स्नान से ये 10 पाप हो जाते हैं खत्म

गंगा नदी में स्नान करने मात्र से पापों का नाश होता है तथा अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करना उचित माना गया है. जो लोग ऐसा नहीं कर सकते तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर जरूर स्नान करें.

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स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं. कायिक, वाचिक और मानसिक. इनके अनुसार

कायिक यानी शारीरिक पाप

किसी दूसरे की वस्तु लेना

शास्त्र वर्जित हिंसा

परस्त्री गमन

चार प्रकार के वाचिक पाप

कटु बोलना

असत्य भाषण

निष्प्रयोजन बातें करना

परोक्ष में यानी पीठ पीछे किसी की निंदा करना

तीन प्रकार के मानसिक पाप

इनके अलावा परद्रव्य को अन्याय से लेने का विचार करना,

मन में किसी का अनिष्ट करने की इच्छा करना

असत्य हठ करना

गंगा स्नान के नियम

  • गंगा स्नान से पहले सामान्य जल से नहा लें. गंगा नदी में सिर्फ डूबकी लगाने चाहिए, याद रखें पवित्र नदी में शरीर का मेल नहीं निकालें

  • गंगा नदी एक पवित्र नदी है इसमें मनुष्य की अशुद्धि नहीं जानी चाहिए. स्नान करते समय शरीर को हाथों से रगड़ कर न नहाएं.

  • गंगा स्नान करने के बाद शरीर को नहीं पोंछना चाहिए. जल को शरीर पर की सुखने दें.

  • मृत्यु या जन्म सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान न करें.

  • घर पर नहाने के दौरान गंगाजल की कुछ बूंदे या कम मात्रा ही नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें.

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